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अंतर्राष्ट्रीय पटल पर हिंदी को बढ़ावा देने को शुरू हुई नई पहल

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नई दिल्ली। आचार्य महावीर प्रसाद राष्ट्रीय स्मारक समिति की अमेरिकी इकाई अंतर्राष्ट्रीय पटल पर हिंंदी को बढ़ावा देने के लिए नई पहल विश्व हिंदी दिवस (10 जनवरी) से प्रारंभ करेगी. समित का उद्घाटन समारोह हिंदी के युग प्रवर्तक आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी स्मृति व्याख्यान से होगा. पहली ऑनलाइन मीटिंग में विदेशों में रह रहे प्रवासी भारतीयों के बच्चों में हिंदी के संस्कार बढ़ानेेे के लिए हर वर्ष आचार्य द्विवेदी की जयंती ( 9 मई) पर बच्चों पर केंद्रित कार्यक्रम कराए जानेे का निर्णय लिया गया है.

पिछले 22 वर्षों से आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी की स्मृतियों को जीवंत बनाने के काम में जुटी आचार्य द्विवेदी समिति अब अंतरराष्ट्रीय पटल पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने जा रही है. प्रवासी भारतीयों में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए समिति की अमेरिकी इकाई गठित हो गई है. इस समिति की संयोजक कैलिफोर्निया अमेरिका में हिंदी का प्रचार प्रसार के महत्वपूर्ण काम कर रही मंजू मिश्रा बनाई गई हैं. समिति में अमेरिका में भारतवंशी रचना श्रीवास्तव,  शुभ्रा ओझा , ममता कांडपाल त्रिपाठी एवं डॉ कुसुम नेपसिक सदस्य है. संयोजक मंजू मिश्रा ने समिति की अमेरिकी इकाई के गठन के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला.

 

बैठक में तय किया गया के समित की अमेरिकी इकाई हर वर्ष विश्व हिंदी दिवस पर आचार्य स्मृति दिवस कार्यक्रम आयोजित करेगी. वार्षिक आयोजन से दुनिया भर के प्रवासी भारतीयों को जोड़ने की कोशिश की जाएगी. प्रत्येक 3 माह में आचार्य द्विवेदी समेत हिंदी के अन्य महापुरुषों पर केंद्रित चर्चाएं ऑनलाइन की जाएंगी ताकि प्रवासी भारतीयों में हिंदी आकर्षण बना भी रहे और बढ़ता भी रहे. आचार्य द्विवेदी की जयंती 9 मई के अवसर पर बच्चों की हिंदी प्रतियोगिताएं कराई जाएगी. यह भी तय हुआ कि विदेशों में रह रहे गैर हिंदी भाषी भारतीयों को भी इस अभियान से जोड़ा जाएगा.

समिति की ऑनलाइन आज हुई बैठक में भारत से पद्मश्री डॉ विजय दत्त श्रीधर, वरिष्ठ पत्रकार अरविंद कुमार सिंह, बाल साहित्यकार कुसुम लता सिंह , शोध छात्रा रजिता दुबे, समिति के अध्यक्ष विनोद शुक्ला एवं संयोजक गौरव अवस्थी शामिल हुए. सभी ने महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए. रचना श्रीवास्तव ने अंत में सभी के प्रति आभार व्यक्त किया.

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मध्य प्रदेश के शहडोल में अनोखे बच्चों ने लिया जन्म, देखकर उड़े लोगों के होश

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शहडोल। मध्य प्रदेश के शहडोल से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां ऐसे बच्चों ने जन्म लिया है, जिनके 2 शरीर हैं लेकिन दिल एक ही है। बच्चों के जन्म के बाद से लोग हैरान भी हैं और इस बात की चिंता जता रहे हैं कि आने वाले समय में ये बच्चे कैसे सर्वाइव करेंगे।

क्या है पूरा मामला?

एमपी के शहडोल मेडिकल कालेज में 2 जिस्म लेकिन एक दिल वाले बच्चे पैदा हुए हैं। इन्हें जन्म देने वाली मां समेत परिवार के लोग परेशान हैं कि आने वाले समय में इन बच्चों का क्या भविष्य होगा। उन्हें समझ में ही नहीं आ रहा कि शरीर से एक दूसरे से जुड़े इन बच्चों का वह कैसे पालन-पोषण करेंगे।

परिजनों को बच्चों के स्वास्थ्य की भी चिंता है। बच्चों को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है। मेडिकल कालेज प्रबंधन द्वारा इन्हें रीवा या जबलपुर भेजने की तैयारी की जा रही है, जिससे इनका उचित उपचार हो सके। ऐसे बच्चों को सीमंस ट्विन्स भी कहा जाता है।

जानकारी के अनुसार, अनूपपुर जिले के कोतमा निवासी वर्षा जोगी और पति रवि जोगी को ये संतान हुई है। प्रेग्नेंसी के दर्द के बाद परिजनों द्वारा महिला को मेडिकल कालेज लाया गया था। शाम करीब 6 बजे प्रसूता का सीजर किया गया, जिसमें एक ऐसे जुडवा बच्चों ने जन्म लिया, जिनके जिस्म दो अलग अलग थे लेकिन दिल एक ही है, जो जुड़ा हुआ है।

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