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उत्तर प्रदेश

उप्र: टॉयलेट में रखा खिलाड़ियों का खाना, वीडियो वायरल; स्पोर्ट्स अफसर सस्पेंड

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सहारनपुर। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले से में कबड्डी खिलाड़ियों के लिए बदइन्तजामी का मामला सामने आया है। यहां खिलाड़ियों को दिया जाने वाला भोजन शौचालय में रखने का एक वीडियो वायरल हो रहा है। राज्य सरकार ने वीडियो का संज्ञान लेते हुए क्रीड़ाधिकारी को निलंबित कर दिया है।

वायरल वीडियो

मिली जानकारी के मुताबिक, सहारनपुर स्थित डॉ. भीमराव स्पोर्ट्स स्टेडियम में 16 सितंबर से तीन दिवसीय सब-जूनियर बालिका कबड्डी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। प्रतियोगिता में 17 टीमों ने हिस्सा लिया था। खिलाड़ियों ने दावा किया कि उन्हें शौचालय में रखा अधपका खाना खाने को दिया गया। खिलाड़ियों ने यह भी कहा कि खाने में उन्हें सिर्फ सब्जियां और सलाद दिया गया। घटना प्रतियोगिता के पहले दिन की बताई जा रही है।

घटना का संज्ञान लेते हुए सरकार ने सहारनपुर के स्पोर्ट्स ऑफिसर अनिमेष सक्सेना को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। सरकार ने एडीएम (वित्त एवं राजस्व) रजनीश कुमार मिश्रा को घटना की जांच के आदेश दिए हैं। खेल निदेशालय ने भी जिलाधिकारी से जवाब मांगा है।

दूसरी ओर, स्पोर्ट्स ऑफिसर अनिमेष सक्सेना के अनुसार बारिश के कारण स्विमिंग पूल के बराबर में बने चेंजिंग रूम (टॉयलेट) में खाने का सामान रखा गया था, चूंकि स्टेडियम में हर जगह निर्माण कार्य हो रहा है। इस वजह से चेंजिंग रूम में खाना रखने का बंदोबस्त किया गया था।

जिलाधिकारी अखिलेश सिंह ने बताया राज्य स्तरीय कबड्डी प्रतियोगिता में बदइंतजामी की शिकायतें मिली थीं। जिला क्रीड़ाधिकारी को निलंबित कर दिया गया है। मैंने जांच के आदेश दिए हैं, संबंधित अधिकारी तीन दिन में अपनी रिपोर्ट देंगे। रिपोर्ट आने के बाद हम उचित कार्रवाई करेंगे।

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उत्तर प्रदेश

हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी

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महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।

हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।

आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।

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