आध्यात्म
1 मार्च को है महाशिवरात्रि का पर्व, यहां पढ़ें शुभ मुहर्त, पूजा की विधि और महत्त्व
देवाधि देव महादेव की उपासना का पर्व महाशिवरात्रि एक मार्च को मनाई जाएगी। ग्रह-नक्षत्रों के शुभ संयोग इस महाशिवरात्रि को खास बना रहे हैं। इस दिन शहर के महादेव झारखंडी, मुक्तेश्वरनाथ, मानसरोवर शिव मंदिर सहित सभी शिवालयों में भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए आस्था का जनसैलाब उमड़ेगा। इस वर्ष शिव योग और मंगलवार होने से यह व्रतियों के लिए अत्यन्त पुण्यदायक और फलप्रद है।
1 मार्च से जागेगा इन राशियों का सोया भाग्य, धन- संपदा में होगी वृद्धि
हृषीकेश पंचांग के मुताबिक एक मार्च दिन मंगलवार को सूर्योदय सुबह 6:15 बजे और चतुर्दशी तिथि का मान रात्रि 12:17 बजे तक है। धनिष्ठा नक्षत्र भी संपूर्ण दिन रात्रिशेष 3:18 बजे तक, परिघ योग दिन में 10:38 बजे तक और उसके बाद संपूर्ण दिन और संपूर्ण रात्रि पर्यंत शिव योग है। ज्योतिषाचार्य डॉ. सुखदेव सिंह ने बताया कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना सहस्त्रों जन्म के पापों का तिरोहण करके अनन्त पुण्य फल देने वाली है। यह शिवरात्रि त्रिस्पृशा होने से और अधिक उत्तम होती है। उसमें भी रविवार या मंगलवार को ( शिवयोग) और भी अच्छा है।
ज्योतिर्विद पं. नरेंद्र उपाध्याय के मुताबिक फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। धर्मशास्त्र के अनुसार जिस दिन अर्धरात्रि में चतुदर्शी हो, उसी दिन शिवरात्रि का व्रत करना चाहिए। जो व्यक्ति शिवरात्रि को निर्जला व्रत रहकर जागरण और रात्रि के चारों प्रहरों में चार बार पूजा करता है, वह शिव की कृपा को प्राप्त करता है। शिवरात्रि महात्म्य में लिखा है कि शिवरात्रि से बढ़कर कोई दूसरा व्रत नहीं है।
ऐसे करें पूजन-अर्चन
पं. शरद चंद्र मिश्र ने बताया कि शिवरात्रि के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प करें। व्रत रखकर किसी शिव मंदिर या अपने घर में नर्मदेश्वर की मूर्ति या पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर समस्त पूजन सामग्री एकत्र कर आसन पर विराजमान होकर ‘मम इह जन्मनि जन्मान्तरेवार्जित सकल पाप क्षयार्थं आयु-आरोग्य-ऐश्वर्य-पुत्र-पौत्रादि सकल कामना सिद्धिपूर्वक अन्ते शिवसायुज्य प्राप्तये शिवरात्रिव्रत साड्गता सिध्यर्थं साम्बसदाशिव पूजनम करिष्ये। मंत्र जप करते हुए स्थापित शिवमूर्ति की षोडशोपचार पूजा करें। आक, कनेर, विल्वपत्र और धतूरा, कटेली आदि अर्पित करें। रुद्रीपाठ, शिवपुराण, शिवमहिम्नस्तोत्र, शिव संबंधित अन्य धार्मिक कथा सुनें। रुद्रभिषेक करा सकें, तो अत्यंत उत्तम है। रात्रि जागरण कर दूसरे दिन प्रात:काल शिवपूजा के पश्चात जौ, तिल और खीर से 108 आहुतियों ‘त्र्यम्बकं यजामहे या ‘ऊं नम: शिवाय आदि मंत्रों से यज्ञशाला में दें। ब्राह्मणों या शिवभक्तों को भोजन कराएं और दक्षिणा देकर विदा करें फिर स्वयं भोजन कर व्रत का पारण करें।
आध्यात्म
महाकुम्भ 2025: बड़े हनुमान मंदिर में षोडशोपचार पूजा का है विशेष महत्व, पूरी होती है हर कामना
महाकुम्भनगर| प्रयागराज में संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर का कॉरिडोर बनकर तैयार हो गया है। यहां आने वाले करोड़ों श्रद्धालु यहां विभिन्न पूजा विधियों के माध्यम से हनुमान जी की अराधना करते हैं। इसी क्रम में यहां षोडशोपचार पूजा का भी विशेष महत्व है। षोडशोपचार पूजा करने वालों की हर कामना पूरी होती है, जबकि उनके सभी संकट भी टल जाते हैं। मंदिर के महंत और श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने इस पूजा विधि के विषय में संक्षेप में जानकारी दी और यह भी खुलासा किया कि हाल ही में प्रयागराज दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी मंदिर में षोडशोपचार विधि से पूजा कराई गई। उन्हें हनुमान जी के गले में पड़ा विशिष्ट गौरीशंकर रुद्राक्ष भी भेंट किया गया। उन्होंने भव्य और दिव्य महाकुम्भ के आयोजन के लिए पीएम मोदी और सीएम योगी का आभार भी जताया।
16 पदार्थों से ईष्ट की कराई गई पूजा
लेटे हनुमान मंदिर के महंत एवं श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक यजमान की तरह महाकुम्भ से पहले विशेष पूजन किया। प्रधानमंत्री का समय बहुत महत्वपूर्ण था, लेकिन कम समय में भी उनको षोडशोपचार की पूजा कराई गई। पीएम ने हनुमान जी को कुमकुम, रोली, चावल, अक्षत और सिंदूर अर्पित किया। यह बेहद विशिष्ट पूजा होती है, जिसमें 16 पदार्थों से ईष्ट की आराधना की। इस पूजा का विशेष महत्व है। इससे संकल्प सिद्धि होती है, पुण्य वृद्धि होती है, मंगलकामनाओं की पूर्ति होती और सुख, संपदा, वैभव मिलता है। हनुमान जी संकट मोचक कहे जाते हैं तो इस विधि से हनुमान जी का पूजन करना समस्त संकटों का हरण होता है। उन्होंने बताया कि पीएम को पूजा संपन्न होने के बाद बड़े हनुमान के गले का विशिष्ट रुद्राक्ष गौरीशंकर भी पहनाया गया। यह विशिष्ट रुद्राक्ष शिव और पार्वती का स्वरूप है, जो हनुमान जी के गले में सुशोभित होता है।
सभी को प्रेरित करने वाला है पीएम का आचरण
उन्होंने बताया कि पूजा के दौरान प्रधानमंत्री के चेहरे पर संतों का ओज नजर आ रहा था। सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि उनमें संतों के लिए विनय का भाव था। आमतौर पर लोग पूजा करने के बाद साधु संतों को धन्यवाद नहीं बोलते, लेकिन पीएम ने पूजा संपन्न होने के बाद पूरे विनय के साथ धन्यवाद कहा जो सभी को प्रेरित करने वाला है। उन्होंने बताया कि पीएम ने नवनिर्मित कॉरिडोर में श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर भी अपनी रुचि दिखाई और मंदिर प्रशासन से श्रद्धालुओं के आने और जाने के विषय में जानकारी ली। वह एक अभिभावक के रूप में नजर आए, जिन्हें संपूर्ण राष्ट्र की चिंता है।
जो सीएम योगी ने प्रयागराज के लिए किया, वो किसी ने नहीं किया
बलवीर गिरी महाराज ने सीएम योगी की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रयागराज और संगम के विषय में जितना सोचा, आज से पहले किसी ने नहीं सोचा। संत जीवन में बहुत से लोगों को बड़े-बड़े पदों पर पहुंचते देखा, लेकिन मुख्यमंत्री जी जैसा व्यक्तित्व कभी नहीं देखने को मिला। वो जब भी प्रयागराज आते हैं, मंदिर अवश्य आते हैं और यहां भी वह हमेशा यजमान की भूमिका में रहते हैं। हमारे लिए वह बड़े भ्राता की तरह है। हालांकि, उनकी भाव भंगिमाएं सिर्फ मंदिर या मठ के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए हैं। वो हमेशा यही पूछते हैं कि प्रयागराज कैसा चल रहा है। किसी मुख्यमंत्री में इस तरह के विचार होना किसी भी प्रांत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
स्वच्छता का भी दिया संदेश
उन्होंने महाकुम्भ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ को स्वच्छ महाकुम्भ बनाने का जिम्मा सिर्फ सरकार और प्रशासन का नहीं है, बल्कि श्रद्धालुओं का भी है। मेरी सभी तीर्थयात्रियों से एक ही अपील है कि महाकुम्भ के दौरान स्नान के बाद अपने कपड़े, पुष्प और पन्नियां नदियों में और न ही तीर्थस्थल में अर्पण न करें। प्रयाग और गंगा का नाम लेने से ही पाप कट जाते हैं। माघ मास में यहां एक कदम चलने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। यहां करोड़ों तीर्थ समाहित हैं। इसकी पवित्रता के लिए अधिक से अधिक प्रयास करें। तीर्थ का सम्मान करेंगे तो तीर्थ भी आपको सम्मान प्रदान करेंगे। स्नान के समय प्रयाग की धरा करोड़ों लोगों को मुक्ति प्रदान करती है। यहां ज्ञानी को भी और अज्ञानी को भी एक बराबर फल मिलता है।
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