Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

उत्तर प्रदेश

महाकुंभ-2025: बदल रहा है महाकुंभ में जन-आस्था के सबसे बड़े आकर्षण अखाड़ों का स्वरूप

Published

on

Loading

प्रयागराज। महाकुंभ में जन आस्था का सबसे बड़ा आकर्षण यहां आने वाले हिंदू सनातन धर्म के 13 अखाड़े और उनका शाही स्नान होता है। धार्मिक परम्परा का अनुगामी बनकर आगे बढ़ रहे सनातन धर्म के इन अखाड़ों में भी धीरे धीरे बदलाव हो रहा है।महाकुंभ में हिंदू सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करने वाले अखाड़ों में पर्यावरण संरक्षण का एजेंडा शामिल हो गया है। प्रदेश की योगी सरकार के कुंभ आयोजन से जुड़े दृष्टिकोण की प्रेरणा ने अखाड़ों के बदलाव में भूमिका निभाई है।

अखाड़ों की कार्य सूची में पर्यावरण संरक्षण का एजेंडा हुआ शामिल

प्रयागराज महाकुंभ को प्लास्टिक फ्री और ग्रीन कुंभ के रूप में आयोजित करने का योगी सरकार ने संकल्प लिया है। एक तरफ जहां कुंभ मेला प्रशासन इसके लिए निरंतर प्रयत्न कर रहा है तो वहीं दूसरी तरफ अखाड़ों और संतों के महाकुंभ के एजेंडे में भी सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के साथ पर्यावरण संरक्षण का एजेंडा शामिल हो गया है। निरंजनी अखाड़े के प्रयागराज स्थित मुख्यालय में 5 अक्टूबर 2024 को आयोजित हुई अखाड़ा परिषद की बैठक में पारित संकल्प प्रस्ताव में पर्यावरण संरक्षण भी एक बिंदु था। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी बताते हैं कि प्रकृति हैं तो मनुष्य है । इसलिए प्रकृति को बचाए रखने के लिए पर्यावरण संरक्षण का विषय महत्वपूर्ण है। महाकुंभ में इस बार अखाड़ों के संत भी लोगों को इसके लिए जागरूक करेंगे। इसके अलावा महाकुंभ में संतों और श्रद्धालुओं से प्लास्टिक और थर्मोकोल के बर्तनों के बजाय दोना पत्तल और मिट्टी के बर्तनों को बढ़ावा देने की अपील की गई है और इसके लिए योजना बनाई जा रही है।

वंचित और दलित संतों को अखाड़ों में महत्वपूर्ण पदों में जगह देने की नीति पर हो रहा है अमल

आदि शंकराचार्य ने बौद्धिक और सैन्य भावना से लैस ब्राह्मण और क्षत्रिय परिवारों से तरुण युवाओं को एकत्र कर राष्ट्र और संस्कृति की रक्षा के लिए जो सेना तैयार की उन्हीं से 13 अखाड़ों का अस्तित्व सामने आया। अपनी धार्मिक परम्परा के अनुसार लंबे समय से सनातन धर्म के ये अखाड़े अपनी धार्मिक यात्रा तय कर रहे हैं। योगी सरकार के 2019 के भव्य, दिव्य और स्वच्छ कुंभ के आयोजन में अखाड़ों में बदलाव की बयार देखने को मिली है। अखाड़ों में समाज के वंचित और दलित वर्ग से आने वाले साधु संतो को भी अखाड़ों में बड़े पदों पर आसीन किया गया। सबसे पहले दलित समाज से आने वाले जूना अखाड़े के संत कन्हैया प्रभु नंद गिरी को 2019 में जूना अखाड़े का महा मंडलेश्वर बनाया गया। इस परम्परा को आगे बढ़ाते हुए इस महाकुंभ में 450 से अधिक वंचित और दलित समाज से आने वाले संतों को इस बार महा मंडलेश्वर, महंत और मंडलेश्वर जैसी उपाधियां दी जाएंगी। जूना अखाड़े के संरक्षक महंत हरि गिरी की अगुवाई में इस साल महाकुंभ में जूना अखाड़े में 370 दलित महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, महंत और पीठाधीश्वर बनाया जाना है जिसकी सूची तैयार है। श्री पंचायती अखाड़ा उदासीन निर्वाण के श्री महंत दुर्गादास बताते हैं कि उनके अखाड़े में भी इस महाकुंभ में वंचित और दलित समाज से सम्बन्ध रखने वाले साधुओं को उच्च स्थान देने की तैयारी है। श्री पंचायती अखाड़ा महा निर्वाणी के सचिव महंत जमुना पुरी का कहना है अखाड़ों में आए इस बदलाव के पीछे उत्तर प्रदेश के संत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की वंचित समाज से आने वाले महात्माओं को भी योग्यतानुसार अखाड़ों में सम्मानित करने और उन्हें पदासीन करने की प्रेरणा भी है। सनातन धर्म को संरक्षित करने के लिए देश ही नहीं दुनिया भर से वंचितों को जोड़ने की आवश्यकता है।

संन्यास के बाद अखाड़ों में सदस्यता और महत्वपूर्ण पद प्रदान करने में मातृ शक्ति को मिल रही है प्राथमिकता

अखाड़े शिव और शक्ति का प्रतीक हैं। मातृ शक्ति को हमेशा को अखाड़ों का पूजनीय माना गया है। सनातन धर्म की ध्वजा फहराने में भी नारी शक्ति भी किसी से पीछे नहीं हैं। प्रयागराज में 2019 में आयोजित कुंभ में देश और प्रदेश में नारी सशक्तीकरण की गूंज का असर देखने को मिला और बड़ी संख्या में महिला संतो को महामंडलेश्वर के पद पर विभूषित करते हुए उनका पट्टाभिषेक किया गया। निर्मोही अनि अखाड़े के सचिव महंत राजेंद्र दास का कहना है कि पिछले कुम्भ मेले में आठ विदेशी महिलाओं को महंत बनाया था। इस महाकुंभ में नारी शक्ति को बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी ताकि अखाड़े के सचिव महंत राजेंद्र दास का कहना है कि चारों दिशाओं में सनातन का प्रचार प्रसार हो सके। विभिन्न अखाड़ों की तरफ से 53 महिला संतो को इस बार महंत व महा मंडलेश्वर बनाने की तैयारी है।

Continue Reading

उत्तर प्रदेश

महाकुम्भ 2025 के सफल आयोजन के लिए 07 हजार बसों के अलावा 550 शटल बसें संचालित करेगा परिवहन निगम

Published

on

Loading

लखनऊ/प्रयागराज। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशन में उ0प्र0 परिवहन निगम दिव्य, भव्य एवं ग्रीन महाकुम्भ मेला-2025 के सफल आयोजन के लिए 07 हजार बसों को संचालित करेगा। परिवहन निगम प्रदेश के सभी महत्वपूर्ण स्थानों से सुगम, सस्ती एवं आरामदायक सुविधायें उपलब्ध कराने के लिए कटिबद्ध है।

महाकुम्भ मेला में सड़क मार्ग से पूर्वाचल से अधिक संख्या में तीर्थयात्री आते हैं। इसके दृष्टिगत पूर्वांचल के छोटे-छोटे कस्बों से मेला स्थल को जोड़ते हुए बसों के संचालन की योजना परिवहन निगम ने तैयार की है। महिला एवं वृद्ध तीर्थयात्रियों को विशेष सुविधा प्रदान करने की योजना बनाई गयी है।

3 चरणों में संचालन

एमडी परिवहन निगम मासूम अली सरवर ने बताया कि महाकुम्भ मेला 2025 के दौरान मुख्य स्नान 13 जनवरी से 26 फरवरी, 2025 के बीच पड़ रहे, जिसमें मौनी अमावस्या का शाही स्नान 29 जनवरी एवं बसंत पंचमी का शाही स्नान 03 फरवरी, 2025 को है। महाकुम्भ 2025 के दौरान लगभग 6800 परिवहन बसें एवं लगभग 200 वातानुकूलित बसों का संचालन किये जाने की योजना है।

प्रथम चरण में 12 जनवरी से 23 जनवरी तक द्वितीय चरण में 24 जनवरी से 07 फरवरी तक एवं तीसरे चरण में 08 फरवरी से 27 फरवरी तक तीन चरणों में महाकुम्भ मेले में संचालन को बाटा गया है। निगम के कुल 19 क्षेत्रों से लगभग 165 मार्गों पर निगम की बसों का संचालन किया जायेगा।

550 शटल बसें चलाई जाएंगी

एमडी परिवहन निगम ने बताया कि बसों के अतिरिक्त 550 शटल बसें विभिन्न स्थाई एवं अस्थाई बस स्टेशनों एवं विभिन्न मार्गों पर निर्धारित वाहन पार्किंग स्थलों से संगम तट के निकट स्थित भारद्वाज पार्क एवं भारत स्काउट गाइड कालेज बैक रोड तक तथा लेप्रोसी बस स्टेशन व अंधावा बस स्टेशन तक संचालित किये जाने की योजना है।

उन्होंने बताया कि मुख्य स्नान पर्व पर शश्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़ बढ़ने के कारण शास्त्रीपुल, फाफामऊ पुल एवं यमुना पुल यातायात हेतु प्रतिबंधित रहने की स्थिति में शहर के बाहर कुल 08 अस्थाई बस स्टेशन गठित किये जायेंगे, जिसमें झूसी बस स्टेशन, दुर्जनपुर बस स्टेशन, सरस्वतीगेट बस स्टेशन, नेहरू पार्क बस स्टेशन, बेली कछार बस स्टेशन, बेला कछार बस स्टेशन, सरस्वती हाइटेक सिटी मेनू एवं लेप्रोसी मिशन बस स्टेशन हैं।

इन मार्गों प्रभाग संचालन

एमडी ने बताया कि झूसी बस स्टेशन से दोहरी घाट, बड़हलगंज, गोला, उरूवा, खजनी, सीकरीगंज, गोरखपुर मार्ग, आजमगढ़-बलिया-मऊ व सम्बद्ध मार्ग के लिए बसों का संचालन किया जायेगा। दुर्जनपुर बस स्टेशन का उपयोग झूसी बस स्टेशन की बसों का संचालन मेला प्रशासन द्वारा रोके जाने पर किया जायेगा।

इसी प्रकार सरस्वतीगेट बस स्टेशन से बदलापुर, शाहगंज, टांडा व सम्बद्ध मार्ग एवं वाराणसी एवं संबद्ध मार्ग के लिए बसों का संचालन किया जायेगा, नेहरू पार्क बस स्टेशन से कानपुर एवं कौशाम्बी को संबद्ध मार्ग के लिए, बेला कछार बस स्टेशन से रायबरेली लखनऊ व संबद्ध मार्ग एवं फैजाबाद, अयोध्या, गोण्डा, बस्ती, बहराइच व संबद्ध मार्ग के लिए, सरस्वती हाइटेक सिटी नैनी से विन्ध्यांचल, मिर्जापुर, शक्तिनगर व संबद्ध मार्ग के लिए, लैप्रोसी मिशन बस स्टेशन से बांदा-चित्रकूट व संबद्ध मार्ग एवं रीवा-सीधी व संबद्ध मार्ग के लिए संचालन किया जायेगा।
नेहरू पार्क बस स्टेशन पर बसों का संचालन मेला प्रशासन द्वारा रोके जाने पर बसों का संचालन बेली कछार बस स्टेशन से किया जायेगा।

Continue Reading

Trending