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आध्यात्म

1 मार्च को है महाशिवरात्रि, पूजन में भूल कर भी ना करें इन चीज़ों का इस्तेमाल

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भगवान शिव को प्रिय महाशिवरात्रि का पर्व इस बार 1 मार्च के दिन मनाई जा रही है। इस दिन भगवान शिव की पूजा-अराधना की जाती है। मान्यता है कि इस दिन भोलेनाथ की सच्चे मन से पूजा उपासना करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव परिवार की पूजा होती है। भोलेनाथ को इस दिन चंदन, अक्षत, बेलपत्र, धतूरा और आंकड़े के फूल अर्पित करने चाहिए।

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भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनकी प्रिय चीजें ही पूजा के समय उन्हें भेंट करनी चाहिए। इतना ही नहीं, कहते हैं कि इस दिन घी, शक्कर और गेंहू के आटे से बने प्रसाद का भोग लगाना चाहिए। और साथ ही धूप और दीप से आरती करनी चाहिए. मान्यता है कि शिव जी पर गाय का कच्चा दूध अर्पित करना चाहिए। इन सब चीजों को करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। भोलेनाथ की पूजा में कुछ चीजों को भूलकर भी शामिल नहीं करना चाहिए। आइए जानें।

Maha Shivratri: Puja Items That Should Not Be Used For Shiva Abhisheka -  News Nation English

महाशिवरात्रि पर इन बातों का रखें ध्यान

धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भोलेनाथ को कुछ चीजें भूलकर भी अर्पित नहीं करनी चाहिए। इससे आपको पूजा का फल मिलने की बजाय नुकसान उठाना पड़ सकता है। जानें इन चीजों के बारे में।

शंख

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शास्त्रों में उल्लेख है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा में शंख भूलकर भी शामिल न करें। क्योंकि शंखचूर नामक असुर का वध भगवान शिव ने किया था। इसलिए उनकी पूजा में इसे शामिल करने की मनाही होती है।

कुमकुम या रोली

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इसके साख ही भगवान शिव को कुमकुम और रोली भूलकर भी न लगाएं।

तुलसी का पत्ता

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मान्यता है कि भोलेनाथ को तुलसी का पत्ता भी अर्पित नहीं करना चाहिए। पौराणिक कथा के अनुसार जलंधर की पत्नी वृंदा तुलसी का पौधा बन गई थी। भगवान शिव ने जलंधर का वध किया था। और इसी कारण वृंदा ने शिव पूजा में तुलसी के पत्ते इस्तेमाल न करने को कहा था।

नारियल पानी

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नारियल पानी से भगवान शिव का अभिषेक भूलकर भी न करें।

फूल

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भगवान शिव के भक्तों को पूजा के दौरान केतकी और केवड़े के फूल का इस्तेमाल करने की मनाही होती है। साथ ही, कनेर और कमल के फूल के अलावा लाल रंग के फूल भी प्रिय नहीं है।

हल्दी

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इस बात का भी ध्यान रखें कि भगवान शिव को भूलकर भी हल्दी अर्पित न करें।

आध्यात्म

मौनी अमावस्या स्नान के पहले नव्य प्रकाश व्यवस्था से जगमग हुई कुम्भ नगरी प्रयागराज

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महाकुम्भ नगर। त्रिवेणी के तट पर आस्था का जन समागम है। महाकुम्भ के इस आयोजन को दिव्य ,भव्य और नव्य स्वरूप देने के लिए इससे जुड़े शहर के उन मार्गों और चौराहों को भी आकर्षक स्वरूप दिया गया है जहां से होकर पर्यटक और श्रद्धालु महा कुम्भ पहुंच रहे हैं। इसी क्रम में अब सड़क किनारे के वृक्षों को रोशनी के माध्यम से नया स्वरूप दिया गया है।

मौनी से पहले शहर की प्रकाश व्यवस्था को दिया गया नया लुक

प्रयागराज महा कुम्भ आ रहे आगंतुकों के स्वागत के लिए की कुम्भ नगरी की सड़कों को सजाया गया, शहर के चौराहे सुसज्जित किए गए और बारी है सड़क के दोनों तरह मौजूद हरे भरे वृक्षों को नया लुक देने की । नगर निगम प्रयागराज ने इस संकल्प को धरती पर उतारा है। नगर निगम के मुख्य अभियंता ( विद्युत ) संजय कटियार बताते हैं कि शहर में सड़क किनारे लगे वृक्षों का नया लुक देने के यूपी में पहली बार नियॉन और थीमेटिक लाइट के संयोजित वाली प्रकाश व्यवस्था लागू की गई है। इस नई व्यवस्था में शहर के महत्वपूर्ण मार्गों के 260 वृक्षों के तनों, शाखाओं और पत्तियों में अलग अलग थीम की रोशनी लगाई गई है। इनमें नियॉन और स्पाइरल लाइट्स को इस तरह संयोजित किया गया है जिसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है कैसे रात के अंधेरे में पूरा वृक्ष आलोकित हो गया है। शहर से गुजरकर महा कुम्भ जाने वक्ष पर्यटक और श्रद्धालु इस भव्य प्रकाश व्यवस्था का अवलोकन कर सकेंगे।

शहर के 8 पार्कों में भी लगाए म्यूरल्स

सड़कों और चौराहों के अलावा शहर के अंदर के छोटे बड़े पार्कों में भी पहली बार उन्हें सजाने के लिए नए ढंग से संवारा गया है। नगर निगम के चीफ इंजीनियर ( विद्युत) संजय कटियार का कहना है कि शहर के चयनित आठ पार्कों में पहली बार कांच और रोशनी के संयोजन से म्यूरल्स बनाए गए हैं जो वहां से गुजरने वालों का ध्यान खींच रहे हैं। 12 तरह के म्यूरल्स इन पार्कों में लगाए गए हैं जो बच्चों के लिए खास तौर पर आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं। इसके पूर्व शहर शहर की 23 प्रमुख सड़कों , आरओबी , और फ्लाईओवर्स पर स्ट्रीट लाइट और पोल पर अलग-अलग थीम पर आधारित रंग-बिरंगे डिजाइन वाले मोटिव्स लगाए गए थे ।

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