उत्तर प्रदेश
चुनाव आयोग ने जारी की नई गाइडलाइन, 1000 लोगों की सभा को मिली अनुमति
भारत निर्वाचन आयोग ने आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर नई गाइडलाइन जारी की है। इसके मुताबिक अब डोर टू डोर कैंपेन के लिए 10 की जगह 20 लोगों की इजाजत होगी। वहीं इनडोर बैठक में अब 300 की जगह 500 लोग शामिल हो सकते हैं। बता दें कि COVID-19 मामलों में वृद्धि के बीच, चुनाव आयोग ने 22 जनवरी को फिजिकल रैलियों और रोड शो पर प्रतिबंध को 31 जनवरी तक बढ़ा दिया था।
पिछली बैठक में पहले-दूसरे चरण के लिए रैली की इजाजत मिली थी। आयोग ने 22 जनवरी को राजनीतिक दलों या चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की फिजिकल जनसभाओं के लिए 28 जनवरी से अनुमति दी थी और चरण 2 के लिए 1 फरवरी से छूट दी थी। इसके मुताबिक अब 500 की जगह 1000 लोगों की सभा की इजाजत होगी।
चुनाव आयोग की नई गाइडलाइन
1. 11 फरवरी, 2022 तक किसी भी रोड शो, पद-यात्रा, साइकिल/बाइक/वाहन रैलियों और जुलूसों की अनुमति नहीं दी जाएगी।
2. आयोग ने अब राजनीतिक दलों या चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की अधिकतम 1000 व्यक्तियों (मौजूदा 500 व्यक्तियों के बजाय) या एसडीएमए द्वारा निर्धारित सीमा या जमीन की क्षमता के 50% के साथ (जो भी कम हो) निर्दिष्ट खुले स्थानों में फिजिकिल सार्वजनिक बैठकों की अनुमति देने का निर्णय लिया है।
3. आयोग ने घर-घर जाकर प्रचार करने की सीमा भी बढ़ा दी है। घर-घर जाकर प्रचार करने के लिए अब 10 लोगों की जगह सुरक्षाकर्मियों को छोड़कर 20 लोगों को अनुमति दी जाएगी। घर-घर जाकर अभियान चलाने के अन्य निर्देश जारी रहेंगे।
4. आयोग ने अब राजनीतिक दलों के लिए अधिकतम 500 व्यक्तियों (मौजूदा 300 व्यक्तियों के बजाय) या हॉल की क्षमता का 50% या एसडीएमए द्वारा निर्धारित निर्धारित सीमा की इनडोर बैठकों की अनुमति है।
5. राजनीतिक दल और चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार चुनाव से जुड़ी गतिविधियों के दौरान सभी अवसरों पर COVID उचित व्यवहार और दिशा-निर्देशों और आदर्श आचार संहिता का अनुपालन सुनिश्चित करेंगे।
7. 8 जनवरी 2022 को जारी चुनावों के संचालन के लिए संशोधित व्यापक दिशा-निर्देश, सभी शेष प्रतिबंध लागू रहेंगे।
उत्तर प्रदेश
हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी
महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।
हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।
आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक
महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।
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