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प्रादेशिक

नवाब मलिक ने लगाया एक और गंभीर आरोप, बोले-अंतरराष्ट्रीय ड्रग माफिया से है समीर वानखेड़े के संबंध

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नई दिल्ली। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े के खिलाफ जंग जारी रखते हुए, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मंत्री नवाब मलिक ने बुधवार को अधिकारी वानखेड़े पर अंतरराष्ट्रीय ड्रग माफिया के साथ कथित संबंधों का आरोप लगाया और इस मामले में जांच की मांग की।

मीडिया को संबोधित करते हुए, मलिक ने दावा किया कि 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय क्रूज टर्मिनल पर लक्जरी जहाज कॉर्डेलिया पर सवार पार्टी पर छापेमारी के दौरान, कथित पार्टी में एक दाढ़ी वाला व्यक्ति मौजूद था।

मलिक ने कहा, वह व्यक्ति एक अंतरराष्ट्रीय ड्रग माफिया से ताल्लुक रखता है। वहां उसकी प्रेमिका थी, जिसके पास बंदूक भी थी। उनके खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई? उस दिन के क्रूज जहाज के सीसीटीवी फुटेज की जांच की जानी चाहिए जिससे सच्चाई सामने आ जाएगी।

मंत्री ने आरोप लगाया कि वानखेड़े का संबंध उस दाढ़ी वाले व्यक्ति से है, जिसका पूर्ववृत्त एनसीबी में हर कोई जानता है। वह अपनी बंदूक चलाने वाली प्रेमिका के साथ पार्टी में नाचता हुआ दिखाई दे रहा है और गोवा में भी कुछ ड्रग रैकेट चला रहा है। सभी मामलों में इसकी जांच की जानी चाहिए।

राकांपा नेता ने कहा कि राज्य सरकार या पुलिस से उचित अनुमति लिए बिना एक निजी टीवी चैनल द्वारा ड्रग पार्टी का आयोजन किया गया था। कोई कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया था और गृह विभाग को भी सूचित नहीं किया गया था।

मलिक ने कहा कि वानखेड़े के साथ दो पंच-गवाह प्रभाकर सेल और किरण गोसावी के सीडीआर रिकॉर्ड की जांच की जानी चाहिए ताकि पूरी सच्चाई का पता चल सके। इस मामले में चल रहे सीरियल खुलासे में, आज सुबह, मंत्री ने समीर दाऊद वानखेड़े की डॉ शबाना कुरैशी के साथ पहली शादी की तस्वीर और 2006 के उनके निकाह-नामा की एक प्रति पोस्ट की। ट्वीट साझा कर उन्होंने अधिकारी पर फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करने का आरोप लगाया।

उत्तर प्रदेश

हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी

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महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।

हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।

आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।

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