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प्रादेशिक

हरी सब्जियों के निर्यात का हब बना पूर्वांचल, किसानों की आय भी बढ़ी

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नई दिल्ली। मोदी-योगी का किसानों की आय दुगनी करने का संकल्प सफल होता दिखाई दे रहा है। पूर्वांचल की हरी सब्जियों ने एक बार फिर खाड़ी देशों की ओर उड़ान भरना शुरू कर दिया है। दुबई और शारजाह के शेख पूर्वांचल की पौष्टिक सब्जियों का स्वाद चख सकेंगे। बाबतपुर स्थित लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट से एयर इंडिया एक्सप्रेस का विमान हरी सब्जियों को लेकर उड़ान भर दिया है। दो मीट्रिक टन के कार्गो में परवल, भिंडी, नेनुआ, कुंदरू व सूरन आदि सब्जियां हैं। 2020 में भी लंदन, दुबई, दोहा, कतर जैसे कई देशों में हरी मिर्च, बनारसी लंगड़ा आम, काला चावल निर्यात हो चुका है।

बिचौलियों को बीच से हटा कर किसान खाद्य पदार्थों का अब सीधा निर्यात कर रहा है। जिससे उनको अधिक मुनाफा मिल रहा है। योगी सरकार ने पूर्वांचल के किसानों के लिए एक्सपोर्ट को आसान बना दिया है। किसानों के समूह (FPO ) फार्मर प्रोडूसर आर्गेनाइजेशन के माध्यम से किसान बिना बिचौलियों के सीधे निर्यात कर रहे है। जिससे उनको अधिक मुनाफा हो रहा है। सरकार बिचौलियों को बीच से हटा कर किसानों की मेहनत का पूरा पैसा उनको दिलाना चाहती है। इन उपक्रमों के माध्यम से सरकार किसानों की आय दुगनी करने में तेजी से सफल हो रही है। जिसमें खेती का आधुनिकीकरण, किसानों का प्रशिक्षण, अच्छे बीज व खाद की समय से उपलब्धता, दैवीय आपदा में समय से उचित मुआवजा आदि सरकारी सहायताएं शामिल हैं।

क्षेत्रीय प्रभारी एपीडा डॉ सी.बी सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट से इस सीज़न का पहली बार पूर्वांचल के जिलों वाराणसी, प्रयागराज, भदोही से दो मीट्रिक टन हरी सब्जियां यूएई (संयुक्त अरब अमीरात) के दुबई और शारजाह के लिए रवाना हुईं हैं। जिसमें भिंडी, नेनुआ, परवल, कुंदरु और सूरन शामिल हैं। ये सब्जियां भदोही के फार्मर प्रोड्यूसर आर्गेनाइजेशन के माध्यम से निर्यात की जा रही हैं। जिसमें करीब 15 -20 किसान जुड़े हैं। जबकि पूर्वांचल में करीब 35 से 40 एफपीओ सक्रिय हैं। जिससे करीब 35 से 40 हजार किसान जुड़ कर अपनी आय बढ़ा रहे हैं।

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उत्तर प्रदेश

हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी

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महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।

हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।

आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।

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