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नेशनल

मणिपुर में मैतेई उग्रवादी संगठनों पर कसेगा शिकंजा, गृह मंत्रालय ने बनाया ट्रिब्यूनल

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To tighten the noose on Meitei extremist organizations in Manipur

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मणिपुर में संचालित मैतेई उग्रवादी समूहों पर प्रतिबंध बढ़ाने के फैसले पर विचार करने के लिए न्यायाधिकरण का गठन किया है।

गृह मंत्रालय ने किया न्यायाधिकरण का गठन

मिली जानकारी के अनुसार, गृह मंत्रालय ने गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) न्यायाधिकरण का गठन किया है। गुवाहाटी हाई कोर्ट के न्यायाधीश संजय कुमार मेधी की सदस्यता में न्यायाधिकरण का गठन किया गया है। न्यायाधिकरण यह फैसला करेगा कि मणिपुर के मैतेई उग्रवादी संगठनों के साथ-साथ उनके गुटों, विंग और फ्रंट संगठनों को गैरकानूनी घोषित करने के लिए पर्याप्त कारण हैं या नहीं।

पीपुल्स लिबरेशन आर्मी पर कसेगा शिकंजा

बता दें कि मणिपुर में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी बड़े लेवल पर सक्रिय हैं। इसमें रिवॉल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट, यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट शामिल हैं। इसके अलावा इसकी सशस्त्र शाखा मणिपुर पीपुल्स आर्मी, पीपुल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी ऑफ कंगलीपाक और सशस्त्र संगठन के साथ समन्वय समिति भी शामिल है।

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नेशनल

शराब घोटाला: केजरीवाल के खिलाफ चलेगा केस, एलजी ने ईडी को दी मंजूरी

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नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 से पहले अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ गई हैँ। दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने ईडी को आबकारी नीति मामले में पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। 5 दिसंबर को ईडी ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगी थी।

ईडी का दावा है कि अरविंद केजरीवाल ने ‘साउथ ग्रुप’ के सदस्यों के साथ मिलकर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली और कस्टमाइज शराब नीति बनाकर निजी कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाया। ईडी का यह भी कहना है कि केजरीवाल ने मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए इस रकम को छुपाने की कोशिश भी की। बता दें यह मामला राउज एवेन्यू कोर्ट में पहले से दर्ज है।

ईडी ने जो शिकायत दायर कि है उसमें आरोप लगाया गया है कि केजरीवाल ने ‘साउथ ग्रुप’ के सदस्यों के साथ मिलकर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली और एक विशेष शराब नीति तैयार करके उसे लागू करके निजी संस्थाओं को अनुचित लाभ पहुंचाया। ईडी ने अभियोजन शिकायत में यह भी आरोप लगाया कि अपराध की आय से लगभग 45 करोड़ रुपये का इस्तेमाल गोवा चुनावों में केजरीवाल की मिलीभगत और सहमति से आप के प्रचार के लिए किया गया।

जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि आप अपराध की आय का ‘मुख्य लाभार्थी’ थी और केजरीवाल राष्ट्रीय संयोजक और राजनीतिक मामलों की समिति और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य होने के नाते गोवा चुनावों के दौरान धन के उपयोग के लिए जिम्मेदार थे। ED ने रिपोर्ट में उल्लेख किया कि अरविंद केजरीवाल ने इस पीओसी (अपराध की आय) को नकद हस्तांतरण/हवाला हस्तांतरण के माध्यम से पीढ़ी से लेकर उपयोग तक छुपाया है। इसलिए, आरोपी अरविंद केजरीवाल वास्तव में और जानबूझकर मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध से जुड़ी अलग अलग प्रक्रियाओं और गतिविधियों में शामिल हैं, यानी पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम), 2002 की धारा 3 के तहत परिभाषित उत्पादन, अधिग्रहण, कब्जा, छिपाना, हस्तांतरण, उपयोग और इसे बेदाग होने का दावा करना है।

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