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उत्तर प्रदेश

क्या सियासत की भेट चढ़ गयी स्वाति सिंह और दयाशंकर सिंह की प्रेम कहानी?

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कहते हैं कि अगर आपको अपने खानदान की पिछली सात पुश्तों का इतिहास खंगालना हो, तो राजनीति में आ जाइये। जहां ऐसे गड़े मुर्दे निकालकर सामने रख दिये जायेंगे कि आप खुद हैरान हुए बगैर नहीं रह सकते। यूपी की चुनावी सियासत में अपना खासा वजूद रखने वाले पति, पत्नी की कुछ ऐसी ही दिलचस्प कहानी सामने आई है। हालांकि, ये दास्तां तो दो किनारों के न मिल पाने की है लेकिन इसके दोनों मुख्य किरदार का वास्ता एक ही पार्टी से है। लिहाज़ा विरोधी दल इसे चटखारे लेकर जनता के बीच परोस रहे हैं। स्वाति सिंह की प्रेम कहानी अब सियासत की भेट चढ़ गयी है। योगी आदित्यनाथ का शपथ समारोह 25 मार्च को होना है, ऐसे में क्या ये तारिख स्वाति सिंह के लिए एक काली तारिख साबित होगी ? इस बार स्वाति सिंह मंत्री पद की शपत नहीं लेंगी। वहीँ उनके पति दयाशंकर सिंह शपथ ले सकते हैं। अगर योगी आदित्यनाथ चाहते तो स्वाति सिंह का तलाक़ रोक सकते थे।

एक तरफ योगी सरकार की मंत्री स्वाति सिंह हैं, तो दूसरी ओर उनके पति दयाशंकर सिंह हैं. जो प्रदेश बीजेपी के उपाध्यक्ष हैं। बताते हैं कि दोनों के बीच पिछले कुछ वक्त से मनमुटाव है लेकिन पति-पत्नी के बीच अनबन होना और फिर दोनों का अलग-अलग रहना कोई नई बात नहीं है। बड़ी बात ये है कि दोनों का ही वास्ता बीजेपी से है लिहाज़ा पार्टी के लिए मंत्री का ये पारिवारिक झगड़ा उसकी चमकदार इमेज पर कुछ हद तक बट्टा भी लगा सकता है.सिर्फ सूबे के ही नहीं बल्कि देश के सियासी इतिहास में शायद ये ऐसा पहला मामला है, जबकि दोनों ने एक ही विधानसभा सीट लेने के लिए अपना दावा ठोक दिया था।

21 साल पहले इस प्रेम कहानी का आगाज़ हुआ था। जिस दयाशंकर के प्यार में स्वाति दुनिया से लड़ गयीं, क्या 21 साल बाद इस मोहब्बत का अंत तलाक़ से होगा ? बीजेपी दयाशंकर सिंह को मंत्री बना सकती है, ऐसे में 25 मार्च को स्वाति सिंह के जीवन में तूफ़ान सा आ सकता है।

लखनऊ से ही इन दोनों की लव स्टोरी शुरू हुई थी। 1999 के करीब लखनऊ यूनिवर्सिटी में जब दया शंकर सिंह ABVP के नेता हुआ करते थे। उसी वक़्त स्वाति सिंह उनके प्यार में गिर गयीं थी। कॉलेज कैंपस में दयाशंकर का रुतबा था। उनके इसी दबंग अंदाज़ पर स्वाति सिंह अपना दिल हार बैठी थी। दोनों 2001 में शादी के बंधन में बंध गए। लेकिन शादी के कुछ साल बाद ही रिश्ते में खट्टास आ गयी। साल 2008 से रिश्ते में दराद आनी शुरू हो गयी थी। उसी वक़्त मामला तलाक़ तक जा पंहुचा था। 2012 में पहली बार तलाक़ के लिए स्वाति सिंह ने कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया था। कोर्ट ने दयाशंकर सिंह को अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस जारी किया था।

अभी कोर्ट में तलाक़ का मुकदमा जारी ही था की दयाशंकर ने मायावती के खिलाफ एक विवादित बयान दे डाला। इस बयान से यूपी की राजनीती में भूंचाल आ गया। इस बयान के बाद पार्टी ने उन्हें छे साल के लिए पार्टी से निकाल दिया था। इसी बीच बसपा नेता ने स्वाति सिंह और उनकी बेटी के खिलाफ अभद्र टिप्पड़ी कर दी। बस यहीं से स्वाति सिंह ने मोर्चा खोल दिया और ऐसे तेवर दिखाए की वो बीजेपी को भा गयीं। तब स्वाति पति दयाशंकर के लिए ढाल बन कर उभरी थीं। स्वाति सिंह ने फिर वो कर दिखाया जो किसी के बस की बात नहीं थी।

वो सीधे मायावती से टकरा गयीं थी। साथ ही उन्होंने मायावती के खिलाफ शिकायत भी दर्ज करा दी थी। इस इमेज के मद्देनज़र बीजेपी ने उन्हें सीधे प्रदेश महिला मोर्चा का अध्यक्ष बना दिया। वहीँ साल 2017 में बीजेपी ने स्वाति सिंह को सरोजिनी नगर सीट से उमीदवार बना दिया। मंत्री बनने के बाद स्वाति ने पति दयाशंकर सिंह से तलाक़ लेने वाले मामले में पैरवी बंद कर दी। साल 2018 में फॅमिली कोर्ट ने दोनों पक्ष के कोर्ट न पहुंचने पर केस बंद कर दिया था। लेकिन अब स्वाति सिंह एक बार फिर कोर्ट पहुंच गयी हैं। अब वे अपने पति से पूर्णतः रिश्ता खत्म कर देना चाहती हैं। बता दें, दो महीने पहले चुनावी सरगर्मियों के बीच स्वाति सिंह का एक ऑडियो लीक हो गया था।

इस ऑडियो में वो पति पर मार-पीट और उन्हें प्रताड़ित करने का आरोप लगाती सुनाई देती हैं। इस ऑडियो के लीक होने पर सवाल उठाये जाने लगे थे की अगर मंत्री ही सुरक्षित नहीं हैं तो महिलाऐं कैसे सुरक्षित रहेंगी ? लोग स्वाति सिंह को उनके पिछले पांच साल में किये गए कामों के लिए पसंद करने लगे थे। ऐसा दावा है की स्वाति सिंह को डर है की दयाशंकर सिंह मंत्री बनने के बाद उन्हें और परेशान और प्रताड़ित कर सकते हैं। इसी वजह के चलते वो जल्द से जल्द पति से तलाक़ लेना चाहती हैं। आपको क्या लगता है,क्या दोनों का रिश्ता सियासत की भेट चढ़ गया ?

 

उत्तर प्रदेश

लखनऊ में बाघ का आतंक : वन विभाग ने पकड़ने के लिए किए तरह – तरह के उपाय, नहीं आ रहा है हाथ

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लखनऊ। रहमानखेड़ा केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान में बाघ ने एक और पड़वे (भैंस के बच्चे) का शिकार किया है। यह बाघ का 15वां शिकार है। बाघ ने वन विभाग को एक बार फिर चकमा देते हुए जंगल में उसी जगह शिकार किया जहां उसको फंसाने के लिए गड्ढा खोदा गया है। जंगल के जोन एक के बेल वाले ब्लॉक में वन विभाग ने 15 फीट गहरा गड्ढा खोद झाड़ियों से ढक दिया है ताकि बाघ शिकार करने का प्रयास करें तो गहरे गड्ढे में गिर जाए।

फिर उसे ट्रैंकुलाइज किया जा सके। यहीं एक पिंजरा भी लगाया गया है जिसमें पड़वे को बांधा गया था। हालांकि वन विभाग की सारी तरकीबें धरी रह गई हैं। मंगलवार भोर में बाघ ने पड़वा को अपना निवाला बनाया। न वो पिंजरे में फंसा न गड्ढे में गिरा। सुबह जानकारी पर जांच करने पहुंची टीम को पड़वे का क्षतविक्षत शव मिला। मौके से बाघ के पगचिह्न भी मिले।

विशेषज्ञों का कहना है कि बाघ 24 घंटे के अंदर अपने शिकार का बचा हुआ मांस खाने के लिए दोबारा आ सकता है। वन विभाग की टीम ने बाघ की तलाश में मीठेनगर, उलरापुर और दुगौली के आसपास मौजूद जंगल में डायना और सुलोचना हथिनियों से कॉम्बिंग की लेकिन उसका पता नहीं लगा। शिकार की जानकारी पर अपर मुख्य वन संरक्षक रेणू सिंह ने टीम लीडर आकाशदीप बधावन व डीएफओ सितांशु पांडेय के साथ शिकार स्थल का जायजा लिया। यहां सक्रिय टीम को मृत पड़वे के पास निगरानी करने का निर्देश दिए।

तीन दर्जन से अधिक वाहनों की आवाजाही नो- गो- जोन में कर रही शोर गुल

वन विभाग ने रहमान खेड़ा में नो-गो जोन घोषित किया है। इसके बावजूद वन विभाग के ही 30 से ज्यादा वाहनों की हलचल यहां हर दिन रहती है। मंगलवार को दोपहर में अधिकारियों समेत वन विभाग टीम के करीब दो दर्जन चार पहिया वाहन कमांड ऑफिस के आस-पास खड़े थे। संस्थान के कर्मियों के वाहन व बसों की आवाजाही भी यहां रहती है। मचान व पिंजरों के पास भी वाहनों के साथ अधिकारी आ जा रहे हैं। इसी के चलते बाघ पकड़ में नहीं आ पा रहा है।

 

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