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प्रादेशिक

बिहार में उपचुनाव को लेकर राजनीति तेज, प्रशांत किशोर ने मुसलमानों को लेकर कही बड़ी बात

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बिहार। जन सुराज के नेता प्रशांत किशोर काफी सक्रिय हैं. बिहार उपचुनाव में लगातार कैंपेन कर रहे हैं. वहीं, बेलागंज सीट पर बयानबाजी को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर आमने-सामने हो गए हैं. तेजस्वी यादव ने उपचुनाव में जीत का दावा किया है. इस पर प्रशांत किशोर ने मंगलवार को पलटवार करते हुए कहा कि बेलागंज में 35 सालों से अपराधियों ने अपना कब्जा किया है. जो आपराधिक प्रवृत्ति के लोग हैं उन्होंने बेलागंज पर कब्जा किया हुआ है और जिन मुसलमानों की ताकत से वे यह कर पा रहे थे, जिस रस्सी का इस्तेमाल कर उन्होंने यह ताकत बनाई थी वह रस्सी जन सुराज ने काट दी है और आरजेडी तीसरे नंबर पर रहेगी।

तेल निकल चुका अब बाती सूख रही

प्रशांत किशोर ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘आपको मुझे उस व्यक्ति को सबक सिखाने का श्रेय देना चाहिए, जिससे आप 35 साल तक डरते रहे। आज वह स्पष्ट रूप से सोच नहीं पा रहा।’ उन्होंने कहा, ‘मुसलमानों को लालटेन के तेल के तौर पर इस्तेमाल करने वाले उस व्यक्ति को अब पता चल गया है कि लालटेन का तेल निकल चुका है और बाती सूख रही है।’

भूमि सर्वेक्षण को लेकर कही बड़ी बात

उन्होंने कहा, ‘भूमि सर्वेक्षण के लिए आपको उन महिलाओं के हस्ताक्षर लेने की आवश्यकता होती है जिनकी शादी बहुत पहले हो चुकी हो ताकि यह साबित हो सके कि आप अपनी जमीन के वास्तविक मालिक हैं। कुछ सालों में इस कदम का उपयोग आपको आपकी जमीन से वंचित करने के लिए किया जा सकता है।

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उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश में डीजीपी की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव पर समाजवादी पार्टी के मुखिया ने उठाया सवाल, जानें अब कैसे चुने जाएंगे डीजीपी

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में डीजीपी की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव पर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने सवाल उठाया है। अखिलेश यादव ने कहा कि यह जो नियम बना है उससे साबित हो रहा है कि लखनऊ और दिल्ली में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। कहीं ये दिल्ली के हाथ से लगाम अपने हाथ में लेने की कोशिश तो नहीं है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए कहा कि सपा नेता ने कहा कि सरकार के इस फैसले से कई सीनियर आईपीएस अधिकारी निराश हैं।

क्या है पूरा मामला

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने डीजीपी पद पर तैनाती के लिए नई नियमावली बना दी है. इस प्रत्सव पर सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में मुहर भी लग गई. इसके लागू होते ही राज्य सरकार अपने स्तर से ही डीजीपी की तैनाती कर सकेगी. इससे पहले राज्य सरकार नामों का पैनल यूपीएससी को भेजती थी, जहां से मुहर लगती थी. हालांकि योगी सरकार के इस फैसले पर सियासत के साथ ही पुलिस महकमे में भी तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं.

क्या है नया नियम

नई नियमावली के तहत पे मैट्रिक्स 16 लेवल के सभी अधिकारी डीजीपी बनने के लिए अब क्वालीफाई कर सकेंगे, जिनकी छह महीने की नौकरी बची हो. आमतौर पर डीजी स्तर के सभी अधिकारी इस लेवल पर होते हैं. अभी तक यूपीएससी गाइडलाइंस के तहत डीजी स्तर के सभी अफसरों का नाम प्रदेश सरकार यूपीएससी को भेजती है, यूपीएससी इनमें से सीनियर मोस्ट तीन अफसरों के नाम प्रदेश सरकार को वापस भेजती थी. इनमें से ही किसी एक को ही विजिलेंस क्लियरेंस के बाद डीजीपी बनाना होता है. सितंबर 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को एक पुलिस एक्ट बनाने के लिए कहा था, जिससे डीजीपी के चयन की व्यवस्था को दबाव से मुक्त रखा जाए, लेकिन तब से अब तक चयन के लिए यूपी ने कोई अलग व्यवस्था नहीं की थी. अब यूपी में डीजीपी के चयन की अपनी नियमावली कैबिनेट से पास करके बना ली है.

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