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उत्तर प्रदेश

उप्र: योगी सरकार की नई आबकारी नीति से घटेंगे शराब के दाम, दुनिया के बड़े ब्रांड खोल सकेंगे फ्रेंचाइजी

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New Excise Policy of UP

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की वर्ष 2024-25 की आबकारी नीति में ऐसे प्रावधान किये गए हैं जिससे दुनिया में शराब के शीर्ष ब्रांड उत्तर प्रदेश में फ्रेंचाइजी स्थापित कर सकेंगे। वहीं प्रदेश में अनाज से बनने वाली शराब के उत्पादन को बढ़ावा देने से उप्र की अन्य राज्यों पर निर्भरता कम होगी।

आबकारी आयुक्त सेंथिल पांडियन सी. ने बताया कि नई आबकारी नीति में राजस्व वृद्धि के लिए पहली बार फ्रेंचाइजी फीस की व्यवस्था की गई है। इससे दुनियाभर के शीर्ष ब्रांड उप्र की डिस्टलरीज के साथ फ्रेंचाइजी स्थापित कर सकेंगे।

अनाज से बनने वाली शराब को बढ़ावा दे रही सरकार

बीयर निर्यात फीस को भी 50 पैसे प्रति लीटर कम किया गया है, जिससे प्रदेश को बीयर निर्यात के क्षेत्र में और मजबूत स्थिति में लाया जा सके। सेंथिल पांडियन सी. ने बताया कि सरकार शीरे वाली शराब की जगह अनाज से बनने वाली शराब को बढ़ावा दे रही है।

दुनियाभर में अनाज से तैयार की जाने वाली शराब को सबसे ज्यादा गुणवत्तायुक्त माना जाता है। पहले अनाज वाली शराब को पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों से मंगाना पड़ता था, वहीं अब इनका निर्माण प्रदेश में ही हो रहा है। ऐसे में इस पर लगने वाली ड्यूटी तो बच ही रही है, जीएसटी में भी कमी आई है।

नई आबकारी नीति में बढ़ेगा राजस्व

आबकारी आयुक्त के अनुसार प्रदेश में अगर किसी ब्रांड की मांग बढ़ती है और डिस्टिलरी की क्षमता खत्म हो गई हो तब एक साल के लिए उन्हें दोगुनी लाइसेंस फीस के साथ बाहर से मदिरा खरीद कर बॉटलिंग बढ़ाने की अनुमति दी जाएगी। इससे प्रदेश का राजस्व तो बढ़ेगा ही, बॉटलर्स/आस्वकों को भी नई डिस्टिलरी लगाने के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा।

शराब के रेट में नहीं होगी बढ़ोत्तरी

आबकारी आयुक्त ने कहा कि नई आबकारी नीति में राजस्व बढ़ाने के उपाय किए जाने के बावजूद शराब के रेट में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी, बल्कि अनाज से बनाई जाने वाली 42.8 प्रतिशत तीव्रता वाली देशी शराब पहले जहां 90 रुपये की मिलती थी उसके दाम घटकर 85 रुपए हो जाएंगे।

उत्तर प्रदेश

लखनऊ में बाघ का आतंक, तमाम उपायों के बाद भी नहीं आ रहा हाथ, कई क्षेत्रों में डर का माहौल

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लखनऊ। रहमानखेड़ा केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान में बाघ ने एक और पड़वे (भैंस के बच्चे) का शिकार किया है। यह बाघ का 15वां शिकार है। बाघ ने वन विभाग को एक बार फिर चकमा देते हुए जंगल में उसी जगह शिकार किया जहां उसको फंसाने के लिए गड्ढा खोदा गया है। जंगल के जोन एक के बेल वाले ब्लॉक में वन विभाग ने 15 फीट गहरा गड्ढा खोद झाड़ियों से ढक दिया है ताकि बाघ शिकार करने का प्रयास करें तो गहरे गड्ढे में गिर जाए।

फिर उसे ट्रैंकुलाइज किया जा सके। यहीं एक पिंजरा भी लगाया गया है जिसमें पड़वे को बांधा गया था। हालांकि वन विभाग की सारी तरकीबें धरी रह गई हैं। मंगलवार भोर में बाघ ने पड़वा को अपना निवाला बनाया। न वो पिंजरे में फंसा न गड्ढे में गिरा। सुबह जानकारी पर जांच करने पहुंची टीम को पड़वे का क्षतविक्षत शव मिला। मौके से बाघ के पगचिह्न भी मिले।

विशेषज्ञों का कहना है कि बाघ 24 घंटे के अंदर अपने शिकार का बचा हुआ मांस खाने के लिए दोबारा आ सकता है। वन विभाग की टीम ने बाघ की तलाश में मीठेनगर, उलरापुर और दुगौली के आसपास मौजूद जंगल में डायना और सुलोचना हथिनियों से कॉम्बिंग की लेकिन उसका पता नहीं लगा। शिकार की जानकारी पर अपर मुख्य वन संरक्षक रेणू सिंह ने टीम लीडर आकाशदीप बधावन व डीएफओ सितांशु पांडेय के साथ शिकार स्थल का जायजा लिया। यहां सक्रिय टीम को मृत पड़वे के पास निगरानी करने का निर्देश दिए।

तीन दर्जन से अधिक वाहनों की आवाजाही नो- गो- जोन में कर रही शोर गुल

वन विभाग ने रहमान खेड़ा में नो-गो जोन घोषित किया है। इसके बावजूद वन विभाग के ही 30 से ज्यादा वाहनों की हलचल यहां हर दिन रहती है। मंगलवार को दोपहर में अधिकारियों समेत वन विभाग टीम के करीब दो दर्जन चार पहिया वाहन कमांड ऑफिस के आस-पास खड़े थे। संस्थान के कर्मियों के वाहन व बसों की आवाजाही भी यहां रहती है। मचान व पिंजरों के पास भी वाहनों के साथ अधिकारी आ जा रहे हैं। इसी के चलते बाघ पकड़ में नहीं आ पा रहा है।

 

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