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पद्मश्री अवार्डी को 90 की उम्र में किया गया घर से बेघर, 8 कलाकारों को नोटिस

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पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित 90 वर्षीय ओडिसी नर्तक गुरु मायाधर राउत को कल दिल्ली के एशियन गेम्स खेल गांव में उनके सरकारी आवास से बेदखल कर दिया गया। ऐसी तस्वीरें आईं हैं जिनमें पद्म श्री आवार्डी आवास के बाहर बैठे हैं और उनका सामान भी वहीं रखा है। बेदखल करने को लेकर उन्होंने केंद्र की आलोचना की है। उनका पद्म श्री प्रशस्ति पत्र भी सड़क पर पड़ा देखा जा सकता था।

सरकार का कहना है कि 2014 में आवास रद्द कर दिया गया था और बेदखली के नोटिस पहले ही दिए जा चुके थे। इस मामले पर उन्होंने और साथ ही अन्य कलाकारों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन केस हार गए। उन्हें आवास खाली करने के लिए 25 अप्रैल तक का वक्त दिया गया था लेकिन वे खाली करने में असमर्थ रहे। राउत की बेटी, मधुमिता राउत का कहना है कि बेदखली कानूनी तौर पर वैद्य है, लेकिन जिस तरह से यह किया गया वह आपत्तिजनक है। उन्होंने केंद्र को फटकार लगाते हुए कहा कि कलाकारों को पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में सम्मान नहीं मिलता है।

उन्होंने कहा कि सरकार ने भले ही 2014 में फैसला किया हो, लेकिन इसकी जानकारी कलाकारों को 2020 में ही दी गई थी। उन्होंने सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाए और पूछा कि क्या यह एक एक “राजनीतिक खेल” है कि राजीव गांधी ने आवास आवंटित किया, तो भाजपा को इसे छीनना होगा।

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, राउत की बेटी ने कहा, “हम इस सरकार की प्राथमिकता पर बहुत नीचे हैं। कोई सांस्कृतिक नीति भी नहीं है। मैं निष्कासन के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन अमानवीय तरीके से किया गया था। हमारा सामान बाहर फेंक दिया गया था। अगर मैं उस दिन अपने पिता के साथ नहीं होती, तो वह शायद मर गए होते।”

उन्होंने बताया कि वह संयोग से अपने पिता के आवास पर थीं और दोपहर करीब 1 बजे घंटी बजी और तब वह उन्हें खाना परोस रही थीं तभी अधिकारियों ने खुद को बेदखली अधिकारियों के रूप में पेश करते हुए कहा कि उनके पास दो मिनट भी नहीं बचे हैं। उन्होंने कहा, “तुरंत, लेबर और पुलिसकर्मी पहुंचे। उन्होंने उनका सामान बाहर फेंकना शुरू कर दिया और मेरे पिता सदमे की स्थिति में थे।” उन्होंने कहा कि उनके पिता कई बीमारियों से पीड़ित हैं।

इसके अलावा केंद्र सरकार ने आठ अन्य प्रतिष्ठित कलाकारों को 2 मई तक सरकारी बंगले खाली करने का निर्देश दिया है। खबर है कि इन कलाकारों को वर्षों पहले सरकारी आवास आवंटित किए गए थे लेकिन उनका आवंटन 2014 में निरस्त कर दिया गया था।

केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कई बार नोटिस देने के बावजूद 28 कलाकारों में से आठ ने अब तक अपना सरकारी आवास खाली नहीं किया है। एक अधिकारी ने कहा, ‘इन आठ कलाकारों ने हमें आश्वासन दिया है कि वे अपना सरकारी बंगला खाली करने की प्रक्रिया में हैं और उन्होंने कुछ और दिन का समय मांगा है। उन्होंने हमें लिखित में दिया है कि वे दो मई तक आवास खाली कर देंगे और हमने उन्हें तब तक का समय दिया है।’

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नेशनल

शराब घोटाला: केजरीवाल के खिलाफ चलेगा केस, एलजी ने ईडी को दी मंजूरी

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नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 से पहले अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ गई हैँ। दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने ईडी को आबकारी नीति मामले में पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। 5 दिसंबर को ईडी ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगी थी।

ईडी का दावा है कि अरविंद केजरीवाल ने ‘साउथ ग्रुप’ के सदस्यों के साथ मिलकर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली और कस्टमाइज शराब नीति बनाकर निजी कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाया। ईडी का यह भी कहना है कि केजरीवाल ने मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए इस रकम को छुपाने की कोशिश भी की। बता दें यह मामला राउज एवेन्यू कोर्ट में पहले से दर्ज है।

ईडी ने जो शिकायत दायर कि है उसमें आरोप लगाया गया है कि केजरीवाल ने ‘साउथ ग्रुप’ के सदस्यों के साथ मिलकर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली और एक विशेष शराब नीति तैयार करके उसे लागू करके निजी संस्थाओं को अनुचित लाभ पहुंचाया। ईडी ने अभियोजन शिकायत में यह भी आरोप लगाया कि अपराध की आय से लगभग 45 करोड़ रुपये का इस्तेमाल गोवा चुनावों में केजरीवाल की मिलीभगत और सहमति से आप के प्रचार के लिए किया गया।

जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि आप अपराध की आय का ‘मुख्य लाभार्थी’ थी और केजरीवाल राष्ट्रीय संयोजक और राजनीतिक मामलों की समिति और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य होने के नाते गोवा चुनावों के दौरान धन के उपयोग के लिए जिम्मेदार थे। ED ने रिपोर्ट में उल्लेख किया कि अरविंद केजरीवाल ने इस पीओसी (अपराध की आय) को नकद हस्तांतरण/हवाला हस्तांतरण के माध्यम से पीढ़ी से लेकर उपयोग तक छुपाया है। इसलिए, आरोपी अरविंद केजरीवाल वास्तव में और जानबूझकर मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध से जुड़ी अलग अलग प्रक्रियाओं और गतिविधियों में शामिल हैं, यानी पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम), 2002 की धारा 3 के तहत परिभाषित उत्पादन, अधिग्रहण, कब्जा, छिपाना, हस्तांतरण, उपयोग और इसे बेदाग होने का दावा करना है।

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