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आध्यात्म

हिंदू धर्म में तुलसी पूजा का विशेष महत्व, जानें परिक्रमा के नियम और मंत्र

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नई दिल्ली। हिंदू धर्म में तुलसी पूजा का विशेष महत्व है। लगभग हर घर के आंगन में तुलसी का पौधा होता है, जिसकी सुबह-शाम पूजा की जाती है। कहते हैं तुलसी के पौधे में मां लक्ष्मी का वास होता है। पूजा के दौरान छोटी-सी गलती से भी मां लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं।

तुलसी पूजा के नियमों को जानना बेहद जरूरी है। कहते हैं कि श्रद्धा के साथ तुलसी जी की पूजा करने से घर में मां लक्ष्मी का वास होता है। साथ ही, भगवान विष्णु की कृपा भी प्राप्त होती है।

जो व्यक्ति नियमित रूप से तुलसी की पूजा करता है, उससे मां लक्ष्मी प्रसन्न रहती हैं और व्यक्ति को धन-धान्य की प्राप्ति होती है। तुलसी के पौधे में जल अर्पित करने के बाद उसकी परिक्रमा करना भी जरूरी होता है।

आइए जानते हैं तुलसी परिक्रमा के नियम और इस दौरान किस मंत्र का जाप करना चाहिए।

तुलसी परिक्रमा के नियम

हमेशा स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करके ही तुलसी में जल अर्पित करें।

जल देने के बाद उसकी परिक्रमा अवश्य करें। तीन बार तुलसी जी की परिक्रमा करें।

आप परिक्रमा करते करते भी जल अर्पित कर सकते हैं।

अगर आपके घर में परिक्रमा करने की जगह नहीं है या फिर पौधा ऐसे स्थान पर लगाया गया जहां परिक्रमा नहीं की जा सकती, तो ऐसे में अपने स्थान पर खड़े होकर ही तीनबार घूम सकते हैं।

तुलसी में जल अर्पित करने के बाद परिक्रमा अवश्य लगाएं। साथ ही, मंत्र का उच्चारण भी जरूरी है।

परिक्रमा करते समय बोले ये मंत्र

मंत्र- महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते।। 

मान्यता है कि इस मंत्र के साथ जल अर्पित करने से मां लक्ष्मी शीघ्र प्रसन्न होती हैं।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी सामान्य जानकारियों पर आधारित है। हम इसकी सत्यता पुष्टि नहीं करते।

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आध्यात्म

सैकड़ो शिष्यों के साथ रथ पर सवार होकर महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी ने किया अमृत स्नान

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महाकुम्भ नगर, 14 जनवरी। निरंजनी अखाड़े से मकर संक्रांति पर सुबह 7 बजे महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी रथ रूपी वाहन पर सवार होकर अपने सैकड़ों शिष्य और शिष्याओं के साथ महासंगम में स्नान करने के लिए निकल पड़े। त्रिवेणी संगम पर अमृत स्नान को लेकर बोले कि “यह अनुभव शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। अमृत स्नान, साधु-संतों की वर्षों की तपस्या, साधना, प्रेम और उनकी गहरी श्रद्धा का प्रतीक है।” उन्होंने कहा कि गंगा का जल अमृत समान है। जब साधु-संत गंगा में डुबकी लगाते हैं और अपने इष्ट महादेव, मां गंगा और सूर्यदेव का पूजन करते हैं, तो उन्हें ऐसा लगता है कि सभी देवता उनके समीप हैं। यह क्षण उनके साधक जीवन का सबसे बड़ा पर्व है।

लॉरेन पावेल हैं सनातन धर्म की जिज्ञासु शिष्या

महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी ने एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पावेल को आध्यात्मिक नाम “कमला” दिया है। वह एक सात्विक, सरल और सहृदय व्यक्तित्व की महिला हैं। लॉरेन वर्तमान में महाकुम्भ में स्वामी जी के शिविर में हैं। सनातन धर्म को गहराई से समझने की इच्छुक हैं। हालांकि, सोमवार को उनका स्वास्थ्य थोड़ा बिगड़ गया था, लेकिन अब वे गंगा स्नान और विश्राम के माध्यम से स्वस्थ हो रही हैं। स्वामी कैलाशानंद ने उनके बारे में कहा, “लॉरेन अहंकार से मुक्त हैं और अपने गुरु के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं। उनके सभी सवाल सनातन धर्म से जुड़े हैं और उनके उत्तर से वे अत्यधिक संतुष्ट और आह्लादित होती हैं।” वह सनातन धर्म और अपने गुरु के विषय में और अत्यधिक जानना चाहती हैं।

सनातन धर्म का वैश्विक वैभव

प्रयागराज में आयोजित महाकुम्भ को स्वामी कैलाशानंद गिरी ने सनातन धर्म का सबसे बड़ा वैभव बताया। उन्होंने कहा, “त्रिवेणी संगम पर करोड़ों श्रद्धालुओं की उपस्थिति इस बात का प्रमाण है कि सनातन धर्म का प्रभाव विश्व स्तर पर बढ़ रहा है। महापुरुषों के दर्शन और आशीर्वाद के लिए लोग लालायित हैं।” स्वामी जी ने मीडिया की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि उनके माध्यम से सनातन धर्म का संदेश पूरी दुनिया तक पहुंच रहा है। उन्होंने कहा कि यह आयोजन भारतीय संस्कृति और परंपराओं को सुदूर विश्व तक पहुंचाने और सनातन की आध्यात्मिक शक्ति को उजागर करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।

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