प्रादेशिक
थर्ड वेव की आशंका को देखते हुए योगी सरकार ने तेज की तैयारी, 50 लाख गरीब बच्चों को कोरोना दवा की किट बांटने की योजना प्रारम्भ
लखनऊ। योगी आदित्यनाथ के निर्देशन में प्रदेश सरकार कोरोना पर नकेल कसने के साथ ही इससे प्रभावित विभिन्न वर्गों को कोरोना के पश्चप्रभाव से उबारने के लिए संजीदगी से कार्य कर रही है। ऐसे ही वर्ग में प्रदेश के बच्चे आते हैं जोकि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोरोना से प्रभावित हो चुके हैं, या जिन्हें भविष्य में कोरोना की तीसरी लहर से प्रभावित होने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है। प्रदेश सरकार ने बच्चों के वर्तमान व भविष्य को सुरक्षित करने के लिए चाकचौबन्द व्यवस्था की है।
इसके तहत करीब 50 लाख गरीब बच्चों को कोरोना दवा की किट बांटने की योजना प्रारम्भ की है। पहले चरण में 17 लाख किट गांवों में वितरित की जा रही है। यह दवा किट निगरानी समितियों के माध्यम से 18 साल से कम उम्र के कोरोना लक्षण युक्त बच्चों को प्रदान की जायेगी। यह भी गौरतलब है कि बच्चों को उम्र के अनुसार अलग-अलग किट प्रदान की जायेगी। इस कार्य में (73 हजार) निगरानी समितियों को लगाया गया है।
प्रदेश सरकार ने कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों के प्रति मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए ऐसे बच्चों की शिक्षा व उनके पालन पोषण के लिए मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना शुरू की है। इसके अन्तर्गत ऐसे बच्चों को पात्र बनाया गया है जिनके माता-पिता या अभिभावकों का कोरोना संक्रमण से निधन हो गया है।
इस योजना के तहत प्रदेश सरकार अनाथ बच्चों के समुचित पालन पोषण के लिए उनके व्यस्क होने तक पालनकर्ता को 4000 रूपये प्रतिमाह की वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। बच्चों को अध्ययन में सुगमता के लिए प्रदेश सरकार द्वारा लैपटॉप अथवा टैबलेट भी प्रदान किया जायेगा। साथ ही राज्य सरकार अनाथ बालिकाओं के विवाह के लिए 101000 रूपये की राशि भी देगी।
प्रदेश सरकार ने इस योजना के तहत अधिक से अधिक बच्चों को कवर करने के लिए आय सीमा 02 लाख प्रतिवर्ष से बढ़ाकर 03 लाख प्रतिवर्ष कर दी है। प्रदेश सरकार द्वारा देश के भावी कर्णधारों के लिए उठाये गये कदम निश्चित रूप से मील का पत्थर साबित होंगे।
उत्तर प्रदेश
हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी
महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।
हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।
आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक
महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।
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