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उत्तर प्रदेश

कृत्रिम बुद्धिमत्ता व साइबर सुरक्षा पर मोटिवेशनल कैंप संपन्न, ग्रामीण विद्यार्थी लाभान्वित

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पुरवा (उन्नाव)। एमआरआरएस इंटर कॉलेज पुरवा, उन्नाव में इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट एंड एडवांस्ड स्टडीज (आईएमएएस) लखनऊ तथा राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तथा साइबर सुरक्षा हेतु चल रहे मोटिवेशनल कैंप के तीसरा दिन का सफलता पूर्वक समापन हो गया।

अंतिम दिन विद्यार्थियों के बीच आंचलिक विज्ञान नगरी लखनऊ की साइंस बस आकर्षण का केंद्र रही। इसमें बच्चों को साइबर सुरक्षा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता को लेकर फिल्म दिखाई गई तथा जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी जागरूक किया गया, साथ ही वायु दबाव, गुरुत्वाकर्षण तथा विज्ञान और चमत्कार विषयों पर भी बच्चों को जानकारी दी गई।

जिसमें शिक्षा अधिकारी शोएब उस्मानी, माता प्रसाद और प्रेमचंद तिवारी ने अहम भूमिका निभाई। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि राजकीय गर्ल्स इंटर कॉलेज पुरवा की प्रधानाचार्या शुभ्रा सिंह थीं।

प्रबंधक रमेश चंद्र गुप्त, प्रधानाचार्य डॉ. दिलीप कुमार सिंह, विज्ञान समन्वयक अवध किशोर, सहायक समन्वयक अल्पना मौर्य, शिक्षक साथी सुरजन सिंह, कुलदीप कुमार, कुलदीप कमल, शेर बहादुर सिंह, राजेश कुमार, पीयूष तिवारी, अशोक कुमार गुप्ता, लालू,  जयदीप बाजपेई, मृदुल बाजपेई, राजेन्द्र सिंह, रूलेन्द्र सिंह, सुनील कुमार, लिपिक कर्मचारी, अमित कुमार मिश्रा, राधेश्याम, ओमप्रकाश, विनोद, कुलदीप, पुत्तन, चंदन आदि का तीन दिवसीय कार्यक्रम में सहयोग रहा।

इसमें करीब दो हजार विद्यार्थी लाभान्वित हुए। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद्, भारत सरकार के वरिष्ठ वैज्ञानिक सुजीत बनर्जी के कुशल मार्गदर्शन में अयोजित किया जा रहा है।

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उत्तर प्रदेश

लखनऊ में बाघ का आतंक, तमाम उपायों के बाद भी नहीं आ रहा हाथ, कई क्षेत्रों में डर का माहौल

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लखनऊ। रहमानखेड़ा केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान में बाघ ने एक और पड़वे (भैंस के बच्चे) का शिकार किया है। यह बाघ का 15वां शिकार है। बाघ ने वन विभाग को एक बार फिर चकमा देते हुए जंगल में उसी जगह शिकार किया जहां उसको फंसाने के लिए गड्ढा खोदा गया है। जंगल के जोन एक के बेल वाले ब्लॉक में वन विभाग ने 15 फीट गहरा गड्ढा खोद झाड़ियों से ढक दिया है ताकि बाघ शिकार करने का प्रयास करें तो गहरे गड्ढे में गिर जाए।

फिर उसे ट्रैंकुलाइज किया जा सके। यहीं एक पिंजरा भी लगाया गया है जिसमें पड़वे को बांधा गया था। हालांकि वन विभाग की सारी तरकीबें धरी रह गई हैं। मंगलवार भोर में बाघ ने पड़वा को अपना निवाला बनाया। न वो पिंजरे में फंसा न गड्ढे में गिरा। सुबह जानकारी पर जांच करने पहुंची टीम को पड़वे का क्षतविक्षत शव मिला। मौके से बाघ के पगचिह्न भी मिले।

विशेषज्ञों का कहना है कि बाघ 24 घंटे के अंदर अपने शिकार का बचा हुआ मांस खाने के लिए दोबारा आ सकता है। वन विभाग की टीम ने बाघ की तलाश में मीठेनगर, उलरापुर और दुगौली के आसपास मौजूद जंगल में डायना और सुलोचना हथिनियों से कॉम्बिंग की लेकिन उसका पता नहीं लगा। शिकार की जानकारी पर अपर मुख्य वन संरक्षक रेणू सिंह ने टीम लीडर आकाशदीप बधावन व डीएफओ सितांशु पांडेय के साथ शिकार स्थल का जायजा लिया। यहां सक्रिय टीम को मृत पड़वे के पास निगरानी करने का निर्देश दिए।

तीन दर्जन से अधिक वाहनों की आवाजाही नो- गो- जोन में कर रही शोर गुल

वन विभाग ने रहमान खेड़ा में नो-गो जोन घोषित किया है। इसके बावजूद वन विभाग के ही 30 से ज्यादा वाहनों की हलचल यहां हर दिन रहती है। मंगलवार को दोपहर में अधिकारियों समेत वन विभाग टीम के करीब दो दर्जन चार पहिया वाहन कमांड ऑफिस के आस-पास खड़े थे। संस्थान के कर्मियों के वाहन व बसों की आवाजाही भी यहां रहती है। मचान व पिंजरों के पास भी वाहनों के साथ अधिकारी आ जा रहे हैं। इसी के चलते बाघ पकड़ में नहीं आ पा रहा है।

 

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