Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

प्रादेशिक

महिला स्वावलंबन व सशक्तिकरण पर योगी सरकार की एक और पहल, आत्मनिर्भर हो रहीं महिलाएं

Published

on

Loading

लखनऊ। योगी सरकार की पहल पर यूपी में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। राज्य आजीविका मिशन के तहत गठित स्वयं सहायता समूहों, संकुल स्तरीय संगठनों व ग्राम स्तरीय संगठनों से जुड़ी महिलाओं को स्वावलंबी व आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रभावी व ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। इस कड़ी में उत्तर प्रदेश के 832 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं ने प्रेरणा कैंटीन खोली है। इससे मरीजों सहित तीमारदारों को भी इन दीदी कैफे से ताजा भोजन और नाश्ता मिल रहा है तो समूहों की महिलाएं आत्मनिर्भर होने के साथ अपनी आमदनी भी बढ़ा रही हैं।

यूपी में 832 सीएचसी पर खोली गई कैंटीन

आजमगढ़ में 23, सीतापुर-जौनपुर में 21-21, प्रतापगढ़ व प्रयागराज में 20-20, सहारनपुर में 19 ,रायबरेली में 18, आगरा, बुलंदशहर, गोरखपुर व हरदोई में 17-17, गोंडा, बहराइच, खीरी व उन्नाव में 16- 16, अलीगढ़, बलिया, बाराबंकी व बरेली में 15 -15, बस्ती, बदायूं, कुशीनगर व सुल्तानपुर में 14 -14, अमेठी, गाजीपुर, देवरिया, महाराजगंज, मिर्जापुर व शाहजहांपुर में 13-13, कानपुर देहात में 12, अयोध्या, बिजनौर, झांसी, मथुरा व सिद्धार्थ नगर में 11-11, बलरामपुर, फतेहपुर, कन्नौज, कानपुर नगर, मैनपुरी, मुजफ्फरनगर, व संभल में 10-10, अंबेडकर नगर, फर्रुखाबाद, फिरोजाबाद, हमीरपुर, लखनऊ, मऊ, मेरठ व वाराणसी में 9-9, इटावा, हाथरस, जालौन, कौशांबी व पीलीभीत 8-8, अमरोहा, औरैया, बांदा, एटा, मुरादाबाद, शामली, श्रावस्ती व सोनभद्र में 7-7, चित्रकूट, हापुड़, संत कबीर नगर व संत रविदास नगर में 6-6, बागपत, कासगंज, ललितपुर व रामपुर में 5-5, चंदौली, गाजियाबाद व महोबा में 4-4, गौतमबुद्ध नगर में तीन प्रेरणा कैंटीन चल रही है।

जहां आवागमन अधिक, वहां किया जा रहा कैंटीन का चुनाव

राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की मिशन निदेशक सी० इन्दुमती ने बताया कि योगी सरकार की देखरेख में समूहों की महिलाओं की आमदनी बढ़ाने के लिये विभाग हरसंभव कदम उठा रहा है। महिलाओं को विभिन्न गतिविधियों से जोड़कर उन्हें स्वावलंबी बनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रेरणा कैंटीन संचालन हेतु सामुदायिक निवेश निधि, ग्राम संगठन आजीविका निधि अथवा सीसीएल का उपयोग कराते हुए कैंटीन के लिए ऐसे स्थान का चुनाव किया जाए, जहां आवागमन अधिक है। स्वास्थ्य केन्द्र के अलावा आम जनमानस द्वारा भी कैंटीन का उपयोग किया जा सके तथा समूहों को भी इसका लाभ प्राप्त हो। सभी 832 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में प्रेरणा कैंटीन समूहों की महिलाओं द्वारा संचालित हो रही हैं। एक तरफ जहां प्रेरणा कैंटीन के जरिए स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के अवसर मुहैया कराए जा रहे हैं, वहीं सामुदायिक/ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर मरीजों व तीमारदारों को पौष्टिक व कम दरों पर भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। जननी सुरक्षा के तहत गर्भवती को भी पौष्टिक भोजन की व्यवस्था हो रही है।

महिलाओं ने संभाली कैंटीन, मरीजों को भी गरमागरम भोजन

अस्पताल में भर्ती रोगियों व तीमारदारों को कैंटीन का गरमागरम भोजन मुहैया कराया जा रहा है। इससे जहां इनका स्वास्थ्य बेहतर हो रहा है, वहीं समूह की यह पहल महिलाओं को आत्मनिर्भरता से भी जोड़ रही है। मिशन ने देश में पहली बार प्रदेश के समस्त सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर समूह द्वारा संचालित 832 प्रेरणा कैंटीन की स्थापना करते हुए समूह सदस्यों के जीवन में अभूतपूर्व परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त किया है।

Continue Reading

उत्तर प्रदेश

लखनऊ में बाघ का आतंक, तमाम उपायों के बाद भी नहीं आ रहा हाथ, कई क्षेत्रों में डर का माहौल

Published

on

Loading

लखनऊ। रहमानखेड़ा केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान में बाघ ने एक और पड़वे (भैंस के बच्चे) का शिकार किया है। यह बाघ का 15वां शिकार है। बाघ ने वन विभाग को एक बार फिर चकमा देते हुए जंगल में उसी जगह शिकार किया जहां उसको फंसाने के लिए गड्ढा खोदा गया है। जंगल के जोन एक के बेल वाले ब्लॉक में वन विभाग ने 15 फीट गहरा गड्ढा खोद झाड़ियों से ढक दिया है ताकि बाघ शिकार करने का प्रयास करें तो गहरे गड्ढे में गिर जाए।

फिर उसे ट्रैंकुलाइज किया जा सके। यहीं एक पिंजरा भी लगाया गया है जिसमें पड़वे को बांधा गया था। हालांकि वन विभाग की सारी तरकीबें धरी रह गई हैं। मंगलवार भोर में बाघ ने पड़वा को अपना निवाला बनाया। न वो पिंजरे में फंसा न गड्ढे में गिरा। सुबह जानकारी पर जांच करने पहुंची टीम को पड़वे का क्षतविक्षत शव मिला। मौके से बाघ के पगचिह्न भी मिले।

विशेषज्ञों का कहना है कि बाघ 24 घंटे के अंदर अपने शिकार का बचा हुआ मांस खाने के लिए दोबारा आ सकता है। वन विभाग की टीम ने बाघ की तलाश में मीठेनगर, उलरापुर और दुगौली के आसपास मौजूद जंगल में डायना और सुलोचना हथिनियों से कॉम्बिंग की लेकिन उसका पता नहीं लगा। शिकार की जानकारी पर अपर मुख्य वन संरक्षक रेणू सिंह ने टीम लीडर आकाशदीप बधावन व डीएफओ सितांशु पांडेय के साथ शिकार स्थल का जायजा लिया। यहां सक्रिय टीम को मृत पड़वे के पास निगरानी करने का निर्देश दिए।

तीन दर्जन से अधिक वाहनों की आवाजाही नो- गो- जोन में कर रही शोर गुल

वन विभाग ने रहमान खेड़ा में नो-गो जोन घोषित किया है। इसके बावजूद वन विभाग के ही 30 से ज्यादा वाहनों की हलचल यहां हर दिन रहती है। मंगलवार को दोपहर में अधिकारियों समेत वन विभाग टीम के करीब दो दर्जन चार पहिया वाहन कमांड ऑफिस के आस-पास खड़े थे। संस्थान के कर्मियों के वाहन व बसों की आवाजाही भी यहां रहती है। मचान व पिंजरों के पास भी वाहनों के साथ अधिकारी आ जा रहे हैं। इसी के चलते बाघ पकड़ में नहीं आ पा रहा है।

 

Continue Reading

Trending