उत्तर प्रदेश
लखनऊ: पबजी गेम के आदी नाबालिग बेटे ने ली मां की जान, दो दिन शव के साथ रहा
लखनऊ। उप्र की राजधानी लखनऊ से दिल दहला देने वाली वारदात की खबर आ रही है। यहां पबजी गेम के आदी नाबालिग बेटे ने अपनी मां की गोली मारकर हत्या कर दी। उसके शव के साथ दो दिन व तीन रात तक घर में रहा।
छोटी बहन को धमकी दी कि अगर पुलिस या किसी को बताया तो उसे भी मार देगा। मंगलवार को बदबू फैलने लगी तो कहानी गढ़ी और पिता को सूचना दी।
जिस पर पिता ने पड़ोसियों से बात की और पड़ोसियों ने पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। वहीं नाबालिग बेटे से पूछताछ की तो सारी हकीकत सामने आ गई।
पुलिस के मुताबिक मृतका साधना सिंह (40) का पति नवीन सिंह सेना में सुबेदार मेजर (जेसीओ) के पद पर पश्चिम बंगाल के आसनसोल में तैनात है। नवीन सिंह मूलरुप से वाराणसी के रहने है। उनको सूचना दी गई है, रास्ते में हैं।
वह परिवार के साथ पीजीआई के पंचमखेड़ा स्थित जमुनापुरम कालोनी में रहते हैं। एडीसीपी पूर्वी कासिम आब्दी के मुताबिक नवीन के परिवार में पत्नी साधना सिंह, 16 साल का बेटा और 9 साल की बेटी है। तीनों पीजीआई में निर्मित मकान में रहते हैं।
शनिवार रात को साधना दोनों बच्चों के साथ कमरे में सो रही थी। रात करीब 3 बजे बेटे ने पिता की लाइसेंसी पिस्तौल से माँ के सिर में गोली मार दी। जिससे साधना की मौके पर ही मौत हो गई।
वहीं छोटी बहन को धमकी देकर दूसरे कमरे में लेकर गया। जहां पर दोनों सो गये। सुबह उठने के बाद बहन को दोबारा धमकी दी, कहा कि पुलिस या किसी को बताया तो उसे भी जान से मार देगा।
पिता को फोन कर कहा-मां को किसी ने मार दिया है
पुलिस के मुताबिक, किशोर ने बताया कि जिस कमरे में मां का शव पड़ा था, वहां रूम फ्रेशनर और डिओड्रेंट मारकर बदबू भगाने की कोशिश करता रहा।
मंगलवार रात करीब 9 बजे बदबू तेज हुई तो उसे डर लगने लगा। फिर उसने शव पर केमिकल डालकर डिस्पोज करने की कोशिश की। उसने आसनसोल में तैनात पिता को कॉल कर सूचना दी कि मां को किसी ने मार दिया।
हम दोनों को कमरे में बंद कर दिया था। किसी तरह बाहर निकले है। इस पर पिता नवीन सिंह ने पड़ोसी दिनेश तिवारी को कॉल कर घर पर वारदात होने की जानकारी दी। दिनेश जब नवीन के घर पर पहुंचे तो वहां दोनों बच्चे बरामदे में थे।
उन्होंने पूछताछ की तो बताया कि किसी ने मां को मार दिया है। जब दिनेश कमरे में गये तो वहां बदबू से खड़ा नहीं हो सके। इस पर उन्होंने तत्काल पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने दोनों बच्चों को बाहर ले गई। वहीं कमरे को सील कर दिया। शव की पड़ताल शुरू कर दी।
बेड पर खून से लथपथ शव व पिस्तौल मिली
एडीसीपी पूर्वी केमुताबिक साधना का शव जिस बेड पर पड़ा था। वहीं पर नवीन का लाइसेंसी पिस्तौल भी पड़ा था। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पिस्तौल को फोरेंसिक यूनिट को सुपुर्द कर दिया।
फोरेंसिक यूनिट ने मौके से कई साक्ष्य जुटाए। पुलिस के मुताबिक हत्या शनिवार रात में की गई थी। बदबू दूर करने के लिए रुम फ्रेशनर व डिओड्रेंट का इस्तेमाल किया जा रहा था।
शनिवार को मां ने पीटा था, इसी की थी नाराजगी
पुलिस के मुताबिक मौके पर पड़ताल करने के बाद पुलिस ने नवीन के नाबालिग बेटे से पूछताछ की। वहीं बेटी से महिला पुलिसकर्मियों ने पूछताछ किया। इस दौरान पूरा मामला खुलकर सामने आ गया। नाबालिग बेटे ने पुलिस के सामने कुबूल किया कि वह पबजी गेम खेलता था। जिसके लिए उसकी पिटाई भी होती थी।
शनिवार को घर में 10 हजार रुपये गायब हो गये थे, जिस पर मां ने नाराजगी जाहिर की। इन रुपये के चोरी करने का आरोप लगाते हुए पिटाई थी। नाबालिग बेटे ने पुलिस को बताया कि घर में कोई भी गलत काम होता था तो उस का सारा आरोप उसी पर लगता था। फिर पिटाई होती थी। इसी नाराजगी में उसने मां की हत्या कर दी है।
पबजी गेम व इंस्ट्राग्राम का है आदी
पुलिस के मुताबिक नवीन का नाबालिग बेटा तेलीबाग स्थित एपीएस स्कूल में 10वीं का छात्र है। वह पबजी गेम का आदी है। इस बात की जानकारी होने पर मां अक्सर उस पर नाराज होती थी। लेकिन नाबालिग बेटे को मां के नाराजगी का कोई फर्क नहीं पड़ता।
ज्यादा नाराज होने पर उसकी पिटाई कर दी जाती थी। वहीं वह इंस्ट्राग्राम का भी आदी था। उसने अपना प्रोफाइल बना रखा था। इन बातों की पुष्टि उसके मोबाइल से हो गई है।
पुलिस ने मोबाइल को कब्जे में ले लिया है। फिलहाल पुलिस इस मामले में नाबालिग बेटे से पूछताछ कर रही है। वहीं पिता के आने का इंतजार किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश
हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी
महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।
हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।
आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक
महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।
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