उत्तर प्रदेश
संतकबीरनगर: 12 साल की नाबालिग छात्रा से गैंगरेप, गर्भवती; दोनों आरोपी गिरफ्तार
संतकबीरनगर। उप्र के संतकबीरनगर जिले के महुली थाना क्षेत्र के एक गांव में 12 साल की बच्ची से दो युवकों ने कई बार गैंगरेप किया। गर्भ ठहरने पर परिजनों को इसकी जानकारी हुई तो लोकलाज के डर से गर्भपात करा दिया। पुलिस ने कार्रवाई नहीं की तो बुधवार को एसपी से गुहार लगाई। उनके निर्देश पर देर रात आरोपितों के विरुद्ध गैंगरेप का मुकदमा दर्ज किया गया। दोनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।
परिषदीय स्कूल में पढ़ने वाली मासूम के साथ दो युवक करते थे रेप
प्राप्त समाचार के अनुसार बच्ची गांव के प्राथमिक विद्यालय में कक्षा चार की छात्रा है। कुछ माह पूर्व स्कूल जाते समय रास्ते में मनोज (21 ) और गोपाल (19) नाम के गांव के ही दो युवकों ने उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। फिर उसे डराया- धमकाया, लिहाजा बच्ची ने घर पर कुछ नहीं बताया।
पीड़ित के परिजनों ने आरोप लगाया कि इसके बाद आरोपी लगातार उसकी बेटी से गैंगरेप करते रहे। इस बीच वह गर्भवती हो गई। तब परिजनों को पता चला। लोकलाज के चलते उन्होंने बेटी का गर्भपात करा दिया। आरोपितों से इस बारे में जब पूछा तो गाली देते हुए वे विवाद पर अमादा हो गए।
पीडिता की बाईट
परिजनों ने गर्भपात करा दी तहरीर, एसपी के निर्देश पर केस दर्ज
पीड़ित के परिजनों ने बताया कि उन्होंने थाने में तहरीर, मगर चार दिन तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद बीते बुधवार को एसपी से न्याय की गुहार लगाई। उनके निर्देश पर महुली पुलिस सक्रिय हुई और मुकदमा दर्ज किया गया।
इंस्पेक्टर महुली ने बताया कि तहरीर के आधार पर आरोपी मनोज पुत्र परशुराम, गोपाल पुत्र सुआरथ के खिलाफ गैंगरेप व गाली-गलौज की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। दोनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। घटना को लेकर क्षेत्र में तरह-तरह की चर्चायें हैं।
उत्तर प्रदेश
हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी
महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।
हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।
आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक
महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।
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