उत्तर प्रदेश
अन्नपूर्णा भवनों को आधुनिक सुविधाओं से लैस कर रही योगी सरकार
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश में खाद्यान्न आपूर्ति को बेहतर बनाने और भंडारण को सुरक्षित रखने के लिए अत्याधुनिक अन्नपूर्णा भवनों का निर्माण करवा रहे हैं। इन भवनों का उद्देश्य राशन वितरण प्रणाली को स्थायी और प्रभावी बनाना है, जिससे कोटेदार के बदलने पर भी राशन दुकानों की स्थिरता बनी रहे। प्रदेश में अब तक 3,213 अन्नपूर्णा भवनों का निर्माण पूरा हो चुका है, जबकि 1,630 भवनों का कार्य प्रगति पर है।
योगी सरकार का उद्देश्य इन भवनों को ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में एक बहुउद्देश्यीय केंद्र के रूप में विकसित करना है। यहां की सुविधाएं लोगों की रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाने में सहायक होंगी। मनरेगा के तहत इन भवनों का निर्माण किया जा रहा है। ये भवन न केवल खाद्यान्न भंडारण के लिए उपयोगी होंगे बल्कि उचित दर की दुकानों के संचालन के लिए भी सहायक होंगे। ग्राम पंचायतों में सरकारी जमीन पर बनाए जा रहे इन अन्नपूर्णा भवनों में एक हॉल, प्रतीक्षालय, और जनसेवा केंद्र जैसी सुविधाएं शामिल हैं। वित्तीय वर्ष 2024-25 में अब तक 2,800 से अधिक नए भवनों का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है।
अन्नपूर्णा भवनों का उद्देश्य ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में खाद्यान्न आपूर्ति की प्रक्रिया को सुगम बनाना है। पहले उचित दर की दुकानें अक्सर संकरी गलियों में स्थित होती थीं, जिससे खाद्यान्न आपूर्ति वाहन और ग्राहकों को कठिनाई होती थी। अब इन भवनों के विकसित होने से खाद्यान्न वाहन और आम जनता की पहुंच सुगम हो गई है।
अन्नपूर्णा भवनों में उपलब्ध होंगी कई अतिरिक्त सेवाएं
अन्नपूर्णा भवन न केवल खाद्यान्न आपूर्ति का केंद्र होगा, बल्कि यहां अन्य जनसुविधाएं भी प्रदान की जाएंगी। भवन में स्टोर के लिए दो अलग-अलग कक्ष बनाए जा रहे हैं। एक कक्ष में सरकारी राशन का भंडारण होगा, जबकि दूसरे कक्ष में कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) संचालित किया जाएगा। इस केंद्र से जन्म, मृत्यु, आय और जाति प्रमाणपत्र जैसी सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
इसके अलावा, भवनों में जनरल स्टोर और कम्युनिटी सर्विस सेंटर (सीएससी) का संचालन किया जाएगा। यहां बिजली बिल भुगतान, ब्रॉडबैंड सेवा, सस्ती जेनरिक दवाएं, और रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं की बिक्री की सुविधा होगी। यह व्यवस्था लोगों के जीवन को सरल बनाने के साथ-साथ सरकारी योजनाओं को भी प्रभावी ढंग से लागू करेगी।
खाद्यान्न वितरण के साथ ही लोगों को मिलेंगी उच्च गुणवत्ता वाली सेवाएं
अन्नपूर्णा भवनों में अत्याधुनिक सुविधाओं का समावेश किया जा रहा है। इन भवनों में सीसीटीवी कैमरों और इंटरनेट की व्यवस्था होगी, जिससे पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित हो सकेगी। नए भवनों के निर्माण के लिए सभी पूर्ति निरीक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे उपयुक्त भूमि का चयन शीघ्र करें। जैसे ही भूमि का चयन पूरा होगा, निर्माण कार्य आरंभ कर दिया जाएगा। योगी सरकार का लक्ष्य है कि सभी 80,000 उचित दर की दुकानों को अन्नपूर्णा भवन के रूप में स्थायी और सुसज्जित किया जाए। इससे खाद्यान्न वितरण प्रणाली में सुधार होगा और लोगों को उच्च गुणवत्ता वाली सेवाएं मिलेंगी।
उत्तर प्रदेश
हमारी सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में 1.60 लाख से अधिक भर्तियां कींः मुख्यमंत्री
लखनऊ| मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन शिक्षा क्षेत्र में सरकार द्वारा किए गए कार्यों को रखा। उन्होंने सपा विधायक मनोज कुमार पारस, पूजा, पंकज पटेल के मुद्दे को महत्वपूर्ण व संवेदनशील बताया, लेकिन नसीहत दी कि सदस्यों को सदन की गरिमा व मर्यादा को ध्यान में रखकर तथ्यपरक बातें रखनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने शिक्षा विभाग में सरकार की उपलब्धियों का जिक्र किया। हमारी सरकार ने 1.60 लाख से अधिक भर्तियां शिक्षा विभाग में की हैं।
विभिन्न विभागों से अधियाचन मांगकर नियुक्ति प्रक्रिया को बढ़ा रहा उप्र. शिक्षा सेवा चयन आयोग
मुख्यमंत्री ने कहा कि समग्र शिक्षा (बेसिक, माध्यमिक, उच्च, तकनीकी, व्यावसायिक, चिकित्सा शिक्षा) को लेकर नया चयन बोर्ड (उप्र. शिक्षा सेवा चयन आयोग) बनकर तैयार है। वह विभिन्न विभागों से अधियाचन मांगकर नियुक्ति की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहा है। हमारी सरकार ने अकेले शिक्षा विभाग में ही 1.60 लाख से अधिक भर्तियां की हैं। यह वे भर्तियां हैं, जो पिछली सरकार की बदनीयती के कारण भरी नहीं जा सकी थीं।
आरक्षण के नियमों का हो रहा अक्षरशः पालन
मुख्यमंत्री ने कहा कि बेरोजगारी देश, दुनिया व उत्तर प्रदेश के सामने चुनौती है। उत्तर प्रदेश दुनिया के अंदर सबसे युवा राज्य है। 25 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में 56 से 60 फीसदी आबादी वर्किंग फोर्स-युवा है। हमारी सरकार ने राज्य के युवाओं को ध्यान में रखकर अनेक कार्य किए हैं। पिछले सत्र में हमारी सरकार ने पेपर लीक की घटनाओं पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए सार्वजनिक परीक्षा व अनुचित साधनों की रोकथाम अधिनियम -2024 को पारित किया। प्रदेश के युवाओं को ईमानदारी व पारदर्शिता के साथ सरकारी नौकरियां प्राप्त हो रही हैं। इसमें आरक्षण के नियमों का अक्षरशः पालन किया जा रहा है।
सदस्यों द्वारा रखे गए आंकड़े तथ्यपरक नहीं
मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां पर सदस्यों द्वारा रखे गए आंकड़े तथ्यपरक नहीं हैं। यदि उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा व माध्यमिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों की भर्तियों की प्रक्रिया को पूर्ण करने की बात है तो 69000 शिक्षकों को नियुक्ति पत्र जारी हुए हैं, वे सभी चार वर्षों से स्कूलों में पढ़ा भी रहे हैं। उससे पहले 68500 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को संपन्न किया गया, क्योंकि उस समय बीएड को एनसीटीई ने उस परीक्षा के योग्य नहीं माना था और उस समय बीटीसी के इतने अभ्यर्थी हमारे पास नहीं थे। इसमें केवल 42 हजार शिक्षकों की भर्ती हो पाई थी, जो आज बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में पढ़ा रहे हैं। इन सभी को नियुक्ति पत्र जारी हुआ।
पिछली सरकारों ने शिक्षा की गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ किया था
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली सरकारों ने शिक्षा की गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ किया था। शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक के रूप में भर्ती किया था। माननीय उच्चतम न्यायालय ने उन्हें खारिज करके सेवाओं को समाप्त करने का आदेश किया था, लेकिन राज्य सरकार ने उन्हें निश्चित मानदेय पर रखा है। वे सभी शिक्षामित्र भी यथावत कार्य कर रहे हैं। उन्हें वेटेज देकर भर्ती प्रक्रिया से जोड़ा गया था। माननीय उच्चतम न्यायालय की मंशा के अनुरूप कदम उठाए गए थे। 44,000 से अधिक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया माध्यमिक शिक्षा चयन आयोग बोर्ड व उच्चतर शिक्षा चयन आयोग बोर्ड के द्वारा संपन्न की जा चुकी है।
सीएम ने कराया हकीकत से वाकिफ
मुख्यमंत्री ने कहा कि 69 हजार शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में बड़ी विनम्रता से कहूंगा कि पिछड़ी जाति के 27 प्रतिशत आरक्षण के आधार पर 18 हजार पद आरक्षित होते हैं और पिछड़ी जाति के उसमें 32,200 से अधिक नौजवान भर्ती हुए हैं। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण की सीमा 21 फीसदी है, जिसमें 12 हजार पद उनके लिए आरक्षित होते हैं, लेकिन भर्ती हुई है 14 हजार से अधिक की। ये चीजें दिखाती हैं कि अपनी योग्यता और मेरिट से जो लोग आगे बढ़े हैं, उन्हें जनरल कैटेगरी का भी लाभ दिया गया है। जनरल के जो 34,500 पद थे, उसमें भर्ती हुई है मात्र 20 हजार। यह उन सबके लिए आंखें खोलने वाला होना चाहिए, जो इनके नाम पर राजनीति करके समाज में बंटवारे की खाई को चौड़ा करना चाहते हैं।
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