प्रादेशिक
ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने दो उपकेंद्रों का किया शिलान्यास, कहा- अब ट्रांसफार्मर फुंकने पर महीने भर का इंतजार नहीं करना पड़ता
नई दिल्ली। ऊर्जा एवं अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत मंत्री श्रीकान्त शर्मा ने गुरुवार को जनपद गोंडा के 132 केवी धारीघाट, गौरा उपकेंद्र एवं 33ध्11 केवी मोहनपुर उपकेंद्र का शिलान्यास किया। इस दौरान ऊर्जा मंत्री ने कहा कि 48.66 करोड़ के इस ट्रांसमिशन उपकेंद्र के बनने से पूरे गौरा विधानसभा को बेहतर आपूर्ति होगी। लो वोल्टेज की समस्या का भी स्थायी समाधान हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि सरकार बनने के बाद देवीपाटन मंडल में बिजली की बेहतरी के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर सर्वाधिक ध्यान दिया गया। अब गांव वालों को ट्रांसफार्मर फुंकने पर महीने भर का इंतजार नहीं करना पड़ता। न ही उसकी मरम्मत के लिए पैसे और संसाधन देने पड़ते हैं। 1912 पर फोन लगाने के बाद शहरी क्षेत्र में 24 घंटे और गांवों में 48 घंटे के भीतर ट्रांसफार्मर बदल जाता है। हमने बेहतर बिजली देकर गांवों और छोटे कस्बों से पलायन भी रोका है।
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि पहले की सरकार केवल 4 जिलों को ही वीआईपी मानती थी, भाजपा की सरकार ने हर जिले और हर गांव को वीआईपी माना है। टीवी देखने के लिए अब शहर जाकर बैटरी चार्ज भी नहीं करवानी पड़ती। मोबाइल भी घर पर ही चार्ज होता है। चार सालों में हमने गांव की दशा-दिशा दोनों बदली है। अब ढिबरी की रोशनी में पढ़ाई नहीं करनी पड़ती। सूर्यास्त से सूर्योदय तक निर्बाध बिजली गांवों को मिल रही है। हमने तय किया है कि जहां भी लाइन लॉस 15ः से कम होगा वहां अब 24 घंटे की सप्लाई दी जाएगी। इसके लिए सबको समय से बिल जमा करना होगा। अभी गांव को 18, तहसील को 20 व जिला मुख्यालय को 24 घंटे बिजली की आपूर्ति की जा रही है।
उन्होंने कहा कि गोंडा में वितरण के क्षेत्र में 746.92 करोड़ रुपये ढांचा सुधार पर खर्च किये गए हैं। जिले में 18 नए 33ध्11 केवी बिजलीघर बनाये गए हैं वहीं 19 बिजलीघरों की क्षमता बढ़ाई गई है। 8974 मजरों का विद्युतीकरण कर 1,21931 लोगों को बिजली के कनेक्शन दिए गए हैं। इसमें 68387 परिवारों को मुफ्त कनेक्शन दिया गया है। जिले में 9570 नए ट्रांसफार्मर भी लगाए गए हैं। 3114 किमी की एचटी व 5436 किमी एलटी लाइन गांवों में विद्युतीकरण के लिए बिछाई गई है। कहा कि सरकार 262 गांवों के 353 मजरों में 15.15 करोड़ की लागत से जर्जर तारों के स्थान पर एबीसी केबलिंग का काम भी करवा रही है।
उन्होंने बताया कि पहले प्रदेश में ग्रिड की क्षमता केवल 16348 मेगावाट थी अब यह बढ़कर 25000 मेगावाट हो चुकी है 2022 तक यह 28000 मेगावाट हो जाएगी। वहीं ग्रिड की आयात क्षमता भी 7800 मेगावाट से बढ़कर 14600 मेगावाट हो चुकी है। सरकार ने 12,111.75 करोड़ रूपये की लागत से 765 केवी के 12, 400 केवी के 34, 220 केवी के 72 व 132 केवी के 119 पारेषण उपकेंद्रों का निर्माण करवा चुकी है। जिसकी वजह से आज बिजली की आपूर्ति का तंत्र बहुत बेहतर हो चुका है।
ऊर्जा मंत्री ने सभी उपभोक्ताओं से नियमित बिजली का बिल भरने की अपील की। कहा कि सभी लोग बिल भरेंगे तो सबको सस्ती बिजली मिलेगी। कहा कि आने वाले समय में सरकार की मंशा सस्ती और 24 घंटे निर्बाध बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। उन्होंने अपील की कि सभी लोग कोविड वैक्सीनेशन जरूर करवाएं। लोगों को इसके लिए प्रोत्साहित करें, जिससे आने वाली संभावित आपदा से निपटा जा सके।
उत्तर प्रदेश
लखनऊ में बाघ का आतंक : वन विभाग ने पकड़ने के लिए किए तरह – तरह के उपाय, नहीं आ रहा है हाथ
लखनऊ। रहमानखेड़ा केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान में बाघ ने एक और पड़वे (भैंस के बच्चे) का शिकार किया है। यह बाघ का 15वां शिकार है। बाघ ने वन विभाग को एक बार फिर चकमा देते हुए जंगल में उसी जगह शिकार किया जहां उसको फंसाने के लिए गड्ढा खोदा गया है। जंगल के जोन एक के बेल वाले ब्लॉक में वन विभाग ने 15 फीट गहरा गड्ढा खोद झाड़ियों से ढक दिया है ताकि बाघ शिकार करने का प्रयास करें तो गहरे गड्ढे में गिर जाए।
फिर उसे ट्रैंकुलाइज किया जा सके। यहीं एक पिंजरा भी लगाया गया है जिसमें पड़वे को बांधा गया था। हालांकि वन विभाग की सारी तरकीबें धरी रह गई हैं। मंगलवार भोर में बाघ ने पड़वा को अपना निवाला बनाया। न वो पिंजरे में फंसा न गड्ढे में गिरा। सुबह जानकारी पर जांच करने पहुंची टीम को पड़वे का क्षतविक्षत शव मिला। मौके से बाघ के पगचिह्न भी मिले।
विशेषज्ञों का कहना है कि बाघ 24 घंटे के अंदर अपने शिकार का बचा हुआ मांस खाने के लिए दोबारा आ सकता है। वन विभाग की टीम ने बाघ की तलाश में मीठेनगर, उलरापुर और दुगौली के आसपास मौजूद जंगल में डायना और सुलोचना हथिनियों से कॉम्बिंग की लेकिन उसका पता नहीं लगा। शिकार की जानकारी पर अपर मुख्य वन संरक्षक रेणू सिंह ने टीम लीडर आकाशदीप बधावन व डीएफओ सितांशु पांडेय के साथ शिकार स्थल का जायजा लिया। यहां सक्रिय टीम को मृत पड़वे के पास निगरानी करने का निर्देश दिए।
तीन दर्जन से अधिक वाहनों की आवाजाही नो- गो- जोन में कर रही शोर गुल
वन विभाग ने रहमान खेड़ा में नो-गो जोन घोषित किया है। इसके बावजूद वन विभाग के ही 30 से ज्यादा वाहनों की हलचल यहां हर दिन रहती है। मंगलवार को दोपहर में अधिकारियों समेत वन विभाग टीम के करीब दो दर्जन चार पहिया वाहन कमांड ऑफिस के आस-पास खड़े थे। संस्थान के कर्मियों के वाहन व बसों की आवाजाही भी यहां रहती है। मचान व पिंजरों के पास भी वाहनों के साथ अधिकारी आ जा रहे हैं। इसी के चलते बाघ पकड़ में नहीं आ पा रहा है।
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