उत्तर प्रदेश
गोरखपुर: माफिया विनोद उपाध्याय का आलीशान आशियाना होगा ध्वस्त, बुलडोजर लेकर पहुंचे अधिकारी
गोरखपुर। फरार चल रहे गोरखपुर जनपद के 50 हजार के इनामी माफिया विनोद उपाध्याय का गुलरिहा के मोगलहा में स्थित आलीशान आशियाना ध्वस्त होगा। बिना नक्शा पास कराए निर्माण कराने पर गोरखपुर विकास प्राधिकरण (GDA) ने माफिया को नोटिस भेजा था। तय समय सीमा के भीतर जवाब न देने पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई हो रही है। मौके पर जीडीए के अधिकारियों के अलावा गुलरिहा थाना पुलिस व पीएसी के साथ एसपी सिटी कृष्ण कुमार बिश्नोई मौजूद हैं।
500 वर्ग मीटर पर बनवाया है आलीशान मकान
माफिया विनोद उपाध्याय ने गुलरिहा के सलेमपुर उर्फ मोगलहा में स्थित 500 वर्ग मीटर में बिना मानचित्र स्वीकृत कराए अवैध निर्माण कराया था।शिकायत पर 27 अप्रैल को जीडीए की टीम ने मौके पर पहुंचकर जांच की। मकान में रह रहे लोगों से मानचित्र के बारे में पूछा तो उन्होंने कुछ नहीं बताया।
जिसके बाद जीडीए के अधिकारियों ने वाद दायर करते हुए 12 मई तक कार्यालय में प्रस्तुत होकर अपना पक्ष रखने के लिए माफिया को नोटिस दिया था लेकिन वह प्रस्तुत नहीं हुआ।
30 मई को जीडीए के पीठासीन अधिकारी ने माफिया के अवैध निर्माण को 15 दिन में ध्वस्त करने का आदेश पारित किया था, जिसके अनुपालन में शनिवार की सुबह जीडीए की टीम बुलडोजर लेकर सलेमपुर उर्फ मोगलहा स्थित माफिया के मकान पर पहुंची तो ताला बंद था। मजिस्ट्रेट को बुलाकर उनकी मौजूदगी में ताला तोड़ने के बाद मकान को खाली कराया जा रहा है। मौके पर एसपी सिटी के अलावा जीडीए व प्रशासन के अधिकारी फोर्स के साथ मौजूद हैं।
पांच करोड़ बताई जा रही कीमत
जीडीए के अधिकारियों ने अवैध तरीके से बना माफिया विनोद उपाध्याय के घर का मूल्यांकन किया है। बताया जा रहा है करीब पांच करोड़ रुपये की लागत से उसका यह मकान बना है। सलेमपुर मोगलहा के अलावा शाहपुर व गोरखनाथ के धर्मशाला बाजार में भी माफिया का ठिकाना चिन्हित है जिसके बारे में नगर निगम व जीडीए की टीम जानकारी जुटा रही है।
जिले के टाप 10 में शामिल है विनोद
जबरिया वसूली, धमकी, कूटरचित दस्तावेज तैयार कर जालसाजी करने के मामले में फरार विनोद पर 50 हजार रुपये का इनाम घोषित है। गुलरिहा, शाहपुर थाना पुलिस के साथ ही क्राइम ब्रांच व एसटीएएफ की टीम गोरखपुर, लखनऊ, देवरिया के साथ ही आसपास के जिलों में पिछले 20 दिन से छापेमारी कर रही है। विनोद जिले के टाप 10 व प्रदेश के 61 माफिया की सूची में शामिल है।
उत्तर प्रदेश
हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी
महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।
हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।
आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक
महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।
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