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लोगों ने कहा- कश्मीर घाटी में स्थिति अब 1990 से भी ज्यादा खराब, पलायन जारी

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श्रीनगर। कश्मीर घाटी में स्थानीय कश्मीरी पंडितों और प्रवासी हिंदुओं की लगातार हो रही टारगेट किलिंग से दहशत का माहौल है। इस साल अब तक 16 लोगों की टारगेट किलिंग हो चुकी है।

इन टारगेट किलिंग्स पर रोक न लग पाने के चलते कश्मीर में काम करने वाले सरकारी कर्मचारियों का पलायन शुरू हो गया है। प्रवासी मजदूर और बड़ी संख्या में ट्रांजिट कैंपों में रह रहे कश्मीरी पंडित भी घाटी छोड़ रहे हैं।

कई कर्मचारियों ने तो बिगड़ते हालातों को लेकर कहा कि स्थिति अब 1990 से भी खराब हो चुकी है। ऐसे में यहां रुकना खतरे से खाली नहीं है। पीएम रिलीफ पैकेज के तहत काम करने वाले सरकारी कर्मचारी अपने सामान को भरकर किसी तरह जम्मू और अन्य सुरक्षित स्थानों पर पहुंच रहे हैं।

पीएम रिलीफ पैकेज के तहत नौकरी पाने वाले कर्मचारी राहुल कौल ने कहा कि घाटी में हालात 1990 से भी खराब हो गए हैं। उन्होंने बिहार के एक मजदूर और बैंक में घुसकर राजस्थान के मैनेजर विजय कुमार की हत्या का जिक्र किया। कहा कि अब तक हमारे 30 से 40 परिवार घाटी छोड़ चुके हैं क्योंकि उनकी मांगों को सरकार पूरा नहीं कर सकी है।

ऐसे ही एक कर्मचारी अजय ने कहा, ‘आज के कश्मीर के हालात 1990 से भी खतरनाक हैं। बड़ा सवाल यह है कि हमारे लोगों को उनकी कॉलोनियों में ही क्यों लॉक किया जा रहा है। क्या प्रशासन अपनी असफलताओं को छिपाने का प्रयास कर रहा है?’

आशु नाम के एक अन्य शख्स ने कहा, ‘अब तो यहां सुरक्षा कर्मी भी सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं। आम नागरिक यहां कैसे बच पाएंगे। कश्मीरी पंडितों के कैंपों को पुलिस ने सील कर दिया है। अभी कई और परिवार श्रीनगर छोड़ेंगे।

कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति के अध्यक्ष संजय टिक्कू ने कहा कि बहुत से कश्मीरी पंडित गुरुवार को घाटी से निकले हैं। हमारी जानकारी के मुताबिक अब तक 65 कर्मचारी ऐसे हैं, जो परिवार के साथ निकल गए हैं।

गुरुवार को बैंक मैनेजर विजय कुमार की हत्या के बाद प्रवासी लोगों में भी खौफ है। इस बीच कश्मीरी पंडितों के संगठन ने सरकार से मांग की है कि बनिहाल टनल तक उन्हें सुरक्षित छोड़ने की व्यवस्था कराई जाए।

उधर, नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रवक्ता तनवीर सादिक ने कश्मीरी पंडितों में खौफ को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि उनका एक बार फिर से पलायन करना दुर्भाग्यपूर्ण है।

कश्मीर पंडितों का घर हैं और हम सभी की यह जिम्मेदारी है कि उन्हें सुरक्षित महसूस कराएं। सिर्फ जुबानी जमाखर्च से यह काम नहीं चलेगा। भाजपा सरकार इस पूरे मसले को सही से हैंडल नहीं कर पा रही है और हालात 1990 जैसे हो चले हैं।

नेशनल

जानें कौन था एक करोड़ का इनामी नक्सली जयराम उर्फ चलपती, जिसे सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में किया ढेर

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रायपुर। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में बड़ा नक्सल ऑपरेशन जारी है। इस ऑपरेशन में 14 नक्सलियों के मारे जाने की खबर है। अभी तक 12 नक्सलियों के शव बरामद कर लिए गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस ऑपरेशन में एक करोड़ का ईनामी नक्सली चलपति भी मारा गया है।

कौन था खूंखार नक्सली जयराम उर्फ चलपती

खूंखार नक्सली जयराम उर्फ चलपती नक्सलियों के सेंट्रल कमेटी का सदस्य था और वह नक्सल‍ियों के संगठन का ओडिशा स्टेट कमेटी का इंजार्च था। जयराम की गिनती देश के बेहद खतरनाक नक्सली इंचार्ज के रूप में होती थी। सुरक्षा बलों पर कई हमलों में शामिल रहा जयराम पर अलग-अलग राज्यों की पुलिस ने एक करोड़ का इनाम रखा था। छत्तीसगढ़ और इसके आसपास हुए कई बड़े हमलों में शामिल रहा है। कई हमलों का वह मास्टरमाइंड भी रहा है। कई राज्यों की पुलिस की इस पर पैनी नजर थी। उसे प्रताप रेड्डी उर्फ रामाचंद रेड्डी उर्फ अप्पा राव के नाम से भी उसे जाना जाता ह। वह माड़ क्षेत्र और छत्तीसगढ़ में सक्रिय था। बताया जाता है कि 60 साल का खूंखार नक्सली जयराम 10वीं तक पढ़ा था। वह नक्सलियों के ओडिशा कैडर का नक्सली था।

सुरक्षाबलों ने मारे गए सभी नक्सलियों के शव और उनके हथियार भी बरामद कर लिए हैं। रविवार की सुबह से ये ऑपरेशन जारी है। इस अभियान में छत्तीसगढ़ और ओडिशा पुलिस के अलावा इसमें सीआरपीएफ भी शामिल है। इस ऑपरेशन में कुल 10 टीमें शामिल हैं। 3 टीम ओडिशा से 2 छत्तीसगढ़ पुलिस से और सीआरपीएफ की 5 टीमें नक्सलियों के खिलाफ इस एनकाउंटर में शामिल रहीं। मुठभेड़ की सूचना पर फोर्स के वरिष्ठ अधिकारी मैनपुर पहुंच गए हैं। पूरे एरिया में फोर्स की तैनाती की गई है। इसके अलावा 3 आईडी भी बरामद की गई है।

इस घटना पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने इसे नक्सलवाद के ख‍िलाफ एक बड़ी कामयाबी बताया है. शाह ने ट्वीट किया, ‘नक्सलवाद पर एक और करारा प्रहार. हमारे सुरक्षा बलों ने नक्सल मुक्त भारत के निर्माण की दिशा में बड़ी सफलता हासिल की है. CRPF, SOG ओडिशा और छत्तीसगढ़ पुलिस ने ओडिशा-छत्तीसगढ़ सीमा पर एक संयुक्त अभियान में 14 (बाद में संख्या बढ़कर 16 हो गई) नक्सलियों को मार गिराया.’

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