Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

उत्तर प्रदेश

बुंदेलखंड की संस्कृति को सहेजेगी योगी सरकार, किलों का होगा कायाकल्प

Published

on

Loading

लखनऊ। उप्र की योगी सरकार बुंदेलखंड क्षेत्र के विकास को लेकर प्रतिबद्ध है। बुंदेलखंड के किलों और इसके आसपास पर्यटन से जुड़ी सुविधाओं के सृजन के लिए सरकार तैयारी कर रही है। इन्हीं तैयारियों के दृष्टिगत निजी कंपनी एएनबी कंसल्टैंट ने एक प्रस्ताव तैयार किया है।

यह भी पढ़ें

उप्र: आर्थिक तंगी से परेशान दंपति ने की खुदकुशी, सुसाइड नोट में छलका दर्द

दांतों के दर्द से हैं परेशान, तो अपनाएं ये तीन घरेलू नुस्खे, दर्द से मिलेगी तुरंत राहत

इस प्रस्ताव के तहत बुंदेलखंड के किलों के कायाकल्प के साथ-साथ इस क्षेत्र की संस्कृति, यहां की बोली भाषा और कला को भी सहेजा जाएगा। साथ ही, यहां वाटर स्पोर्ट्स गतिविधियों को भी शुरू किया जाएगा ताकि पर्यटक किलों के साथ इन गेम्स के जरिए अपने ट्रिप को इंज्वॉय कर सकें।

पीपीपी के माध्यम से किए जाने वाले विकास कार्यक्रम से जुड़े इस प्रस्ताव को फिलहाल मुख्य सचिव के समक्ष पेश किया जा चुका है और अब मुख्यमंत्री के समक्ष इसे रखा जाएगा। मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद इस प्रस्ताव को अमली जामा पहनाने की कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।

बरुआसागर फोर्ट के समीप वाटर स्पोर्ट्स एक्टिविटीज को बढ़ावा

प्रस्ताव के अनुसार बुंदेलखंड में बरुआसागर किले का कायाकल्प किया जाएगा। इसके लिए 205 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इसमें विभिन्न टूरिज्म एक्टिविटीज के अलावा वाटर स्पोर्ट्स के लिए भी 18 करोड़ का खर्च होगा। वाटर स्पोर्ट्स एक्टिविटीज को पीपीपी मॉडल पर विकसित किया जाएगा। इसमें कैंपिंग, ट्रेकिंग, हाइकिंग, पिकनिक व रूरल डाइनिंग के अलावा एडवेंचर स्पोर्ट्स का समावेश होगा।

वाटर स्पोर्ट्स के तहत रिंगोराइड, पैरा सेलिंग, वेकबोर्डिंग, नीबोर्डिंग, कयाकिंग, जेट स्कींग जैसे गेम्स शामिल रहेंगे। इसके अलावा दशहरा, मकर संक्रांति, जल विहार, फाग लोक नृत्य व संगीत, आल्हा उदल के नाटक और राय लोक नृत्य पर भी ध्यान दिया जाएगा। यहां आने वाले पर्यटक इन गतिविधियों में शामिल होंगे।

भूरागढ़ फोर्ट में डेस्टिनेशन वेडिंग पर रहेगा जोर

इसी तरह भूरागढ़ फोर्ट के कायाकल्प का भी प्लान है। इसकी प्रोजेक्ट कॉस्ट 94 करोड़ रुपए है। इस क्षेत्र को वाटर स्पोर्ट्स के अलावा डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए तैयार किए जाने की योजना है। यह काम भी पीपीपी मॉडल पर होगा। डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए 20 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।

98 करोड़ की लागत वाले रानगढ़ फोर्ट को भी वेडिंग डेस्टिनेशन के तौर पर विकसित किया जाएगा। इस पर भी 20 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इसके जरिए फोर्ट को ओपेन बैंक्वेट एरिया के तौर पर सजाया जाएगा और नदी के साइड एरिया पर वाटर स्पोर्ट्स एक्टिविटीज के लिए रिजर्व रखा जाएगा।

मस्तानी महल में विकसित होगा हेरिटेज होटल

महोबा के मस्तानी महल, बेलाताल को हेरिटेज होटल और एडवेंचर स्पोर्ट्स के लिए विकसित किए जाने की योजना है। इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 118 करोड़ रुपए है, जबकि हेरिटेज होटल के लिए 35 करोड़ और एडवेंचर स्पोर्ट्स के लिए 35 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसी तरह, झांसी के चंपत राय पैलेस को म्यूजियम के तौर पर विकसित किया जा सकता है। इस प्रोजेक्ट की टोटल कॉस्ट 30.50 करोड़ है, जबकि म्यूजियम के लिए 5 करोड़ खर्च होंगे।

अलग-अलग गतिविधियों पर फोकस

अलग-अलग किलों के पास अलग-अलग तरह की गतिविधियों पर फोकस किया गया है। एडवेंचर स्पोर्ट्स के लिए किलों के हिलटॉप पर हॉट एयर बैलून, नदियों के किनारे बने किलों पर राफ्टिंग और बोटिंग, झीलों के करीब बने किलों पर कयाकिंग, वाटर स्की जैसे वाटर स्पोर्ट्स और जंगलों में बने किलों में कैंपिंग और हाइकिंग जैसी गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जाएगा।

इसके अलावा त्योहारों, मेलों, फोक डांस और ड्रामा को भी आगे बढ़ाया जाएगा। इसके अलावा म्यूजियम का विकास, लोकल क्राफ्ट और क्यूजीन के अलावा नदी-झील के विकास, कनेक्टिविटी पर जोर दिया जाएगा।

Yogi government save the culture of Bundelkhand, Bundelkhand forts will be rejuvenated, Bundelkhand news, Bundelkhand latest news,

Continue Reading

उत्तर प्रदेश

जन महत्व की परियोजनाओं में समयबद्धता-गुणवत्ता से समझौता नहीं, गड़बड़ी मिली तो जेई से लेकर चीफ इंजीनियर तक सब की जवाबदेही तय होगी: मुख्यमंत्री

Published

on

Loading

● मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने सोमवार को लोक निर्माण विभाग की विभिन्न परियोजनाओं की अद्यतन स्थिति की समीक्षा की और निर्माणकार्यों की समयबद्धता और गुणवत्ता सुनिश्चित करते हुए विभिन्न आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। *बैठक में मुख्यमंत्री जी द्वारा दिए गए प्रमुख दिशा-निर्देश:- *

● सड़क निर्माण की परियोजना तैयार करते समय स्थानीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखें। प्रत्येक परियोजना के लिए समयबद्धता और गुणवत्ता अनिवार्य शर्त है, इससे समझौता नहीं किया जा सकता। गड़बड़ी पर जेई से लेकर चीफ इंजीनियर तक सबकी जवाबदेही तय होगी। एग्रीमेंट के नियमों का उल्लंघन होगा तो कांट्रेक्टर/फर्म को ब्लैकलिस्ट होगा और कठोर कार्रवाई भी होगी। पेटी कॉन्ट्रेक्टर/सबलेट की व्यवस्था स्वीकार नहीं की जानी चाहिए।

● DPR को अंतिम रूप देने के साथ ही कार्य प्रारंभ करने और समाप्त होने की तिथि सुनिश्चित कर ली जानी चाहिए और फिर इसका कड़ाई से अनुपालन किया जाए। बजट की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी। पूर्ण हो चुके कार्यों की थर्ड पार्टी ऑडिट भी कराई जाए।

● सड़क और सेतु हो अथवा आमजन से जुड़ी अन्य निर्माण परियोजनाएं, स्वीकृति देने से पहले उसकी लोक महत्ता का आंकलन जरूर किया जाए। विकास में संतुलन सबसे आवश्यक है। पहले आवश्यकता की परख करें, प्राथमिकता तय करें, फिर मेरिट के आधार पर किसी सड़क अथवा सेतु निर्माण की स्वीकृति दें। विकास कार्यों का लाभ सभी 75 जनपदों को मिले।

● दीन दयाल उपाध्याय तहसील/ब्लाक मुख्यालय योजना अंतर्गत प्रदेश के समस्त तहसील/ब्लॉक मुख्यालय को जिला मुख्यालय से न्यूनतम दो लेन मार्गों से जोड़े जाने का कार्य तेजी से पूरा किया जाए। एक भी तहसील-एक भी ब्लॉक इससे अछूता न रहे।

● प्रदेश के अंतरराज्यीय तथा अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भव्य ‘मैत्री द्वार’ बनाने का कार्य तेजी के साथ पूरा कराएं। जहां भूमि की अनुपलब्धता हो, तत्काल स्थानीय प्रशासन से संपर्क करें। द्वार सीमा पर ही बनाए जाएं। यह आकर्षक हों, यहां प्रकाश व्यवस्था भी अच्छी हो। अब तक 96 मार्गों पर प्रवेश द्वार पूर्ण/निर्माणाधीन हैं। अवशेष मार्गों पर प्रवेश द्वार निर्माण की कार्यवाही यथाशीघ्र पूरी कर ली जाए।
● गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग विभाग की सड़कों का निर्माण अब लोक निर्माण विभाग द्वारा ही किया जा रहा है। यह किसानों-व्यापारियों के हित से जुड़ा प्रकरण है, इसे प्राथमिकता दें। यहां गड्ढे नहीं होने चाहिए।अभी लगभग 6000 किमी सड़कों का पुनर्निर्माण/चौड़ीकरण/सुदृढ़ीकरण किया जाना है। इन्हें एफडीआर तकनीक से बनाया जाना चाहिए। इसके लिए बजट की कमी नहीं होने दी जाएगी।

● धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मार्गों पर अच्छी सड़कें हों, पर्यटकों/श्रद्धालुओं को आवागमन में सुविधा हो, सड़कों के निर्माण/चौड़ीकरण किये जा रहे हैं। इसमें प्रत्येक जिले के सिख, बौद्ध, जैन, वाल्मीकि, रविदासी, कबीरपंथी सहित सभी पंथों/ संप्रदायों के धार्मिक/ऐतिहासिक/पौराणिक महत्व के स्थलों को जोड़ा जाए। मार्ग का चयन मानक के अनुरूप ही हो। जनप्रतिनिधियों से प्राप्त प्रस्ताव के आधार पर धर्मार्थ कार्य विभाग और संबंधित जिलाधिकारी के सहयोग से इसे समय से पूरा कराएं।

● सड़क निर्माण/चौड़ीकरण/सुदृढ़ीकरण के कार्यों में पर्यावरण संरक्षण की भावना का पूरा ध्यान रखा जाए। कहीं भी अनावश्यक वृक्ष नहीं कटने चाहिए। सड़क निर्माण की कार्ययोजना में मार्ग के बीच आने वाले वृक्षों के संरक्षण को अनिवार्य रूप से सम्मिलित करें।

● देवरिया-बरहज मार्ग का सुदृढ़ीकरण किया जाना आवश्यक है। इस संबंध में आवश्यक प्रस्ताव तैयार कर प्रस्तुत करें।

● औद्योगिक विकास विभाग, एमएसएमई एवं जैव ऊर्जा विभाग द्वारा डिफेंस कॉरिडोर, औ‌द्योगिक लॉजिस्टिक्स पार्क, औ‌द्योगिक क्षेत्र और प्लेज पार्क योजना जैसी बड़े महत्व की योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। इन औद्योगिक क्षेत्रों तक आने-जाने के लिए चयनित मार्गों को यथासंभव फोर लेन मार्ग से जोड़ा जाना चाहिए।

● ऐसे राज्य मार्ग जो वर्तमान में दो-लेन एवं दो-लेन से कम चौड़े हैं उन्हें लोक महत्ता के अनुरूप न्यूनतम दो-लेन विद पेव्ड शोल्डर की चौड़ाई में निर्माण किया जाना चाहिए।

● सभी विधानसभाओं के प्रमुख जिला मार्गों को न्यूनतम दो-लेन (7 मीटर) एवं अन्य जिला मार्गों को न्यूनतम डेढ़-लेन (5.50 मीटर) चौडाई में निर्माण कराया जाए। जनप्रतिनिधियों से प्रस्ताव लें, प्राथमिकता तय करें और कार्य प्रारंभ कराएं।

● क्षतिग्रस्त सेतु, जनता द्वारा निर्मित अस्थाई पुल, संकरे पुल, बाढ़ के कारण प्रायः क्षतिग्रस्त होने वाले मार्गों पर पुल तथा सार्वजनिक, धार्मिक एवं पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण मार्गों पर सेतु निर्माण को प्राथमिकता में रखें। हर विधानसभा में जरूरत के अनुसार 03 लघु सेतुओं के निर्माण की कार्ययोजना तैयार करें।

● जहां भी दीर्घ सेतु क्षतिग्रस्त हैं, उन्हें तत्काल ठीक कराया जाए। सभी जिलों से प्रस्ताव लें, जहां दीर्घ सेतु की आवश्यकता हो, कार्ययोजना में सम्मिलित करें। शहरी क्षेत्रों में क्षतिग्रस्त/संकरे सेतुओं के स्थान पर नये सेतुओं का निर्माण कराया जाना आवश्यक है। इसका लाभ सभी जिलों को मिलना चाहिए।

● रेल ओवरब्रिज/रेल अंडरब्रिज से जुड़े प्रस्तावों को तत्काल भारत सरकार को भेजें। राज्य सरकार द्वारा इसमें हर जरूरी सहयोग किया जाए।

● शहरों की घनी आबादी को जाम से मुक्ति दिलाने हेतु बाईपास रिंगरोड/फ्लाईओवर निर्माण कराया जाना चाहिए। निर्माण कार्य का प्रस्ताव शहर/कस्बे की आबादी एवं प्राथमिकता के आधार पर तैयार किया जाए।

● वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर ऐसी बसावट/ग्राम जिसकी आबादी 250 से अधिक हो तथा मार्ग की लम्बाई 1.00 किमी या उससे अधिक हो, उन्हें एकल कनेक्टिीविटी प्रदान किये जाने हेतु संपर्क मार्ग का निर्माण कराया जाए। इसी प्रकार, दो ग्रामों/बसावों को जिनकी आबादी 250 से अधिक है, को इंटर-कनेक्टिविटी प्रदान किये जाने हेतु सम्पर्क मार्ग का निर्माण भी हो। इसके लिए सर्वे कराएं, आवश्यकता को परखें, फिर निर्णय लें।

Continue Reading

Trending