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15 जनवरी को ही क्यों मनाते हैं आर्मी डे? जानें इसका इतिहास

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नई दिल्ली। देश की एकता और अखंडता के लिए जीवन न्यौछावर करने वाले वीर जवानों के सम्मान में हर साल 15 जनवरी को सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है. साल 2025 में 77वां भारतीय सेना दिवस पूरे देश में भव्य तरीके से मनाया जा रहा है. इस दौरान सैन्य परेड और कई प्रकार के समारोह आयोजित किए जांएगे. आइए जानते हैं कि भारतीय सेना दिवस 15 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है और इसका क्या महत्व है.

15 जनवरी को ही क्यों मनाते हैं सेना दिवस?

आधुनिक भारतीय सेना की शुरुआत 1 अप्रैल 1895 को हुई. उस वक्त इसे भारत को गुलाम बनाने वाली ब्रिटिश कंपनी ईस्ट इंडिया कंपनी ने प्रेसिडेंसी आर्मी के रूप में खड़ा किया था. जिसे बाद में ब्रिटिश भारतीय सेना के नाम से जाना गया. आखिरकार लंबे संघर्ष के बाद देश के आजाद होने के बाद यह भारतीय सेना कही जाने लगी. लेकिन 15 जनवरी 1949 तक इसके कमांडर ब्रिटिश सैन्य अधिकारी जनरल फ्रांसिस बुचर थे. आजारी के बाद 15 जनवरी 1949 को हमें पहले भारतीय सेना प्रमुख मिले. जिनका नाम फील्ड मार्शल केएम करिअप्पा था. इसलिए 15 जनवरी को ही भारतीय सेना दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया गया.

भारतीय सेना दिवस के अवसर पर देश भर के सभी सेना मुख्यालयों और राष्ट्रीय राजधानी में सैन्य परेड का आयोजन किया जाता है. जिसमें सैनिकों के अनुशासन, शौर्य और देशभक्ति का शानदार प्रदर्शन होता है. सेना दिवस के मुख्य समारोह का आयोजन दिल्ली के छावनी के करिअप्पा परेड ग्राउंड में होता है.

संयुक्त राष्ट्र की पीस कीपिंग फोर्स में भारतीय सेना का योगदान

सेना दिवस हमें हमारे वीर सैनिकों के अनगिनत बलिदानों की याद दिलाता है। यह उत्सव का भी दिन है। इस दिन हम भारत के वीर सैनिकों के प्रति अपनी कृतज्ञता को व्यक्त करते हैं। बता दें कि भारतीय सेना दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेनाओं में से एक है। संयुक्त राष्ट्र की पीस कीपिंग फोर्स में भी भारतीय सेना का बड़ा योगदान है। सेना दिवस उन वीर जवानों को याद करने का दिन है, जिन्होंने भारत माता की रक्षा के लिए अपनी जान तक दे दी। यह दिन सेना के साहस और ढृढ़ संकल्प को दर्शाता है।

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भारतीय चुनाव पर मार्क जुकरबर्ग की टिप्पणी पर मेटा ने मांगी माफी, कहा- अनजाने में गलती हुई

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नई दिल्ली। 2024 के चुनाव को लेकर मार्क जुकरबर्ग की टिप्पणी पर मेटा की भारतीय ईकाई मेटा इंडिया ने माफी मांग ली है। कंपनी ने कहा कि अनजाने में हुई गलती के लिए हम माफी मांगते हैं। मेटा इंडिया में सार्वजनिक नीति के निदेशक के तौर पर काम करने वाले शिवनाथ ठुकराल ने एक्स पर एक पोस्ट में सीईओ की तरफ से माफी मांगी। उन्होंने कहा, ‘मार्क का यह कहना कि 2024 के चुनावों में कई मौजूदा पार्टियां फिर से चुनकर नहीं आईं, कई देशों के लिए सही है, लेकिन भारत के मामले में ऐसा नहीं है। हम इस अनजाने में हुई गलती के लिए माफी चाहते हैं। भारत मेटा के लिए एक अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण देश बना हुआ है और हम इसके शानदार भविष्य के केंद्र में होने की आशा करते हैं।’

इससे पहले केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रोगन पॉडकास्ट पर जुकरबर्ग द्वारा की गई टिप्पणियों की आलोचना की थी। वैष्णव ने 13 जनवरी को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा था कि मार्क जुकरबर्ग का यह दावा कि 2024 के चुनावों में भारत सहित अधिकांश मौजूदा सरकारें कोविड के बाद हार गई हैं, तथ्यात्मक रूप से गलत है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में, भारत ने 2024 के चुनावों को 64 करोड़ से अधिक मतदाताओं के साथ संचालित किया। भारत के लोगों ने पीएम @narendramodi जी के नेतृत्व में एनडीए में अपने विश्वास की पुष्टि की। मंत्री ने जुकरबर्ग की टिप्पणियों को गलत सूचना बताते हुए खारिज कर दिया था, और यह स्पष्ट किया था कि मेटा को तथ्यों और विश्वसनीयता को बनाए रखना चाहिए।

वैष्णव ने कहा कि 80 करोड़ लोगों के लिए मुफ्त भोजन, 2. 2 अरब मुफ्त टीके और कोविड के दौरान दुनिया भर के देशों को सहायता से लेकर भारत को सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में आगे बढ़ाने तक, पीएम मोदी की निर्णायक तीसरी बार की जीत सुशासन और जनता के भरोसे का प्रमाण है। @मेटा, जुकरबर्ग से खुद गलत सूचना देखना निराशाजनक है। आइए तथ्यों और विश्वसनीयता को बनाए रखें। संचार और सूचना प्रौद्योगिकी पर संसद की स्थायी समिति के प्रमुख भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने मंगलवार को कहा था कि पैनल अपने अध्यक्ष की टिप्पणियों के बाद फर्म को तलब करेगा कि भारत की सत्तारूढ़ व्यवस्था पिछले साल लोकसभा चुनाव हार गई थी।

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