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उत्तर प्रदेश

जिसकी दुकान पर तिरंगा नहीं वह देश के साथ खड़ा नहीं: संदीप बंसल

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लखनऊ। अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष संदीप बंसल ने आज राजधानी लखनऊ में व्यापारी तिरंगा यात्रा का शुभारंभ करते हुए कहा कि आजादी के 75 साल का यह स्वर्णिम अवसर सारे देशवासियों को मिलकर के मनाना चाहिए।

संदीप बंसल ने कहा इसमें कोई भी व्यापारी छूटे नहीं जिसकी दुकान पर और मकान पर झंडा ना लगा हुआ इसीलिए व्यापारियों को जागरूक करने के लिए यह व्यापारी तिरंगा यात्रा निकाली जा रही है क्योंकि 15 अगस्त को हर प्रकार के बाजार खोलेंगे सरकारी दफ्तर खुलेंगे, इसलिए अपने बाजारों में पूरी रौनक और उत्साह के साथ झंडे लगाएं बाजार सजाएं यथासंभव बाजारों में व्यापारी एकजुट होकर राष्ट्रगान एवं मिष्ठान का वितरण करें।

बंसल ने कहा देशवासियों के लिए यह क्षण किसी उत्सव से कम नहीं हम आज स्वतंत्रता के 75 वर्ष में हैं और यह संकल्प करें कि हम भारत को विश्व के पहले स्थान पर ले करके जाएंगे और विश्व गुरु बनाएंगे और उसका आधार सिर्फ और सिर्फ उद्योग और व्यापार ही हो सकता है।इसलिए उद्योग और व्यापार के विकास में आने वाली समस्त बाधाओं को दूर करने के लिए एकजुट होकर स्वतंत्रता के इस अमृत महोत्सव को आनंदित होकर आयोजित करें। हर दुकान हर मकान झंडा तिरंगा यह संकल्प हमारा हो।

केसरिया जीप पर बड़े-बड़े तिरंगे और साथ में सैकड़ों की संख्या में हाथ में तिरंगा लेकर व्यापारियों ने राष्ट्रीय अध्यक्ष संदीप बंसल के नेतृत्व में दारुल सफा से वाहन रैली निकाली वाहन रैली दारुल सफा से नोवेल्टी चौराहा, परिवर्तन चौराहा, हलवासिया, हजरतगंज, भाजपा कार्यालय, विधानसभा मार्ग, बर्लिंगटन चौराहा होते हुए मुरली नगर उदय गंज सदर क्षेत्र पहुंची जहां पर सदर के व्यापारियों ने यात्रा का जोरदार स्वागत करते हुए पूरे सदर क्षेत्र का भ्रमण किया।

व्यापारी तिरंगा वाहन यात्रा में शामिल होने वाले प्रमुख पदाधिकारियों में राष्ट्रीय मंत्री रिपन कंसल, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य प्रदीप अग्रवाल, अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के जिला प्रभारी संजय गुप्ता, उप्र युवा उद्योग व्यापार मंडल के प्रदेश उपाध्यक्ष आकाश गौतम, अशवन वर्मा, सुरेंद्र मोदी, पदम जैन, अनुज गौतम, पतंजलि सिंह, ललित सक्सेना, आदर्श अग्रवाल, दीपेश कुमार गुप्ता, राजेश गुप्ता, नवीन भसीन,एकता अग्रवाल, कजरा निगम, मदुला भार्गव, वीनू मिश्रा, आरके मिश्रा, सिंह,  मनीष अग्रवाल ,अनीश अग्रवाल, मो.सब्बीर, नसीम, राजीव कक्कड़, शुभम मौर्या सहित सैकड़ों व्यापारी शामिल थे

उत्तर प्रदेश

हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी

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महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।

हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।

आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।

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