मनोरंजन
रोल व निर्देशक अच्छे हों तो मैं कहीं भी जाने को तैयार हूं: अनिल कपूर
मुंबई। अभिनेता अनिल कपूर आगामी दिनों में फिल्म ‘फाइटर’ और ‘एनीमल’ में नजर आएंगे। वह समय के भी काफी पाबंद हैं। इस संदर्भ में वह कहते हैं, ‘समय पर पहुंचना बहुत जरूरी है। अगर बहुत ट्रैफिक हो या अन्य कोई बड़ी समस्या हो तब देरी हो सकती है। मेरा मानना है कि कहीं भी समय से 10 मिनट पहले पहुंचना ही अच्छा होता है। इससे सामने वाला व्यक्ति सतर्क हो जाता है। जल्दी पहुंचने से आप शांत रहते हैं।’
यह तो बस शुरुआत है
इस बार 95वें आस्कर अवार्ड में फिल्म ‘आरआरआर’ के गीत ‘नाटू नाटू’ को नामांकन मिला है। वहीं भारतीय डाक्यूमेंट्री ‘द एलिफेंट व्हिस्पर्स’ को शार्ट डाक्यूमेंट्री श्रेणी में नामांकन मिला है।
अनिल खुद भी ‘स्लमडाग मिलियनेयर’, ‘मिशन इंपासिबल- घोस्ट प्रोटोकोल’, ’24’ जैसे अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट का हिस्सा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय सिनेमा के बढ़ते वर्चस्व को लेकर अनिल कपूर कहते हैं, ‘यह हम सभी भारतीयों के लिए गर्व का क्षण है। यह तो भारत के सुनहरे भविष्य, भारतीय कंटेंट की अभी शुरुआत है।’
हर जगह दिखते हैं दो पहलू
फिल्मों में विभिन्न पात्रों को जीवंत करने की चुनौतियों पर अनिल कपूर कहते हैं, ‘कलाकार होना ही सबसे चुनौतीपूर्ण होता है। खास तौर पर उस कलाकार के लिए जिसने हमेशा सकारात्मक चरित्र किए हों और उसे ऐसा पात्र निभाने का अवसर मिले, जो स्याह हो तो यह काफी रोमांचक हो जाता है। बतौर कलाकार पात्र में विश्वास करना होता है। मुझे लगता है कि बहुत अच्छे व्यक्ति का पात्र निभाना कठिन होता है।
बुरे इंसान का चरित्र निभाना तब भी आसान है। अब तो समाज में ही कितना बदलाव आ गया है। आपको हर चीज में स्याह पहलू दिखेगा चाहे वो व्यापार हो, समाज, काम, या इंटरनेट मीडिया। हां, अगर अच्छे व्यक्ति की भूमिका आप विश्वसनीयता से करते हैं तो वह प्रेरणा बन जाता है।’
कहानी रखती है अहमियत
अनिल कपूर हाल ही में प्रदर्शित ब्रिटिश सीरीज ‘द नाइट मैनेजर’ के हिंदी रीमेक में नजर आए हैं। डिजिटल प्लेटफार्म पर आने की वजह से अब मूल कंटेंट तक लोगों की पहुंच बढ़ गई हैं। ऐसे में रीमेक फल्मों के चलन को लेकर अनिल कपूर कहते हैं, ‘पहले लोगों को पता नहीं चलता था, लेकिन आजकल डिजिटल प्लेटफार्म की वजह से लोगों को मौलिक कंटेंट के बारे में पता लग जाता है। अंतरराष्ट्रीय कंटेंट भी दर्शकों के लिए सुलभ है। रीमेक प्रस्तुति भी खास होती है। जैसे विख्यात अमेरिकन शो ‘होमलैंड’ इजरायली शो ‘प्रिजनर्स आफ वार’ से प्रेरित होकर बना है।
मेरी फिल्म ‘वो सात दिन’, ‘बेटा’, ‘विरासत’, ‘जुदाई’ किताबों पर आधारित थीं। जो कहानियां अच्छी होती हैं, उन पर शो बनते हैं तो कभी फिल्में। हम बतौर कलाकार स्क्रिप्ट सुनते हैं, फिर देखते हैं कि उसके पीछे कौन निर्माता है, कौन निर्देशित कर रहा है। सब चीजें सही हो जाती हैं तो हम हां कर देते हैं। उसके बाद हमारे दर्शक होते हैं जो बताते हैं कि उन्हें हमारा काम कैसा लगा, वही इसके बारे में निर्णय लेते हैं।’
रोल और निर्देशक अच्छे हों
अनिल कपूर ने हाल में ‘कांतारा’ के निर्देशक ऋषभ शेट्टी के साथ काम करने की इच्छा जताई थी। क्या अब दक्षिण भारतीय कंटेंट की ओर उनका भी झुकाव हो रहा है? इस संदर्भ में अनिल हंसते हुए कहते हैं, ‘मैं कहीं भी जाने को तैयार हूं, बस रोल अच्छा हो, निर्देशक अच्छा हो और थोड़े बहुत पैसे मिल जाएं!’
प्रादेशिक
सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर फैजान अंसारी ने सैफ को अस्पताल पहुंचाने वाले ऑटो ड्राइवर को दी 11 हजार रु की आर्थिक सहायता
मुंबई। हमले के बाद बॉलीवुड एक्टर सैफ अली खान को अस्पताल पहुंचाने वाले ऑटो ड्राइवर भजन सिंह राणा को सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर फैजान अंसारी ने सम्मानित करते हुए 11 हजार रु की आर्थिक सहायता दी है। फैजान अंसारी ने ऑटो ड्राइवर को ‘रियल हीरो’ बताते हुए कहा कि मेरा कहना है कि रियल हीरो भजन सिंह हैं। रात में तीन बजे इन्होंने खून से लथपथ अभिनेता को देखा और अस्पताल पहुंचाया। वहां कोई शूटिंग नहीं चल रही थी। इनकी जगह कोई और होता तो शायद वहां से भाग जाता लेकिन इन्होंने हिम्मत दिखाई और वह काम किया जो आमतौर पर करने से लोग डरते हैं। सैफ अली खान को आज जो दूसरी जिंदगी मिली है उसकी वजह भजन सिंह हैं।
वहीं भजन सिंह राणा ने कहा, “मैंने कभी जिंदगी में नहीं सोचा था कि कुछ ऐसा होगा। मुझे बहुत गर्व महसूस हो रहा है। सम्मान मिलने से बहुत अच्छा लग रहा है।” उन्होंने कहा, “मुझे अच्छा लग रहा है कि मैंने किसी की मदद की। आमतौर पर लोग किसी को खून से लथपथ देखते हैं तो डर जाते हैं और मुझे भी एक पल को डर लगा था, मैं घबराया था कि पुलिस के लपेटे में न आ जाऊं। लेकिन फिर भी मैं मदद के लिए आगे बढ़ा, ये बात मुझे खुशी देती है।”
भजन राणा ने सैफ को साहसी बताते हुए कहा, “वो (सैफ अली खान) खुद ही चलकर अस्पताल गए थे। उनमें साहस देखने को मिला, गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी उन्होंने खूब हिम्मत दिखाई। कहते हैं न कि ‘मर्द को दर्द नहीं होता’ तो उनके साथ भी ऐसा ही था।” राणा ने बताया कि सुर्खियों में आने के बाद से उनकी दिनचर्या काफी व्यस्त हो गई है और उन्हें काफी इंटरव्यूज देने पड़ते हैं, जिस वजह से वह फिलहाल गाड़ी नहीं चला रहे हैं।
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