Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

आध्यात्म

वसीम रिज़वी ने अपनाया हिंदू धर्म, नरसिंहानंद सरस्वती ने कराया धर्म परिवर्तन

Published

on

Loading

इस्लाम को लेकर अपनी बेबाक राय रखने वाले वसीम रिजवी अक्सर कट्टरपंथियों के निशाने पर रहते हैं। शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमेन हिंदू बन गए हैं। बता दें कि वसीम रिजवी ने आज इस्‍लाम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म अपना लिया। डासना मंदिर में पुजारी यति नरसिंहानंद सरस्वती ने उन्‍हें हिंदू धर्म ग्रहण कराया। धर्म परिवर्तन के बाद रिजवी अब त्यागी बिरादरी से जुड़ेंगे।

यति नरसिंहानंद सरस्वती ने ग्रहण कराया हिंदू धर्म

जानकारी के मुताबिक सोमवार सुबह डासना देवी मंदिर में पूरे विधि-विधान से रिजवी को हिंदू धर्म ग्रहण गया। उनका नया नाम अब हरबीर नारायण सिंह त्यागी होगा। धर्म परिवर्तन से पहले रिजवी ने कहा था कि नरसिंहानंद गिरि महराज ही उनका नया नाम तय करेंगे। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही वसीम रिजवी ने अपनी वसीयत जारी की थी।

हरबीर नारायण सिंह त्यागी होगा नया नाम

इस वसीयत में उन्‍होंने ऐलान किया था कि मरने के बाद उन्हें दफनाने के बजाय हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार किया जाए। उन्‍होंने यह भी कहा था कि यति नरसिम्हानंद उनकी चिता को आग दें। उनकी इस वसीहत ने भी खूब सुर्खियां बटोरीं थीं इस वसीयत के बाद वसीम रिजवी का एक वीडियो भी सामने आया था, जिसमें उन्‍होंने खुद की हत्‍या की साजिश की आशंका जताई थी। बता दें कि वसीम रिजवी ने कुरान की आयतों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी थी।

Also Read-वसीम रिज़वी ने साधा राहुल गांधी पर निशाना, वीडियो जारी कर कही ये बात

सुप्रीम कोर्ट में उनकी अर्जी के बाद से ही अल्पसंख्यक संगठनों ने उनका जमकर विरोध किया था। वसीम रिजवी की किताब को लेकर भी देश में काफी विवाद हुआ था। वसीम रिजवी के हिंदू बनने पर बड़ी संख्या में हिंदू धर्मगुरुओं ने उनका स्वागत किया है।

व्रत एवं त्यौहार

CHHATH POOJA 2024 : जानें कब से शुरू होगी छठी मैया की पूजा, जानिए इसे क्यों मनाते हैं

Published

on

Loading

मुंबई। त्रेतायुग में माता सीता और द्वापर युग में द्रौपदी ने भी रखा था छठ का व्रत रामायण की कहानी के अनुसार जब रावण का वध करके राम जी देवी सीता और लक्ष्मण जी के साथ अयोध्या वापस लौटे थे, तो माता सीता ने कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को व्रत रखकर कुल की सुख-शांति के लिए षष्ठी देवी और सूर्यदेव की आराधना की थी।

छठ पूजा क्यों मनाते है ?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा अर्चना और अर्घ्य देने से सुख-शांति, समृद्धि, संतान सुख और आरोग्य की प्राप्ति होती है। छठ पूजा को डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है। यह चार दिनों तक चलने वाला त्योहार है, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। छठ पर्व के दौरान प्रकृति के विभिन्न तत्वों जैसे जल, सूर्य, चंद्रमा आदि की पूजा की जाती है. यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका है और हमें प्रकृति के संरक्षण का महत्व सिखाता है. छठ का व्रत बहुत कठिन होता है. व्रतधारी 36 घंटे तक बिना पानी पिए रहते हैं. साथ ही छठ पर्व सभी वर्गों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाता है. इस पर्व के दौरान लोग मिलकर पूजा करते हैं, भोजन करते हैं और एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं. इससे सामाजिक एकता और भाईचारा बढ़ता है.

छठ पर्व के 4 दिन

छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय.
छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना.
छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024-डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य.
छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण

 

Continue Reading

Trending