उत्तर प्रदेश
उप्र दिवस आज, सीएम योगी बोले- एक्सपोर्ट प्रदेश के रूप में हो रही UP की पहचान
लखनऊ। लखनऊ के शहीद पथ स्थित अवध शिल्प ग्राम में आयोजित उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस कार्यक्रम का शुभारंभ आज राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और CM योगी आदित्यनाथ ने किया। बता दें कि यूपी दिवस के मौके पर सभी जिलों में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
कार्यक्रम में सीएम योगी ने कहा कि मैं सबसे पहले देश की आबादी के सबसे बड़े राज्य उप्र की जनता को आज 74वें स्थापना दिवस की बधाई देता हूं। सीएम योगी ने कहा कि यूपी के लिए पीएम मोदी के सपनों को हकीकत में बदलना चाहिए। पीएम मोदी का दृष्टिकोण भारत को दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक में बदलना और यूपी को अपने विकास इंजन के रूप में काम करना है। हम यहां उसी सोच के साथ इकट्ठे हुए हैं।
CM योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश दिवस मनाने की शुरुआत 2017 में प्रदेश में डबल इंजन सरकार बनने के बाद से हुई। इस समारोह से UP की सही तस्वीर उभरकर सामने आ रही है। पिछले पांच सालों में UP की पहचान बदली है। 2017 के पहले UP दंगों के प्रदेश के रूप में जाना जाता था। अब दंगों के प्रदेश से UP की पहचान एक्सपोर्ट प्रदेश के रूप में हो रही है।
इस अवसर पर एक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इसमें प्रदेश के सभी 75 जिलों के उत्पादों को भी प्रदर्शनी में शामिल किया गया। सीएम योगी, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने प्रदर्शनी में शामिल उत्पादों को देखा। आज से शुरू हुआ उप्र स्थापना दिवस समारोह 24 से 26 जनवरी तक मनाया जाएगा।
प्रदेश की बोलियों पर आधारित कवि सम्मेलन होगा
समारोह में आज प्रदेश की विभिन्न बोलियों पर आधारित कवि सम्मेलन होगा। साथ ही भक्ति संगीत में कन्हैया मित्तल शामिल होंगे। उप्र स्थापना दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर प्रदेश वासियों को शुभकामनाएं दी हैं।
उत्तर प्रदेश
हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी
महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।
हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।
आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक
महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।
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