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उत्तर प्रदेश

महाकुंभ-2025: बदल रहा है महाकुंभ में जन-आस्था के सबसे बड़े आकर्षण अखाड़ों का स्वरूप

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प्रयागराज। महाकुंभ में जन आस्था का सबसे बड़ा आकर्षण यहां आने वाले हिंदू सनातन धर्म के 13 अखाड़े और उनका शाही स्नान होता है। धार्मिक परम्परा का अनुगामी बनकर आगे बढ़ रहे सनातन धर्म के इन अखाड़ों में भी धीरे धीरे बदलाव हो रहा है।महाकुंभ में हिंदू सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करने वाले अखाड़ों में पर्यावरण संरक्षण का एजेंडा शामिल हो गया है। प्रदेश की योगी सरकार के कुंभ आयोजन से जुड़े दृष्टिकोण की प्रेरणा ने अखाड़ों के बदलाव में भूमिका निभाई है।

अखाड़ों की कार्य सूची में पर्यावरण संरक्षण का एजेंडा हुआ शामिल

प्रयागराज महाकुंभ को प्लास्टिक फ्री और ग्रीन कुंभ के रूप में आयोजित करने का योगी सरकार ने संकल्प लिया है। एक तरफ जहां कुंभ मेला प्रशासन इसके लिए निरंतर प्रयत्न कर रहा है तो वहीं दूसरी तरफ अखाड़ों और संतों के महाकुंभ के एजेंडे में भी सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के साथ पर्यावरण संरक्षण का एजेंडा शामिल हो गया है। निरंजनी अखाड़े के प्रयागराज स्थित मुख्यालय में 5 अक्टूबर 2024 को आयोजित हुई अखाड़ा परिषद की बैठक में पारित संकल्प प्रस्ताव में पर्यावरण संरक्षण भी एक बिंदु था। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी बताते हैं कि प्रकृति हैं तो मनुष्य है । इसलिए प्रकृति को बचाए रखने के लिए पर्यावरण संरक्षण का विषय महत्वपूर्ण है। महाकुंभ में इस बार अखाड़ों के संत भी लोगों को इसके लिए जागरूक करेंगे। इसके अलावा महाकुंभ में संतों और श्रद्धालुओं से प्लास्टिक और थर्मोकोल के बर्तनों के बजाय दोना पत्तल और मिट्टी के बर्तनों को बढ़ावा देने की अपील की गई है और इसके लिए योजना बनाई जा रही है।

वंचित और दलित संतों को अखाड़ों में महत्वपूर्ण पदों में जगह देने की नीति पर हो रहा है अमल

आदि शंकराचार्य ने बौद्धिक और सैन्य भावना से लैस ब्राह्मण और क्षत्रिय परिवारों से तरुण युवाओं को एकत्र कर राष्ट्र और संस्कृति की रक्षा के लिए जो सेना तैयार की उन्हीं से 13 अखाड़ों का अस्तित्व सामने आया। अपनी धार्मिक परम्परा के अनुसार लंबे समय से सनातन धर्म के ये अखाड़े अपनी धार्मिक यात्रा तय कर रहे हैं। योगी सरकार के 2019 के भव्य, दिव्य और स्वच्छ कुंभ के आयोजन में अखाड़ों में बदलाव की बयार देखने को मिली है। अखाड़ों में समाज के वंचित और दलित वर्ग से आने वाले साधु संतो को भी अखाड़ों में बड़े पदों पर आसीन किया गया। सबसे पहले दलित समाज से आने वाले जूना अखाड़े के संत कन्हैया प्रभु नंद गिरी को 2019 में जूना अखाड़े का महा मंडलेश्वर बनाया गया। इस परम्परा को आगे बढ़ाते हुए इस महाकुंभ में 450 से अधिक वंचित और दलित समाज से आने वाले संतों को इस बार महा मंडलेश्वर, महंत और मंडलेश्वर जैसी उपाधियां दी जाएंगी। जूना अखाड़े के संरक्षक महंत हरि गिरी की अगुवाई में इस साल महाकुंभ में जूना अखाड़े में 370 दलित महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, महंत और पीठाधीश्वर बनाया जाना है जिसकी सूची तैयार है। श्री पंचायती अखाड़ा उदासीन निर्वाण के श्री महंत दुर्गादास बताते हैं कि उनके अखाड़े में भी इस महाकुंभ में वंचित और दलित समाज से सम्बन्ध रखने वाले साधुओं को उच्च स्थान देने की तैयारी है। श्री पंचायती अखाड़ा महा निर्वाणी के सचिव महंत जमुना पुरी का कहना है अखाड़ों में आए इस बदलाव के पीछे उत्तर प्रदेश के संत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की वंचित समाज से आने वाले महात्माओं को भी योग्यतानुसार अखाड़ों में सम्मानित करने और उन्हें पदासीन करने की प्रेरणा भी है। सनातन धर्म को संरक्षित करने के लिए देश ही नहीं दुनिया भर से वंचितों को जोड़ने की आवश्यकता है।

संन्यास के बाद अखाड़ों में सदस्यता और महत्वपूर्ण पद प्रदान करने में मातृ शक्ति को मिल रही है प्राथमिकता

अखाड़े शिव और शक्ति का प्रतीक हैं। मातृ शक्ति को हमेशा को अखाड़ों का पूजनीय माना गया है। सनातन धर्म की ध्वजा फहराने में भी नारी शक्ति भी किसी से पीछे नहीं हैं। प्रयागराज में 2019 में आयोजित कुंभ में देश और प्रदेश में नारी सशक्तीकरण की गूंज का असर देखने को मिला और बड़ी संख्या में महिला संतो को महामंडलेश्वर के पद पर विभूषित करते हुए उनका पट्टाभिषेक किया गया। निर्मोही अनि अखाड़े के सचिव महंत राजेंद्र दास का कहना है कि पिछले कुम्भ मेले में आठ विदेशी महिलाओं को महंत बनाया था। इस महाकुंभ में नारी शक्ति को बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी ताकि अखाड़े के सचिव महंत राजेंद्र दास का कहना है कि चारों दिशाओं में सनातन का प्रचार प्रसार हो सके। विभिन्न अखाड़ों की तरफ से 53 महिला संतो को इस बार महंत व महा मंडलेश्वर बनाने की तैयारी है।

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उत्तर प्रदेश

महाकुम्भ में कॉल करते ही 30 मिनट में पहुंचेगी ऑटोमैटिक ब्लोअर मिस्ट

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महाकुम्भनगर : महाकुम्भ में इस बार स्वच्छता के लिहाज से विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं। सीएम योगी के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग ने संत महात्माओं के साथ-साथ श्रद्धालुओं के लिए भी विशेष व्यवस्था की है। यहां मच्छर और मक्खियों से पूरी तरह से निजात रहेगी। सीएम के निर्देश पर कुछ इस तरह के इंतजाम किए गए हैं कि महाकुम्भ के किसी भी कोने से बस एक कॉल करते ही 30 मिनट के भीतर ऑटोमैटिक ब्लोअर मिस्ट मौके पर पहुंचकर मच्छर और मक्खी का खत्म कर देगी। अखाड़ों और टेंट सिटी को इंसेक्ट फ्री बनाने के साथ ही स्वच्छ वातावरण के लिए बेहतर इंतजाम किए जा रहे हैं, जिसके तहत 110 अत्याधुनिक ब्लोअर मिस्ट और 107 मिनी फॉगिंग मशीन तैनात की जा रही हैं।

78 स्पेशल ऑफिसर तैनात

सीएम योगी के निर्देश पर महाकुम्भनगर में सफाई व्यवस्था का विशेष इंतजाम किया जा रहा है। महाकुम्भ के नोडल जॉइंट डायरेक्टर (वेक्टर कंट्रोल) डॉ वीपी सिंह ने बताया कि महाकुम्भ के दौरान चप्पे-चप्पे पर कीटनाशक का छिड़काव किए जाने की तैयारी है। श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न होने पाए इसके लिए 62 पल्स फॉगिंग मशीनें भी मंगवाई गई हैं। इस बार महाकुम्भ में संतों और श्रद्धालुओं की हिफाजत के लिए 78 स्पेशल ऑफिसर तैनात किए जा रहे हैं।

मलेरिया इंस्पेक्टर बोलेंगे, मे आई हेल्प यू

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस बार के महाकुम्भ को हर बार के कुम्भ से ज्यादा दिव्य और भव्य बनाना चाहते हैं, जिसके तहत स्वास्थ्य विभाग को इस बार विशेष इंतजाम करने के निर्देश दिए गए हैं। मेला क्षेत्र में मलेरिया इंस्पेक्टर की तैनाती की जा रही है, जो श्रद्धालुओं की सुविधाओं का विशेष ध्यान रखेंगे। एक एक अखाड़े में जाकर मलेरिया इंस्पेक्टर संतों और महात्माओं से बात करेंगे और मच्छर, मक्खी की समस्या का तत्काल निदान भी करेंगे।

अफसर रखेंगे सुविधाओं का ध्यान

मेला में वेक्टर कंट्रोल के असिस्टेंट नोडल और डीएमओ डॉ आनंद कुमार सिंह ने बताया कि महाकुम्भ में पहली बार संतों और श्रद्धालुओं की हिफाजत के लिए इतने व्यापक इंतजाम किए जा रहे हैं। 78 स्पेशल ऑफिसर तैनात किए जा रहे हैं।श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए अभी फिलहाल 45 मलेरिया इंस्पेक्टरों की तैनाती की योजना बनाई गई है। इनके अलावा 28 असिस्टेंट मलेरिया इंस्पेक्टर भी तैनात किए जाएंगे, जो साधु संतों के साथ साथ श्रद्धालुओं की भी देखभाल करेंगे। इनके अलावा 5 डीएमओ की भी अलग से तैनाती की जा रही है, ताकि महाकुम्भ में किसी प्रकार की असुविधा न होने पाए।

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