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उत्तराखंड

जोशीमठ में नहीं तोड़े जाएंगे घर, बाजार दर पर मिलेगा मुआवजा: सीएम धामी

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Joshimath Sinking

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देहरादून। चीन सीमा से सटे उत्तराखंड राज्य के सीमांत जिले चमोली के आपदाग्रस्त जोशीमठ शहर में घर नहीं तोड़े जाएंगे। साथ ही प्रभावितों को बाजार दर पर मुआवजा दिया जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यह एलान किया।

उन्होंने कहा, ‘किसी भी घर को तोडऩे का न कोई निर्णय हुआ है और न ऐसा कदम भविष्य में उठाया जाएगा। केवल अपरिहार्य होने पर ही ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जाएगी और वह भी भवन स्वामी की सहमति से। उन्होंने कहा कि प्रभावितों को बाजार दर पर मुआवजा देने के लिए हितधारकों से सुझाव लेकर और जनहित में यह दर घोषित की जाएगी।

मुख्यमंत्री धामी बुधवार शाम को अपने सभी कार्यक्रम रद्द कर जोशीमठ पहुंच गए। इसी बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री को फोन कर जोशीमठ की स्थिति पर अपडेट लिया। इससे पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी मुख्यमंत्री को फोन किया।

उधर, जोशीमठ में राहत कार्य निरंतर जारी हैं। राहत, पुनर्वास समेत सभी प्रकार के कार्यों के लिए अपर मुख्य सचिव वित्त आनंद बर्द्धन की अध्यक्षता में शासन स्तर पर उच्चाधिकार प्राप्त समिति गठित कर दी गई है। इसके अलावा मंडलायुक्त सुशील कुमार की अध्यक्षता में भी एक समिति बनाई गई है, ताकि समन्वय के साथ कार्य तेजी से आगे बढ़ सकें।

विभिन्न संस्थानों के विज्ञानी जोशीमठ में भूधंसाव के कारणों की तह तक जाने को जांच में जुटे हुए हैं। भूकंप अथवा अन्य कारणों से भूमि में कंपन की जांच को दो सिस्मोग्राफिक स्टेशन स्थापित किए गए हैं। इस बीच जोशीमठ में फूटी जलधाराओं में पानी का बहाव कम होने की बात सामने आई है।

मौसम की चुनौती से निबटने के लिए पीपलकोटी के अलावा शहर के सुरक्षित क्षेत्र के होटल समेत अन्य भवन चिह्नित किए गए हैं। जरूरत पडऩे पर वाटरप्रूफ टेंट की व्यवस्था भी की गई है।

भूधंसाव का दंश झेल रहे जोशीमठ में राहत कार्य तेज किए गए हैं। दरारें पडऩे से जर्जर भवनों का चिह्नीकरण चल रहा है तो प्रभावितों को अस्थायी रूप से सुरक्षित स्थानों पर राहत शिविरों में विस्थापित किया जा रहा है।

सरकार ने पूरी मशीनरी को जोशीमठ में झोंका हुआ है। तमाम केंद्रीय संस्थानों के विज्ञानी वहां जांच कार्यों में जुटे हुए हैं। जोशीमठ के डेंजर जोन में स्थित दो होटलों के बहुमंजिला भवनों को सीबीआरआइ के विज्ञानियों के मार्गदर्शन में हटाने का निर्णय लिया गया है।

बीते दिवस यह कार्रवाई शुरू होनी थी, लेकिन व्यापारियों के विरोध के चलते ऐसा नहीं हो पाया था। इसी बीच यह मांग उठी कि भवनों का मूल्यांकन करने के बाद बाजार दर पर भवन स्वामियों को मुआवजा दिया जाए। सरकार ने भी इसे स्वीकारा है। वहीं, जोशीमठ बचाने के लिए वहां धरना-प्रदर्शन का क्रम भी बना हुआ है।

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उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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