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उत्तर प्रदेश

बिकरू कांड के मुख्‍य आरोपित की पत्‍नी खुशी दुबे को SC से मिली जमानत

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Khushi Dubey

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कानपुर/नई दिल्ली। कानपुर के बहुचर्चित बिकरू कांड में मुख्‍य आरोपित व पुलिस मुठभेड़ में मारे गए अमर दुबे की पत्‍नी खुशी दुबे को आज सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी। सुनवाई से पहले उप्र सरकार ने खुशी की जमानत का विरोध करते हुए अपना जवाब सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया था। बिकरू कांड में शहीद हुए यूपी पुलिस के जवानों के परिजनों की तरफ से खुशी दुबे को जमानत दिए जाने को लेकर विरोध दर्ज किया गया था।

सीओ सहित आठ पुलिस कर्मी हुए थे शहीद

गौरतलब है कि 2 जुलाई 2020 की रात कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के गांव बिकरू में गैंगस्टर विकास दुबे के घर दबिश डालने गई पुलिस टीम पर उसके गुर्गों ने घात लगाकर हमला किया था, जिसमें सीओ देवेंद्र मिश्रा सहित आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे।

पुलिस ने तीन जुलाई कि सुबह ही दो हमलावरों को मार गिराया था। जबकि नौ जुलाई को उज्जैन में आत्मसमर्पण के बाद दूसरे दिन कानपुर लाते समय विकास दुबे की गाड़ी पलट गई जिसमें उसने भागने की कोशिश की और पुलिस के हाथों मारा गया। इसके अलावा पुलिस ने अमर दुबे सहित दो अन्य हमलावरों को भी मुठभेड़ों में ढेर कर दिया था।

खुशी को मिलाकर अब तक तीन को मिल चुकी जमानत

इस मामले में लगभग 42 लोग जेल भेजे गए। जिसमें पुलिस मुठभेड़ में मारे गए अमर दुबे की नवविवाहिता पत्नी खुशी दुबे भी शामिल थी। खुशी और अमर दुबे की इस कांड के दो दिन पहले ही शादी हुई थी। खुशी तब से ही जेल में थी। नाबालिग होने के साक्ष्य मिलने के बाद उसे नारी संरक्षण गृह में भेजा गया था।

खुशी दुबे को आज बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने सशर्त जमानत दे दी है। इस चर्चित प्रकरण में खुशी को मिलाकर अब तक तीन लोगों को जमानत मिल चुकी है।

खुशी दुबे के वकील शिवाकांत दीक्षित ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने सशर्त जमानत दी है। इस दौरान सरकार की ओर से खुशी को बालिग करार देने की कोशिश की गई लेकिन कोर्ट ने उनका यह तर्क नहीं माना।

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उत्तर प्रदेश

हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी

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महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।

हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।

आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।

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