उत्तर प्रदेश
उप्र में ईद पर सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम, संवेदनशील स्थलों पर अतिरिक्त पुलिस बल
लखनऊ। माहे-रमजान के आखिरी शुक्रवार यानि अलविदा की नमाज व ईद-उल-फितर के त्यौहार को सकुशल संपन्न कराने के लिए उप्र शासन व प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए हैं। चिन्हित संवेदनशील स्थलों पर विशेष रूप से अतिरिक्त पुलिस बल के साथ पीएसी व केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के जवान भी तैनात रहेंगे।
प्रयागराज में पुलिस अभिरक्षा में माफिया अतीक अहमद व उसके भाई अशरफ की हत्या की घटना के बाद शरारती तत्वों द्वारा गड़बड़ी की आशंका को देखते हुए हर स्तर पर पूरी सतर्कता बरते जाने के कड़े निर्देश दिए गए हैं।
स्पेशल डीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार का कहना है कि कुल 29,439 मस्जिदों के अलावा 3,865 ईदगाहों में अलविदा व ईद की नमाज होगी। पुलिस ने 2,933 संवेदनशील स्थानों को चिन्हित कर उन्हें 849 जोन व 2,460 सेक्टरों में बांटा गया है।
जहां अतिरिक्त पुलिस की तैनाती के साथ ही ड्रोन व सीसीटीवी कैमरों की मदद से निगरानी के विशेष प्रबंध होंगे। इसके साथ ही साफ-सफाई व निर्बाध बिजली आपूर्ति को लेकर कड़े निर्देश दिए गए हैं। सभी संवेदनशील स्थानों पर पुलिस पेट्रोलिंग व शरारती तत्वों पर कड़ी नजर रखने के निर्देश भी दिए गए हैं।
डीजीपी मुख्यालय स्तर से 249 कंपनी पीएसी, तीन कंपनी एसडीआरएफ (राज्य आपदा मोचन बल), पांच कंपनी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के अलावा 7000 प्रशिक्षु उप निरीक्षकों को मुस्तैद किया गया है। यूपी 112 की 4,800 पीआरवी के माध्यम से सघन पेट्रोलिंग कराई जा रही है।
स्पेशल डीजी का कहना है कि किसी आपात स्थिति से निपटने के लिए प्रदेश में पुलिस की 1,785 क्विक रिस्पांस टीमें दंगा नियंत्रण उपकरणों, बाडी प्रोटेक्टर, टियर गैस गन, दमकल वाहनों, वज्र वाहनों व अन्य दंगा रोधी उपकरणों के साथ मुस्तैद की गई हैं।
इंटरनेट मीडिया की निगरानी बढ़ाए जाने के साथ ही शांति समितियों की बैठकें भी कराई गई हैं। संभ्रांत नागरिकों के सहयोग से सभी स्थानों पर शांति-व्यवस्था बनाए रखने के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। शरारती तत्वों से पूरी सख्ती से निपटे जाने के निर्देश भी दिए गए हैं।
उत्तर प्रदेश
हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी
महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।
हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।
आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक
महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।
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