प्रादेशिक
एनसीसी कंपनी ने अक्षय पात्र को गिफ्ट में दी दो महिंद्रा बोलेरो
लखनऊ। एनसीसी लिमिटेड हैदराबाद ने अक्षय पात्र फाउंडेशन के वाराणसी किचन को दो महिंद्रा बोलेरो गाड़ी उपहार में दिए। कंपनी के प्रतिनिधि एमपी राजू ने वाहन की चाभी अक्षय पात्र किचन के सीनियर मैनेजर ऑपरेशन राहुल कुमार झा को दिया। इस अवसर पर स्कूल के छात्र-छात्राओं के साथ अतिथि के रूप में शिक्षा विभाग के एडीआईओएस जयराम सिंह जी भी उपस्थित थे। इस वाहन से 4000 बच्चों को दोपहर का पौष्टिक भोजन जा सकेगा।
अक्षय पात्र किचन पहुंचने पर वाराणसी किचन के सीनियर मैनेजर ऑपरेशन राहुल कुमार झा ने एनसीसी के एमपी राजू का स्वागत किया व वहां उपस्थित सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। फिलहाल वाराणसी के सेवापुरी, हरहुआ, दशाश्वमेध, वरुनापर व रामनगर 470 स्कूलों के 64445 बच्चों को अक्षय पात्र द्वारा दोपहर का पौष्टिक भर पेट भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में अक्षय पात्र फाउंडेशन का किचन मथुरा व लखनऊ के गोरखपुर में भी काम कर रहा है। लखनऊ में जहां 1472 स्कूलों के करीब सवा लाख बच्चों को दोपहर का भोजन दिया जा रहा है वहीं मथुरा में भी दो हजार स्कूलों के करीब सवा लाख बच्चों को दोपहर का पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। वाराणसी में अक्षय पात्र किचन का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के कर कमलों से 7 जुलाई 2022 में हुआ था। गोरखपुर में फिलहाल छोटा किचन है। वहां भी लखनऊ, मथुरा व वाराणसी की तरह अत्याधुनिक बड़ा किचन बनाया जा रहा है। इस किचन के बनने के बाद यहां भी करीब दो लाख बच्चों को भोजन दिया जा सकेगा। कानपुर, आगरा व मोदीनगर सहित उत्तर प्रदेश के कुछ अन्य बड़े जिलों में भी अक्षय पात्र किचन खुलना प्रस्तावित है।
अक्षय पात्र फाउंडेशन भारत की एक अशासकीय संस्था है जो देश के 14 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों के 20 हजार से अधिक स्कूलों के 1.8 मिलियन से अधिक बच्चों को हर स्कूल दिन में दोपहर का पौष्टिक भोजन परोस रहा है। गैर-लाभकारी इस फाउंडेशन का मुख्यालय बेंगलुरु में है। वर्तमान में आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, उड़ीसा, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना व उत्तर प्रदेश आदि राज्यो में इसका किचन स्थापित है। यह संगठन सरकारी स्कूलों और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में मिड-डे मील योजना को लागू करके कक्षा की भूख को खत्म करने का प्रयास करता है। साथ ही, अक्षय पात्र का उद्देश्य कुपोषण का मुकाबला करना और सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित बच्चों की शिक्षा के अधिकार का समर्थन करना भी है।
उत्तर प्रदेश
लखनऊ में बाघ का आतंक, तमाम उपायों के बाद भी नहीं आ रहा हाथ, कई क्षेत्रों में डर का माहौल
लखनऊ। रहमानखेड़ा केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान में बाघ ने एक और पड़वे (भैंस के बच्चे) का शिकार किया है। यह बाघ का 15वां शिकार है। बाघ ने वन विभाग को एक बार फिर चकमा देते हुए जंगल में उसी जगह शिकार किया जहां उसको फंसाने के लिए गड्ढा खोदा गया है। जंगल के जोन एक के बेल वाले ब्लॉक में वन विभाग ने 15 फीट गहरा गड्ढा खोद झाड़ियों से ढक दिया है ताकि बाघ शिकार करने का प्रयास करें तो गहरे गड्ढे में गिर जाए।
फिर उसे ट्रैंकुलाइज किया जा सके। यहीं एक पिंजरा भी लगाया गया है जिसमें पड़वे को बांधा गया था। हालांकि वन विभाग की सारी तरकीबें धरी रह गई हैं। मंगलवार भोर में बाघ ने पड़वा को अपना निवाला बनाया। न वो पिंजरे में फंसा न गड्ढे में गिरा। सुबह जानकारी पर जांच करने पहुंची टीम को पड़वे का क्षतविक्षत शव मिला। मौके से बाघ के पगचिह्न भी मिले।
विशेषज्ञों का कहना है कि बाघ 24 घंटे के अंदर अपने शिकार का बचा हुआ मांस खाने के लिए दोबारा आ सकता है। वन विभाग की टीम ने बाघ की तलाश में मीठेनगर, उलरापुर और दुगौली के आसपास मौजूद जंगल में डायना और सुलोचना हथिनियों से कॉम्बिंग की लेकिन उसका पता नहीं लगा। शिकार की जानकारी पर अपर मुख्य वन संरक्षक रेणू सिंह ने टीम लीडर आकाशदीप बधावन व डीएफओ सितांशु पांडेय के साथ शिकार स्थल का जायजा लिया। यहां सक्रिय टीम को मृत पड़वे के पास निगरानी करने का निर्देश दिए।
तीन दर्जन से अधिक वाहनों की आवाजाही नो- गो- जोन में कर रही शोर गुल
वन विभाग ने रहमान खेड़ा में नो-गो जोन घोषित किया है। इसके बावजूद वन विभाग के ही 30 से ज्यादा वाहनों की हलचल यहां हर दिन रहती है। मंगलवार को दोपहर में अधिकारियों समेत वन विभाग टीम के करीब दो दर्जन चार पहिया वाहन कमांड ऑफिस के आस-पास खड़े थे। संस्थान के कर्मियों के वाहन व बसों की आवाजाही भी यहां रहती है। मचान व पिंजरों के पास भी वाहनों के साथ अधिकारी आ जा रहे हैं। इसी के चलते बाघ पकड़ में नहीं आ पा रहा है।
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