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प्रादेशिक

योगी सरकार ने बाढ़ और बारिश से प्रभावित किसानों को दी बड़ी राहत, अब तक खाते में भेजे गए इतने रुपए

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लखनऊ। यूपी में बाढ़ और बारिश से प्रभावित किसानों को पिछले तीन वर्ष में योगी सरकार ने बड़ी राहत दी है। योगी सरकार ने वर्ष 2020-21 में नुकसान झेल रहे 8 लाख 57 हजार 937 किसानों के लिए 415.45 करोड़ रुपये जारी किए हैं जिनमें से अभी तक 301.54 करोड़ 54 रुपये किसानों के खाते में भेजा जा चुका है।

योगी सरकार ने इसके पहले वर्ष 2018-19 में योगी सरकार ने तीन लाख 84 हजार 113 किसानों को दो अरब 12 करोड़ 76 लाख रुपये, इसके बाद 2019-2020 में एक लाख 79 हजार 536 किसानों को छह हजार 431 लाख रुपये राहत के रूप में भेजे थे।

सरकार प्रदेश के अन्नदाता किसानों को हर तरह से राहत देने का काम पिछले तीन वर्षों से लगातार कर रही है। इस बार बाढ़ व भारी बारिश से किसानों की फसलों को काफी नुकसान पहुंचा था। मुख्यमत्री योगी आदित्यनाथ ने इन किसानों की परेशानी को समझने और इसकी भरपाई करने के लिए बाढ़ग्रस्त इलाकों का हवाई सर्वेक्षण भी किया। इसके बाद मुख्यमंत्री ने प्रभावित सभी जिलों के अधिकारियों से पीड़ितों किसानों का सर्वे करके उनको तत्काल राहत राशि पहुंचाने के निर्देश दिए थे। इसी का परिणाम रहा कि शासन-प्रशासन ने तत्काल इन किसानों को राहत राशि पहुंचाई।

सरकार प्रदेश के अन्‍नदाता किसानों को हर तरह से राहत देने का काम कर रही है। पिछले दिनों बाढ़ व भारी बारिश से किसानों की फसलों को काफी नुकसान पहुंचा था। इसके बाद सरकार ने फसल नुकसान का आंकलन कर किसानों के लिए राहत पैकेज जारी किया था। सितम्बर और अक्टूबर की शुरुआत में हुई मूसलाधार बारिश और बाढ़ से करीब 44 जनपदों के किसानों की फसल को काफी नुकसान हुआ था । इसके बाद मुख्‍यमंत्री ने पीडि़त किसानों को तुरंत राहत पहुंचाने के निर्देश अधिकारियों को दिए थे।

सरकार ने नुकसान की भरपाई के लिए किसानों को उचित मुआवजा देने का ऐलान किया था। सरकार ने अभी तक साढ़े आठ लाख से अधिक किसानों को मुआवजा देने का काम किया है। यह मुआवजा राशि जिला कोषागार से सीधे किसानों के बैंक खाते (डीबीटी) में ट्रांसफर की जा रही है। सरकार राज्य आपदा राहत कोष (एसडीआरएफ) से किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है।

उत्तर प्रदेश

हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी

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महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।

हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।

आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।

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