उत्तर प्रदेश
लखनऊ में सेवानिवृत्त अफसर की बेटी से चलती कार में हैवानियत, 7 थानों से गुजरी गाड़ी; तीनों आरोपी गिरफ्तार
लखनऊ। लखनऊ के गोमतीनगर निवासी सेवानिवृत्त अफसर की बेटी से चलती कार में सामूहिक दुष्कर्म का मामला प्रकाश में आया है। आरोपियों ने युवती को जबरन नशीला पदार्थ पिलाकर वारदात को अंजाम दिया और उसे मुंशी पुलिया के पास छोड़कर भाग निकले। वजीरगंज थाने में केस दर्ज कर पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार करते हुए कार बरामद कर ली है।
सरेशाम हुई इस घटना ने लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट से लेकर बाराबंकी पुलिस तक की सतर्कता की कलई खोल दी। शाम को हसनगंज थानाक्षेत्र के आइटी चौराहे से छात्रा का वैगनआर कार से सत्यम, सुहैल और असलम ने अपहरण किया।
डीसीपी पश्चिम राहुल राज के मुताबिक 22 वर्षीय पीड़िता का केजीएमयू के मानसिक रोग विभाग में इलाज चल रहा है। वह अक्सर वहां जाती थी। इस दौरान बाहर चाय की दुकान पर काम करने वाले मड़ियांव के सत्यम मिश्र से उसकी जान-पहचान हो गई। पांच दिसंबर को युवती इलाज के लिए वहां पहुंची। डॉक्टर को दिखाने के बाद वह सत्यम की दुकान पर चाय पीने लगी।
इस दौरान उसका मोबाइल फोन बंद हो गया। युवती ने सत्यम से कहा तो उसने बाजारखाला के मो. असलम (चालक) की एंबुलेंस में मोबाइल चार्जिंग पर लगवा दिया। कुछ देर के बाद युवती ने अपना फोन मांगा तो सत्यम ने बताया कि चालक एंबुलेंस लेकर डालीगंज चला गया है। सत्यम युवती को ई-रिक्शे से डालीगंज लेकर पहुंचा तो युवती को बताया गया है कि एंबुलेंस आईटी चौराहे पर है।
दोनों वहां पहुंचे तो चाय दुकान मालिक बाजारखाला का मो. सुहैल व असलम कार से वहां आ गए। उन्होंने सत्यम व युवती को कार में बैठा लिया। सभी लोग बाराबंकी के सफेदाबाद स्थित ढाबे पर पहुंचे। वहां खाना खाया। आरोपियों ने वहीं पर युवती को जबरन नशीला पदार्थ पिला दिया। युवती नशे में हो गई तो उसे जबरन गाड़ी में बैठा लिया और उसके साथ चलती कार में मुंह काला किया। विरोध करने पर युवती की पिटाई भी की।
2 जिले, 20 किलोमीटर चलती कार में सामूहिक दुष्कर्म
सेवानिवृत्त अफसर की बेटी से चलती कार में सामूहिक दुष्कर्म के मामले ने दो जिलों की पुलिस की सक्रियता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। नशे में धुत आरोपी बाराबंकी से लेकर लखनऊ तक 20 किलोमीटर तक कार दौड़ाते रहे, युवती से दरिंदगी करते रहे। बाराबंकी के सफेदाबाद से मुंशी पुलिया तक आरोपी बड़े आराम से पहुंचे और युवती को छोड़कर भाग निकले।
इंस्पेक्टर वजीरगंज मनोज कुमार मिश्र ने बताया कि आरोपी-सत्यम, सुहैल और असलम पांच दिसंबर को शाम सात बजे युवती को असलम के भाई की कार में लेकर निकले थे। आरोपियों ने परिवर्तन चौक के आसपास बीयर और शराब खरीदी थी। बाराबंकी के सफेदाबाद पहुंचने के बाद ढाबे में आरोपियों ने शराब पी और खाना खाया।
इसी दरम्यान युवती को बीयर में नशीला पदार्थ मिलाकर जबरन पिला दिया गया। बेसुध हुई युवती को आरोपियों ने कार में बिठाया और दरिंदगी करते रहे। सफेदाबाद से लेकर मुंशी पुलिया तक 20 किलोमीटर की दूरी में कई थाने और पुलिस चौकियां हैं। सड़क पर अगर कहीं भी पुलिस सक्रिय होती, तो नशे में कार दौड़ा रहे आरोपी उसी समय पकड़ में आ जाते। बहरहाल, इंस्पेक्टर ने बताया कि देर रात आरोपी युवती को मुंशी पुलिया के पास छोड़कर भाग गए।
सामूहिक दुष्कर्म का वीडियो बनाए जाने की आशंका
एडीसीपी सीएन सिन्हा ने बताया कि आरोपी सुहैल और असलम के पास से दो मोबाइल फोन मिले हैं। दोनों के फोन पुलिस ने जब्त कर लिए हैं। युवती का अश्लील वीडियो बनाए जाने की आशंका को देखते हुए दोनों के फोन फोरेंसिक जांच के लिए भेजे गए हैं।
डरी-सहमी थी युवती
डीसीपी पश्चिम राहुल राज का कहना है कि घटना के बाद युवती काफी डरी-सहमी थी। मुंशी पुलिया पर आरोपियों के छोड़ने के बाद वह किसी तरह अपनी सहेली के घर पहुंची और उसको सारी बात बताई। फिर किसी तरह अपने घर पहुंची। इसके बाद रविवार को उसने हिम्मत जुटाई और सारी बात परिवारीजनों को बताई।
इसलिए वजीरगंज थाने में दर्ज किया गया केस
सूत्र बताते हैं कि युवती के परिवारीजनों ने इलाके के एक अधिकारी से संपर्क कर घटना की जानकारी दी थी। अफसर ने घटना के बारे में पश्चिम जोन के अधिकारियों को बताया। मामले की गंभीरता को देखते हुए वजीरगंज थाने में केस दर्ज किया गया। सोमवार को तीनों आरोपियों- सत्यम, सुहैल और असलम को शिक्षा भवन के पास से गिरफ्तार कर लिया गया।
उत्तर प्रदेश
त्रिवेणी संगम की स्वच्छता और निर्मलता से अभिभूत हुईं नजर आईं वॉटर विमेन शिप्रा पाठक
महाकुम्भ नगर। वॉटर विमेन ऑफ इंडिया के नाम से प्रख्यात शिप्रा पाठक महाकुम्भ में त्रिवेणी संगम की स्वच्छता और अविरलता देखकर अभिभूत नजर आ रही हैं। उन्होंने इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आभार जताया है। महाकुम्भ में जल और पर्यावरण संरक्षण के लिए एक थैला, एक थाली अभियान में जुटीं शिप्रा ने कहा, “संगम समेत पूरे महाकुम्भ में स्वच्छता का जो दृश्य दिख रहा है वो अद्भुत है। यह सुंदर व्यवस्था एक ऐसे व्यक्ति ने की है जो मुख्यमंत्री होने के साथ-साथ एक साधक हैं, योगी हैं, संन्यासी है। कुम्भ उनके हृदय के बहुत निकट है। इसलिए कुम्भ की उनसे बेहतर व्यवस्था कोई और नहीं कर सकता।” अभियान के तहत अब तक विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से महाकुम्भ में लाखों थैले और थालियों का वितरण किया जा चुका है।
सीएम योगी के सुशासन को पूरे देश में मिल रही पहचान
सीएम योगी को शिप्रा ने सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री करार देते हुए कहा कि पूरे देश में उनके सुशासन की चर्चा हो रही है। उन्होंने कहा, “कुम्भ से अलग भी उदाहरण दूं तो पिछले वर्ष नवंबर में अयोध्या से रामेश्वरम पैदल गई थी। जब हमने कर्नाटक में लोगों को बताया कि मैं अयोध्या से, राम के घर से आई हूं तो उनकी प्रतिक्रिया थी कि योगी वाला उत्तर प्रदेश। अगर कर्नाटक के एक छोटे से गांव में भारत के सबसे बड़े प्रदेश की पहचान योगी जी के नाम से हो रही है तो इसका मतलब है कि महाराज जी की सेवा, संकल्प और सिद्धांत को कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक मान्यता मिल रही है।”
संस्कृति विलुप्त हुई तो दूसरा महाकुम्भ नदी किनारे नहीं हो पाएगा
वॉटर विमेन शिप्रा पाठक जल एवं पर्यावरण संरक्षण को लेकर अब तक 13,000 किलोमीटर की पदयात्राएं कर चुकी हैं। उनकी संस्था पंचतत्व से 15 लाख लोग जुड़े हैं, जिनके सहयोग से नदियों के किनारे 25 लाख पौधे लगाए गए हैं। यहां महाकुम्भ में भी वह स्वच्छता की अलख जगाने के लिए एक थैला, एक थाली अभियान में सक्रिय भूमिक निभा रही हैं। उनका कहना है कि कुम्भ को स्वच्छ बनाने के लिए हमने पहले ही अखाड़ों में जाकर थैला, थालियां, गिलास, चम्मच बांट दिए। किसी श्रद्धालु के हाथ में पन्नी दिखी तो उसको भी थैला दे दिया। उन्होंने कहा कि हमें अपनी संस्कृतियों को जीवित रखते हुए नदी को बचाना है। नदियों को कमर्शियलाइज करके, मशीन डालकर साफ कर सकते हो, लेकिन संस्कृति यदि एक बार विलुप्त हो गई तो दूसरा महाकुम्भ नदी किनारे नहीं हो पाएगा।
निर्मल, अविरल जल के लिए एक वर्ष से कर रहीं प्रयास
अपना कारोबार और नौकरी छोड़कर नदियों और जंगलों को बचाने का संकल्प लेने वाली शिप्रा ने महाकुम्भ के महात्म्य को लेकर कहा कि यह साधारण उत्सव या अवसर नहीं है। संगम त्रिवेणी पर हर वर्ग, हर तबके, हर विचार के लोग डुबकी लगाते हैं तो वहां का स्पंदन कुछ अलग ही होता है। यहां पर डुबकी लगाना ही मेरा प्रकल्प नहीं है। मेरे पहले और मेरे बाद जो लोग भी यहां डुबकी लगाएं, उन्हें निर्मल, अविरल जल के दर्शन हों इसके लिए हम एक साल से कार्यरत हैं। पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के द्वारा हमने 100 संस्थाओं को एकजुट किया है जो हमारा सहयोग कर रही हैं।
जहां नदियां स्वच्छ, वहां विकास
वॉटर विमेन बनने की अपनी कहानी साझा करते हुए वह कहती हैं कि बचपन से ही जल के प्रति मेरा बहुत प्रेम था। माता-पिता ने नाम भी शिप्रा रखा जो एक नदी का नाम है। कंपनी के काम से जब विदेश जाती थी तो देखती थी कि वहां की नदियां कितनी स्वच्छ हैं। वहां तो नदियों को देवी नहीं माना जाता। हमारी नदियां ऐसी क्यों नहीं है। नर्मदा की परिक्रमा ने मेरा मन बदला। मैंने देखा मां नर्मदा जहां-जहां दूषित है, वहां लोगों का अर्थ भी बिगड़ा हुआ है, स्वास्थ्य भी बिगड़ा हुआ है और जहां वह अविरल बह रही है वहां विकास दिखाई देता है। यहीं से वैराग्य हुआ। शिप्रा की यात्रा की, गोमती की यात्रा की, फिर अयोध्या से रामेश्वरम तक की यात्रा की। हमारा उद्देश्य नए भारत की परिकल्पना नहीं, बल्कि प्राचीन भारत को ही जीवित रखना है। हमें आने वाली पीढ़ी को अपनी संस्कृति से अवगत कराना होगा। त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने से सिर्फ मोक्ष नहीं मिलता है, बल्कि शरीर भी स्वस्थ होता है। एक स्वस्थ शरीर को ही मोक्ष मिल पाएगा।
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