प्रादेशिक
सिद्धार्थ नारायण को कहा जाता है RTI का राम जेठमलानी, ढूंढे 93 साल पुराने महल के दस्तावेज
लखनऊ। वर्ष 1928 में जब ओयल रियासत जनपद खीरी के तत्कालीन राजा युवराज दत्त सिंह ने अपने महल को किराये पर चढ़ाया था तब वह यह कभी भी नहीं सोच सकते थे कि लगभग एक शतक बाद उनका यह महल आरटीआई की एक मिसाल बन जायेगा। वर्ष 1928 में राजा ने अपने महल को उस समय के डिप्टी कलेक्टर को 30 वर्षों के लिये किराये पर दिया था। हिन्दुस्तान के आजाद हो जाने के बाद ये किरायेदारी पुनः 30 वर्षों के लिये बढ़ा दी गयी थी। राजा युवराज की मृत्यु वर्ष 1984 में हो गयी। ओयल परिवार ने अपने पुश्तैनी महल के अभिलेखों की छानबीन शुरू की। कई वर्षों तक उपरोक्त अभिलेख को ढूढ़ने का सिलसिला चलता रहा। अन्ततः पूरे प्रकरण को अपने कब्जे में लेते हुए राजा युवराज दत्त सिंह के पोते कुँवर प्रद्युम्न नारायण दत्त सिंह ने स्टार आरटीआई एक्टीविस्ट सिद्धार्थ नारायण को अपनी पुस्तैनी सम्पत्ति की समस्या समझायी।
दो साल की समय सीमा तय की गयी एवं लक्ष्य तय किया गया कि उपरोक्त सम्पत्ति के मूल अभिलेख को खोज लिया जायेगा। इस क्रम में चार आरटीआई याचिकायें जिलाधिकारी कार्यालय मण्डलायुक्त कार्यालय वित्त विभाग एवं राजस्व परिषद को पार्टी बनाते हुए सूचना मांगी गयी। सारी आरटीआई धारा .6 ;3द्ध के अन्तर्गत जिलाधिकारी कार्यालय जनपद लखीमपुर खीरी को स्थानान्तरित कर दी गयी। सारी याचिकायें दिनांक 28 अगस्त 2019 को दायर की गयी थी और 27 मार्च 2020 को लिखित सूचना प्राप्त हुई कि राजा युवराज दत्त सिंह के द्वारा सम्पादित मूल अभिलेख उनके पोते कुंवर प्रद्युम्न नारायण दत्त सिंह को आरटीआई के तहत प्राप्त हुए। साथ ही यह भी साबित हुआ कि उपरोक्त सम्पत्ति का खाता सं0.5 एवं खसरा सं0.359 है। यह मूल खसरा संख्या है।
इस सूचना को पाते हुए ओयल रियासत के बड़े राजा विष्णु नारायण दत्त सिंह ने मीडिया से मुखातिब होते हुए अत्यन्त प्रसन्नता जाहिर की एवं तहेदिल से जिलाधिकारी खीरी शैलेन्द्र कुमार सिंह एवं एसआरओ कैप्टन एसपी दूबे का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर युवरानी आराधना सिंह ने महिला सशक्तीकरण एवं मिशन शक्ति प्रोग्राम में अपना योगदान देने की बात कही। ओयल रियासत के कुँवर हरिनारायण सिंह जी ने पूरे प्रकरण पर पूरे जिलाधिकारी कार्यालय जनपद खीरी का धन्यवाद व्यक्त किया।
कुँवर प्रद्युम्न नारायण सिंह ने उपरोक्त सम्पत्ति का रख.रखाव एवं उसको अदब से रखने की एवं स्वच्छता अभियान के अधीन सदेव हरा.भरा एवं स्वच्छ रखने की प्रार्थना की। सिद्धार्थ नारायण का सबने दिल से शुक्रिया अदा किया। सिद्धार्थ ने बताया कि ओयल एक ऐसी रियासत है जो भविष्य एवं वर्तमान में विश्वास रखती है एवं वह इस बात से बहुत प्रभावित हुए कि 75 वर्ष की उम्र में बड़े राजा साहब विष्णु दत्त सिंह ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम एवं वाट्अप का रोजाना उपयोग करते है और इस बात पर सिद्धार्थ नारायण ने अत्यन्त गर्व महसूस किया कि उनके द्वारा दिये गये दो वर्ष के समय सीमा के अन्तर्गत ओयल राजघराने की सम्पत्ति के 93 साल पुराने अंग्रेजों के जमाने के मूल अभिलेख उन्होंने 10 महीने में खोज डाले। यह भारत का प्रथम ऐसा आरटीआई का केस है जिसमें 10 महीने की समय.सीमा एवं 10ध् .रूपये के शुल्क में एक अरब की सम्पत्ति का स्वामित्व सिद्ध हुआ है। सूचना अधिकार क्षेत्र में अतूल्य योगदान के लिए सिद्धार्थ नारायण को उप्र के मुख्यमंत्री द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका हैं। उनके कुछ प्रमुख केसों में आगरा के चर्च पर हमला, शक्तिमान घोड़ा केस, शारदा मर्डर केस, माही की गुमशुदगी एवं अन्य शामिल है। उनका मुख्य उद्देश्य गरीब मजलूम एवं बेसहाराओं को इन्साफ दिलाना हैं। सिद्धार्थ को कई सूचना आयुक्त एवं जज आरटीआई का राम जेठमलानी भी कहते हैं।
उत्तर प्रदेश
हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी
महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।
हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।
आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक
महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।
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