उत्तर प्रदेश
हाथ जोड़कर कोर्ट में गिड़गिड़ाया माफिया मुख्तार अंसारी, बोला- बुजुर्ग और बीमार हूं कम हो सजा
वाराणसी। अपर सिविल जज (सीनियर डिवीजन)/एमपी-एमएलए कोर्ट वाराणसी के प्रभारी उज्ज्वल उपाध्याय की अदालत में मुख्तार अंसारी बांदा जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पेश हुआ था। गुरुवार को लंच से पहले अदालत से दोषी करार दिए जाने से पहले ही मुख्तार का चेहरा उतरा हुआ और वह मायूस दिखा।
दोषी करार दिए जाते ही उसका सिर झुक गया। फिर, वह सिर झुकाए ही खड़ा रहा। लंच के बाद सजा सुनाए जाने से पहले मुख्तार ने हाथ जोड़कर अदालत से कहा कि वह बुजुर्ग और बीमार है। लंबे समय से जेल में है। लिहाजा, उसे कम से कम सजा दी जाए।
मुख्तार अंसारी के सजा के सवाल पर अभियोजन ने कहा कि वादी महावीर प्रसाद रुंगटा को बम से उड़ाने की धमकी दी गई थी। अभियुक्त जनप्रतिनिधि था और समाज के प्रति उसकी जिम्मेदारी थी।
समाज की सुरक्षा और सामाजिक भलाई में उसके योगदान की जरूरत थी। इसके बावजूद जिस परिवार को सदस्य अपहृत हुआ, उसके परिवार को बम से उड़ाने की धमकी दी गई। ऐसे में अभियुक्त को अधिकतम सजा से दंडित किया जाए।
आरोप साबित करने में सफल रहा अभियोजन
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि आपराधिक वाद में अभियुक्त के दायित्व का निर्धारण युक्ति युक्त संदेह के परे किया जाता है। इस मामले में अभिलेख पर उपलब्ध साक्ष्य के द्वारा अभियोजन युक्ति युक्त संदेह से परे यह साबित करने में सफल रहा है कि अभियुक्त मुख्तार अंसारी ने पांच नवंबर 1997 की शाम लगभग पांच बजे महावीर प्रसाद रुंगटा को टेलीफोन से जान से मारने की धमकी दी थी।
इस तरह से भारतीय दंड संहिता की धारा 503 में परिभाषित और धारा 506 के खंड दो के तहत दंडनीय अपराध अभियुक्त मुख्तार अंसारी द्वारा किया गया है। ऐसे में उसे पांच वर्ष छह माह की कैद और 10 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया जाता है।
उत्तर प्रदेश
हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी
महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।
हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।
आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक
महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।
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