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उत्तर प्रदेश

शिवपाल यादव को नहीं मिल सकी आगे की सीट, ठुकराई गई अखिलेश की मांग

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लखनऊ। उप्र विधानसभा में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सपा विधायक शिवपाल सिंह यादव को आगे की सीट नहीं मिल सकी है। विधानसभा अध्यक्ष ने नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव की मांग को ठुकरा दिया है। हालांकि विधानसभा में सपा के लिए एक सीट बढ़ाई गई है। इसके बाद सपा के पास अब आगे की लाइन में पांच सीटें हो गई हैं।

अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल यादव को सदन में सबसे आगे की सीट दिलाने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा था। पार्टी का कहना है कि वह वरिष्ठ सदस्य हैं और एक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। ऐसे में उनको आगे की सीट दी जाए लेकिन बताया जा रहा है कि तकनीकी आधार पर यह पत्र ग़लत था, जिसके चलते शिवपाल को आगे की सीट नहीं मिली।

विधानसभा में तय होता है सदस्यों के बैठने की जगह

असल में विधानसभा में ई-विधान सिस्टम लागू होने के कारण सभी सदस्यों के बैठने का स्थान तय कर दिया गया है। उनकी सीट पर लगा लैपटॉप तभी चालू होगा जब अपनी तय सीट पर बैठेंगे। सदन में नेता प्रतिपक्ष की सीट सबसे आगे रहती है। इसी पर अखिलेश यादव बैठते हैं।

उनके पीछे की पंक्ति में शिवपाल यादव बैठते हैं। चूंकि विपक्ष में सपा ही मुख्य दल है। कांग्रेस के दो व बसपा के एक विधायक ही हैं। ऐसे में सपा समय-समय पर अपने सदस्यों को आगे पीछे बिठाने के लिए स्पीकर से अनुरोध करती रही है।

उत्तर प्रदेश

लखनऊ में बाघ का आतंक, तमाम उपायों के बाद भी नहीं आ रहा हाथ, कई क्षेत्रों में डर का माहौल

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लखनऊ। रहमानखेड़ा केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान में बाघ ने एक और पड़वे (भैंस के बच्चे) का शिकार किया है। यह बाघ का 15वां शिकार है। बाघ ने वन विभाग को एक बार फिर चकमा देते हुए जंगल में उसी जगह शिकार किया जहां उसको फंसाने के लिए गड्ढा खोदा गया है। जंगल के जोन एक के बेल वाले ब्लॉक में वन विभाग ने 15 फीट गहरा गड्ढा खोद झाड़ियों से ढक दिया है ताकि बाघ शिकार करने का प्रयास करें तो गहरे गड्ढे में गिर जाए।

फिर उसे ट्रैंकुलाइज किया जा सके। यहीं एक पिंजरा भी लगाया गया है जिसमें पड़वे को बांधा गया था। हालांकि वन विभाग की सारी तरकीबें धरी रह गई हैं। मंगलवार भोर में बाघ ने पड़वा को अपना निवाला बनाया। न वो पिंजरे में फंसा न गड्ढे में गिरा। सुबह जानकारी पर जांच करने पहुंची टीम को पड़वे का क्षतविक्षत शव मिला। मौके से बाघ के पगचिह्न भी मिले।

विशेषज्ञों का कहना है कि बाघ 24 घंटे के अंदर अपने शिकार का बचा हुआ मांस खाने के लिए दोबारा आ सकता है। वन विभाग की टीम ने बाघ की तलाश में मीठेनगर, उलरापुर और दुगौली के आसपास मौजूद जंगल में डायना और सुलोचना हथिनियों से कॉम्बिंग की लेकिन उसका पता नहीं लगा। शिकार की जानकारी पर अपर मुख्य वन संरक्षक रेणू सिंह ने टीम लीडर आकाशदीप बधावन व डीएफओ सितांशु पांडेय के साथ शिकार स्थल का जायजा लिया। यहां सक्रिय टीम को मृत पड़वे के पास निगरानी करने का निर्देश दिए।

तीन दर्जन से अधिक वाहनों की आवाजाही नो- गो- जोन में कर रही शोर गुल

वन विभाग ने रहमान खेड़ा में नो-गो जोन घोषित किया है। इसके बावजूद वन विभाग के ही 30 से ज्यादा वाहनों की हलचल यहां हर दिन रहती है। मंगलवार को दोपहर में अधिकारियों समेत वन विभाग टीम के करीब दो दर्जन चार पहिया वाहन कमांड ऑफिस के आस-पास खड़े थे। संस्थान के कर्मियों के वाहन व बसों की आवाजाही भी यहां रहती है। मचान व पिंजरों के पास भी वाहनों के साथ अधिकारी आ जा रहे हैं। इसी के चलते बाघ पकड़ में नहीं आ पा रहा है।

 

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