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नेशनल

असम में बोले पीएम मोदी, ‘पूर्वोत्तर के कई इलाकों में पहले गूंजते थे बम, अब तालियां’

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र से अफस्पा को पूरी तरह हटाने के प्रयास किए जा रहे हैं। यहां एक ”शांति, एकता और विकास” रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति में सुधार आने के बाद हटाया जा सका है। पहले इन इलाकों में बम और गोलियां गूंजती थी और अब तालियां गूंजती हैं। गौरतलब है कि केंद्र ने नगालैंड, असम और मणिपुर में अफस्पा के तहत आने वाले प्रभावित इलाकों को दशकों बाद एक अप्रैल से कम करने की घोषणा की थी।

प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुवार को असम के दीफू से एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी की ‘डबल इंजन’ सरकार का प्रभाव असम में स्थायी शांति और तेज गति से विकास के लौटने से दिखायी देता है।

पीएम मोदी ने कहा कि सरकार ने असम के कार्बी आंगलोंग और त्रिपुरा में शांति समझौते किए हैं जबकि पूरे क्षेत्र में स्थायी शांति लाने एवं तेज गति से विकास करने के प्रयास किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कार्बी आंगलोंग में पशु चिकित्सा विज्ञान और कृषि कॉलेजों तथा एक मॉडल सरकारी कॉलेज की नींव रखी।

असम से 23 जिलों से हटा अफस्पा

पीएम मोदी ने कहा “असम में, यह अब तीन दशकों से अधिक समय से लागू है। स्थिति में सुधार न होने के कारण पहले की सरकारें इसके प्रवर्तन को बार-बार बढ़ा देती थीं। लेकिन हाल के वर्षों में, जमीनी स्थिति में सुधार के कारण असम के 23 जिलों से अफस्पा हटा दिया गया है। हम राज्य के अन्य हिस्सों में स्थिति को सामान्य करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि वहां से भी अफस्पा को हटाया जा सके। इसी तरह के प्रयास नागालैंड और मणिपुर में भी चल रहे हैं।”

1942 में आया था सशस्त्र बल अधिनियम

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को कुचलने के लिए अंग्रेजों ने अगस्त 1942 में सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अध्यादेश लागू किया था। अफस्पा इस औपनिवेशिक युग के अध्यादेश पर आधारित है और सितंबर 1958 में संसद में प्रख्यापित किया गया था। यह वह कानून है जो सशस्त्र बलों को कुछ खास क्षेत्रों में सार्वजनिक व्यवस्था को नियंत्रित करने की अनुमति देता है।

पूर्वोत्तर राज्यों के सीमा विवाद पर भी बोले पीएम

पीएम मोदी ने सीमा विवाद सुलझाने के लिए पूर्वोत्तर के राज्यों की तारीफ की। उन्होंने असम-मेघालय सीमा समझौते का हवाला दिया और कहा कि इससे क्षेत्र के अन्य राज्यों में भी विवादों को हल करने में मदद मिल सकती है। असम और मेघालय के मुख्यमंत्रियों ने पांच दशक पुराने सीमा विवाद को सुलझाने के लिए मार्च में समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

पीएम ने पिछले सितंबर में कार्बी आंगलोंग में छह विद्रोही संगठनों के साथ-साथ 2020 में तीन बोडो संगठनों के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए गए शांति समझौते की भी प्रशंसा की। कहा कि “पहले इन हिस्सों में बम और गोलियों की आवाज गूंजती थी, लेकिन अब हम ताली सुनते हैं। हमारे नियमित और ईमानदार प्रयास अन्य सभी क्षेत्रों में भी स्थायी शांति लाने के लिए जारी हैं।”

गुजरात

सूरत के ज्वैलर्स का कमाल, 4.7 कैरेट के हीरे पर उकेरा डोनाल्ड ट्रंप का चेहरा

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गुजरात । इस समय चारों तरफ सिर्फ अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह की बातें हो रही हैं। बीते दिन डोनाल्ड ट्रंप ने वॉशिंगटन डीसी में दूसरी बार राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली। इस दौरान दुनिया भर के मेहमान इस शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे। इसी बीच डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह का गुजरात कनेक्शन भी सामने आया है। दरअसल, सूरत के लैबग्रोन डायमंड ने डोनाल्ड ट्रंप के लिए खास गिफ्ट तैयार किया है, जो इस समय चर्चा का विषय बना हुआ है।

2 महीने में तैयार हुआ अनोखा हीरा

गुजरात के हीरा व्यापारी मुकेश पटेल और स्मित पटेल की कंपनी लैबग्रोन डायमंड के 5 अनुभवी ज्वैलर्स ने डोनाल्ड ट्रंप के चेहरे को 4.7 कैरेट के हीरे पर उकेरा है। इस डोनाल्ड ट्रंप वाले हीरे को इन 5 ज्वैलर्स ने 2 महीने में तैयार किया है। यह हीरा भारत की तरफ से डोनाल्ड ट्रंप को एक खास गिफ्ट के तौर पर दिया जाएगा। हीरे को तराशकर इस तरह की आकृति देना बहुत ही मुश्किल काम है। इसमें बहुत फोकस और सावधानी की जरूरत होती है। इसलिए 5 अनुभवी तराशकरों को भी इसे बनाने में 60 दिन का समय लगा।

इंटरनेशनल मार्केट में हीरे की कीमत

जानकारी के अनुसार, इस हीरे की कीमत इंटरनेशनल मार्केट में 10 हजार अमेरिकी डॉलर (8,64,255 भारतीय रुपये) बताई जा रही है। ये अनोखा हीरा न सिर्फ सूरत के हुनर को दिखाता है, बल्कि भारतीय कला और तकनीक की भी खास मिसाल पेश करता है। इस हीरे की फोटोज और वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। बता दें कि, इससे पहले भी सूरत की इसी कंपनी ने अमेरिका की प्रथम महिला को एक लैबग्रोन डायमंड गिफ्ट में दिया था, जिसे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें सौंपा था।

 

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