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उत्तर प्रदेश

सुनील बंसल बने बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव, बंगाल ओडिशा और तेलंगाना की भी जिम्मेदारी

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लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी ने उप्र के प्रदेश महामंत्री (संगठन) सुनील बंसल को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्तं कर दिया है। सुनील बंसल के पास पश्चिम बंगाल, ओडिशा और तेलंगाना के प्रदेश प्रभारी की भी जिम्मेतदारी रहेगी। बंसल की जगह उप्र के महामंत्री (संगठन) अब धर्मपाल सिंह होंगे।

दरअसल, तेलंगाना में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। बीजेपी तेलंगाना को जीतने के लिये कोई कोर कसर नहीं छोड़ने चाहती है। इसके लिये उन्हें स्ट्रेटजी मेकर नेता की जरूरत है। ऐसे में बीजेपी के लिए सफल रणनीतिकार के रूप में सुनील बंसल स्वा्भाविक विकल्प साबित हुए।

सुनील बंसल को 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान यूपी का को-इंचार्ज बनाया गया था। इस चुनाव में यूपी में बीजेपी गठबंधन ने 80 में से 73 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया था।

2014 चुनाव के बाद बने थे संगठन मंत्री

बीजेपी ने लोकसभा चुनाव 2014 में शानदार जीत के बाद सुनील बंसल को यूपी का संगठन मंत्री बना दिया था। इसके बाद उन्होंने साल 2019 लोकसभा और 2017 व 2022 के उप्र विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को शानदार जीत हासिल कराने में अहम भूमिका निभाई। हालांकि, 2022 विधानसभा चुनाव के बाद उन्हें केंद्र की राजनीति में भी शामिल करने की चर्चा चल रही थी।

बीजेपी में अहम रहा है संगठन महामंत्री पद

भाजपा में संगठन महामंत्री का पद बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस पद पर आरएसएस के पूर्णकालिक प्रचारकों को नियुक्त करने का चलन रहा है। माना जाता है कि संगठन महामंत्री ही भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की आंख-नाक-कान होता है। बंसल से पहले राकेश जैन, नागेंद्र नाथ भी संगठन महामंत्री रहे।

उत्तर प्रदेश

हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी

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महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।

हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।

आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।

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