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प्रादेशिक

मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना से 10 लाख 93 हजार बेटियों को मिली सहायता

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लखनऊ। मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ की स्‍वर्णिम योजना कन्‍या सुमंगला बेटियों के लिए कारगर साबित हो रही है। अप्रैल 2019 से शुरू हुई इस योजना के तहत 10 लाख 93 हजार बेटियों को सीधा लाभ मिल रहा है। इस योजना से प्राइमरी, अपर प्राइमरी, माध्यमिक तथा उच्च शिक्षा की पढ़ाई करने वाली छात्राओं को लाभ मिल रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के प्रयासों से कन्या सुमंगला योजना से महज छह माह में 01 लाख 01 हजार नई बालिकाओं को जोड़ा गया है। जिनको पीएफएमएस के जरिए पीएम द्वारा 20 करोड़ 20 हजार की राशि का भुगतान किया।

महिला कल्याण एवं बाल विकास के निदेशक मनोज राय ने बताया कि योजना के तहत जन्‍म से डिग्री या डिप्‍लोमा कोर्स में प्रवेश लेने तक छह श्रेणियों में बेटियों को लाभ दिया जा रहा है। जिसके तहत बेटी के जन्‍म पर 2000, 01 साल के टीकाकरण पूर्ण करने पर 1000, कक्षा एक में दाखिला लेने वाली छात्राओं को 2000, कक्षा 6 में दाखिला लेने वाली छात्राओं को भी 02 हजार, माध्यमिक स्कूलों में कक्षा 9 में दाखिला लेने वाली छात्राओं को 03 हजार और दसवीं और 12वीं पास करने या स्‍नातक या 2 वर्षीय अथवा इससे अधिक के डिप्लोमा कोर्स में प्रवेश लेने वाली छात्राओं को 5000 की एकमुश्त सहायता दी जा रही है।

योजना के तहत शिक्षा के क्षेत्र में मिल रहा प्रोत्‍साहन

उत्‍तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्‍यनाथ की स्‍वर्णिम योजना का मुख्‍य उद्देश्‍य प्रदेश में बेटियों के लिए स्‍वास्‍थ्‍य व शिक्षा सुविधाओं को सुदृढ़ बनाते हुए समाज से कुरीतियों को दूर करना है। प्रदेश में कन्‍या भ्रूण हत्‍या, बाल विवाह पर लगाम कसते हुए समान लिंगानुपात स्‍थापित कर नवजात कन्‍या को आर्थिक मदद देने का कार्य इस योजना के तहत किया जा रहा है। मनोज कुमार राय ने बताया है कि इस योजना के माध्यम हम न सिर्फ बालिकाओं को शिक्षा से जोड़ने का प्रयास कर रहें हैं बल्कि कन्या भ्रूण हत्या जैसी कुप्रथाओं के प्रति भी लोगों को जागरूक करते हुए उनकी सोच में बदलाव के प्रयास कर रहें हैं।

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उत्तर प्रदेश

हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी

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महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।

हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।

आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।

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