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उत्तर प्रदेश

बाराबंकी में दिखा तेंदुए का जोड़ा, गीली मिट्टी में मिले पैरों के निशान

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कोठी के मचपुरा गांव में तेंदुआ का जोड़ा दिखने से ग्रामीणों में दहशत है। गीली मिट्टी पर मिले पग चिन्ह से वन विभाग ने तेंदुआ होने की पुष्टि भी की है।वनकर्मी पुलिस व ग्रामीण के साथ कांबिंग कर रही है। उधर, घुंघटेर थाना के पीरनगर में तेंदुआ दिखने और नीलगाय के बच्चे पर हमले की घटना से सनसनी फैली हुई है। हालांकि वन विभाग ने वहां तेंदुआ होने से इन्कार किया है।

कोठी थाना के ग्राम मचपुरा में सोमवार सुबह गांव के बाहर तेंदुआ का जोड़ा देखा गया। गांव के इसरार अहमद और रामू वर्मा शौच के लिए गए थे। यहां दोनों ने धान के पुआल पर दो तेंदुआ देखे तो उनके होश उड़ गए। घबराकर गांव पहुंचे और लोगों को बताया। इस पर कई ग्रामीण लाठी-डंडा लेकर पहुंचे तो तेंदुआ वहां से जा चुके थे। सूचना के घंटों बाद पहुंचे वनकर्मियों ने खेत की गीली मिट्टी में मिले पगचिन्ह लिए। मामले की जानकारी उच्चाधिकारी और पुलिस को दी गई।

वन रेंजर हरख संजय श्रीवास्तव व वन दारोगा वीर भगत और एसओ कोठी संजीत कुमार सोनकर भी पुलिस बल के साथ पहुंचे। दोपहर तक टीमें व ग्रामीण कंबिंग करते रहे। डीएफओ रुस्तम परवेज ने बताया कि पगचिन्ह तेंदुआ के ही हैं, लेकिन एक है अथवा अधिक इसकी पुष्टि नहीं हुई है। टीम को मुस्तैद कर दिया गया है और ग्रामीणों को सर्तक व जागरूक किया जा रहा है। कुछ किमी दूर सुबेहा के जंगल से इसके आने की आशंका है क्योंकि कई बार तेंदुआ की उपस्थिति वहां मिली है।

उत्तर प्रदेश

लखनऊ में बाघ का आतंक : वन विभाग ने पकड़ने के लिए किए तरह – तरह के उपाय, नहीं आ रहा है हाथ

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लखनऊ। रहमानखेड़ा केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान में बाघ ने एक और पड़वे (भैंस के बच्चे) का शिकार किया है। यह बाघ का 15वां शिकार है। बाघ ने वन विभाग को एक बार फिर चकमा देते हुए जंगल में उसी जगह शिकार किया जहां उसको फंसाने के लिए गड्ढा खोदा गया है। जंगल के जोन एक के बेल वाले ब्लॉक में वन विभाग ने 15 फीट गहरा गड्ढा खोद झाड़ियों से ढक दिया है ताकि बाघ शिकार करने का प्रयास करें तो गहरे गड्ढे में गिर जाए।

फिर उसे ट्रैंकुलाइज किया जा सके। यहीं एक पिंजरा भी लगाया गया है जिसमें पड़वे को बांधा गया था। हालांकि वन विभाग की सारी तरकीबें धरी रह गई हैं। मंगलवार भोर में बाघ ने पड़वा को अपना निवाला बनाया। न वो पिंजरे में फंसा न गड्ढे में गिरा। सुबह जानकारी पर जांच करने पहुंची टीम को पड़वे का क्षतविक्षत शव मिला। मौके से बाघ के पगचिह्न भी मिले।

विशेषज्ञों का कहना है कि बाघ 24 घंटे के अंदर अपने शिकार का बचा हुआ मांस खाने के लिए दोबारा आ सकता है। वन विभाग की टीम ने बाघ की तलाश में मीठेनगर, उलरापुर और दुगौली के आसपास मौजूद जंगल में डायना और सुलोचना हथिनियों से कॉम्बिंग की लेकिन उसका पता नहीं लगा। शिकार की जानकारी पर अपर मुख्य वन संरक्षक रेणू सिंह ने टीम लीडर आकाशदीप बधावन व डीएफओ सितांशु पांडेय के साथ शिकार स्थल का जायजा लिया। यहां सक्रिय टीम को मृत पड़वे के पास निगरानी करने का निर्देश दिए।

तीन दर्जन से अधिक वाहनों की आवाजाही नो- गो- जोन में कर रही शोर गुल

वन विभाग ने रहमान खेड़ा में नो-गो जोन घोषित किया है। इसके बावजूद वन विभाग के ही 30 से ज्यादा वाहनों की हलचल यहां हर दिन रहती है। मंगलवार को दोपहर में अधिकारियों समेत वन विभाग टीम के करीब दो दर्जन चार पहिया वाहन कमांड ऑफिस के आस-पास खड़े थे। संस्थान के कर्मियों के वाहन व बसों की आवाजाही भी यहां रहती है। मचान व पिंजरों के पास भी वाहनों के साथ अधिकारी आ जा रहे हैं। इसी के चलते बाघ पकड़ में नहीं आ पा रहा है।

 

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