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उत्तर प्रदेश

शौर्य, पराक्रम व कीर्ति के लिए जाना जाता है पीएसी बलः सीएम योगी

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PAC force

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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पीएसी बल अपने शौर्य व पराक्रम के लिए जाना जाता है। न सिर्फ यूपी, बल्कि देश के विभिन्न राज्यों में आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियों का सामना करने के लिए पीएसी ने सदैव तत्पर होकर कार्य किया। यूपी पीएसी बल को जब भी अवसर मिला, उसने सर्वोत्तम करने का प्रयास किया। किसी भी बल की पहचान उसके शौर्य, पराक्रम के साथ कीर्ति से जानी जाती है। यह यूपी पीएसी बल के साथ जुड़ चुका है।

35वीं वाहिनी पीएसी में शनिवार को आयोजित पीएसी के स्थापना दिवस पर मुख्यमंत्री ने शिरकत की। उन्होंने 74 वर्ष की शानदार यात्रा के लिए पीएसी के सभी अधिकारियों व कार्मिकों को बधाई दी। मुख्यमंत्री के सामने पीएसी के जवानों ने पीटी, मलखंभ, जिम्नास्टिक, बैंड व कमांडो ने दक्षता को लेकर हैरतअंगेज प्रदर्शन भी किया।

इस दौरान सीएम ने प्रोन्नति पाने वालों को बैज लगाया। विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजेता व श्रेष्ठ कार्य करने वाली विभिन्न वाहिनियों, खिलाड़ियों के साथ ही मेधावी छात्रों को भी पुरस्कृत किया। सीएम ने आशा जताई कि अनुशासन, शौर्य, पराक्रम व कीर्ति से पीएसी अपनी विशिष्ट पहचान बनाए रखते हुए और अच्छा करेगी।

सराहनीय रहा है योगदान
सीएम ने कहा कि यूपी पीएसी बल की 74वर्ष की शानदार यात्रा न केवल देश की सबसे बड़ी आबादी के राज्य में बेहतर कानून व्यवस्था बनाए रखने, बल्कि परंपरागत त्योहारों, जुलूसों, धार्मिक आयोजनों तथा विभिन्न अवसरों पर आम जनमानस की आस्था से जुड़े आयोजनों, राष्ट्रीय पर्वों, सामान्य-स्थानीय निकाय निर्वाचन व प्रदेश भ्रमण के दौरान अति विशिष्ट महानुभावों की सुरक्षित यात्रा की दृष्टि से किया गया योगदान अत्यंत सराहनीय रहा है।

सर्वोत्तम बल के रूप में जाना जाता है पीएसी बल
सीएम ने कहा कि खास तौर पर याद है कि जब 2001 में संसद पर कायराना हमला हुआ था, उस समय यूपी पीएसी बल के जवानों ने जिस बुद्धिमत्ता व पराक्रम का परिचय दिया था, वह किसी से छिपा नहीं है। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर हुए हमले में भी पीएसी ने तत्परता से कार्रवाई की और आतंकियों के मंसूबों पर पानी फेरा। यह उसके शौर्य, पराक्रम, कीर्ति व तत्परता का भी प्रतीक है, इसलिए यूपी का पीएसी बल सर्वोत्तम बल के रूप में जाना जाता है।

साढ़े 5 वर्षों में हुए अनेक कार्य
सीएम ने बताया कि पिछले साढ़े 5 वर्ष के दौरान यूपी पुलिस में 1.60 लाख भर्तियों की प्रक्रिया को पारदर्शी तरीके से संपन्न करने के साथ अच्छी ट्रेनिंग व ट्रेनिंग की क्षमता को दोगुना किया गया। साथ ही यूपी पुलिस बल से जुड़कर सुरक्षा व कानून व्यवस्था में योगदान देने वाले प्रदेश के युवाओं को अवसर उपलब्ध प्राप्त हुआ। किन्ही कारणों से 46 कंपनियां समाप्त कर दी गई थीं। उन्हें बहाल व पुनर्जीवित करते हुए प्रदेश में पीएसी बल में 41 हजार से अधिक कार्मिकों की भर्ती की प्रक्रिया को प्रशिक्षण से जोड़कर पूरा किया गया। खुशी है कि आज पीएसी ने उक्त के अतिरिक्त 10 अन्य कंपनियों को गठित करने में सफलता पाई।

यूपी पीएसी में प्रमोशन की थमी प्रक्रिया को काफी हद तक पूरा किया गया
सीएम ने कहा कि यूपी पीएसी कार्मिकों के लिए अवस्थापना सुविधाओं का अभाव था। आज हर पीएसी वाहिनी में आवासीय सुविधा अच्छी हो सके, इसके लिए हाईराइज बैरक के निर्माण की कार्रवाई युद्धस्तर पर चल रही है। प्रदेश की हर वाहिनी में इसे बनाने की कार्रवाई बढ़ा रहे हैं। किसी भी दक्ष फोर्स के लिए आवश्यक है कि व्यावसायिक दक्षता के साथ अच्छा प्रशिक्षण व उसे बुनियादी सुविधाओं से युक्त कर सकें और समय-समय पर प्रोन्नति के साथ भी जोड़ा जा सके।

प्रसन्नता है कि जहां यूपी पीएसी बल ने प्रदेश में इन सभी कार्यों को सफलतापूर्वक बढ़ाने के कदम उठाए, वहीं पीएसी में 184 निरीक्षकों, 3772 उप निरीक्षकों के पदों में वृद्धि कर प्रमोशन की कार्रवाई को सुचारू रूप से बढ़ाने की व्यवस्था दी, बल्कि विभागीय प्रोन्नति के अंतर्गत 257 उप निरीक्षक, 3330 मुख्य आरक्षी व 11184 आरक्षियों को लाभ दिया गया। यूपी पीएसी में प्रमोशन की थमी प्रक्रिया को काफी हद तक पूरा किया है। भविष्य में प्रोन्नति की प्रक्रिया को और बेहतर बनाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है।

शामली व बिजनौर में पीएसी की नई बटालियन की स्थापना का निर्णय
सीएम ने कहा कि प्रदेश में एसडीआरएफ के लिए 1029 पदों का सृजन, लखनऊ मेट्रो की सुरक्षा के लिए 433 व नोएडा मेट्रो के लिए 381 पदों पर स्वीकृति दी है। महिला सुरक्षा के लिए पीएसी बल में पहले चरण में 3 महिला बटालियन की स्थापना (लखनऊ, गोरखपुर, बदायूं) में प्रचलित है। प्रत्येक बटालियन के लिए 1262 पद स्वीकृत किए गए हैं। द्वितीय चरण में 3 अन्य महिला बटालियन की स्थापना के लिए प्रदेश सरकार ने सहमति दी है। शामली व बिजनौर में पीएसी की नई बटालियन की स्थापना का निर्णय लिया है।

534 खिलाड़ियों की भर्ती की दी गई स्वीकृति
सीएम ने बताया कि यूपी सरकार अन्य महत्वपूर्ण कार्यक्रम के जरिए इस बल को सुदृढ़ करने की दिशा में प्रयास प्रारंभ कर दिया है। पीएसी की 17 बाढ़ राहत कंपनियों में मोटर बोट्स व उपकरण खरीदने के लिए राज्य आपदा मोचन निधि से धनराशि स्वीकृत की जा चुकी है। यूपी 112 में पायलट ड्राइवर के रूप में 1231 पीएसी कर्मी लगाए गए हैं।

यातायात व्यवस्था के सुगम संचालन के लिए 645 प्लाटून कमांडर यातायात उप निरीक्षक का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं। 75 प्लाटून कमांडर व 301 मुख्य आरक्षी यातायात प्रशिक्षण में भेजे गए हैं। सुरक्षा विभाग (एसटीएफ, एटीएस, एसएसएफ) में पीएसी के जवान सेवा दे रहे हैं। न्यायालयों व प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए गठित एसएसएफ में पीएसी से 90 फीसदी जवान प्रतिनिुक्ति पर भेजे गए हैं।

कारागारों की सुरक्षा के लिए पीएसी से 997 कार्मिकों को जेल वार्डन पद पर प्रतिनियुक्ति पद पर भेजा गया है। खेलों में पहली बार राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रथम चरण में 534 खिलाड़ियों की भर्ती की स्वीकृति प्रदेश सरकार ने दी है। इसकी चयन प्रक्रिया जल्द पूरी कर ली जाएगी। पीएसी के योग्य-श्रेष्ठ खिलाड़ियों व प्रशिक्षकों को पुलिस महानिदेशक का प्रशंसा चिह्न की व्यवस्था की गई है।

सभी मदों में की गई बजट में वृद्धि
सीएम ने कहा कि आवासीय व अनावासीय भवनों के निर्माण, चिकित्सीय व्यवस्था को सुदृढ़ व पीएसी को सर्वोत्कृष्ट बनाने के लिए शासन ने पीएसी के सभी मदों में बजट की वृद्धि की है। पीएसी बल को सशक्त बनाने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है, जिससे आगामी चुनौतियों का सामना किया जा सके।

पीएसी जवानों को आधुनिक इंसास राइफल व बुलेटप्रूफ हेलमेट उपलब्ध कराए गए हैं। बुलेटप्रूफ जैकेट उपलब्ध कराने की कार्रवाई तेजी से चल रही है। आश्वस्त करता हूं कि राज्य सरकार सभी जवानों के हितों को शीर्ष प्राथमिकता पर रखते हुए आपकी दक्षता, गुणात्मकता व कल्याण व मनोबल को ऊंचा उठाने के लिए तत्परता से कार्य करेगी।

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उत्तर प्रदेश

हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी

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महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।

हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।

आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।

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