उत्तर प्रदेश
बाराबंकी में भीषण सड़क हादसा, दो बसों की टक्कर में आठ की मौत, 17 घायल
बाराबंकी। उप्र के बाराबंकी जिले में आज सोमवार सुबह भीषण सड़क हादसा हो गया। लोनी कटरा थाना क्षेत्र में पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर सोमवार की भोर दयाराम पुरवा गांव के पास पहले से किनारे खड़ी बस पीछे से आ रही तेज रफ्तार वोल्वो बस टकरा गई।
इस हादसे में 8 लोगों की मौत हुई है, जबकि 17 लोग गंभीर रूप से घायल हैं। घटना के बाद वहां हड़कंप मच गया। मौके पर पहुंचे तहसील व पुलिस प्रशासन ने घायलों व मृतकों को बसों से बाहर निकाला।
घायलों को आनन-फानन सीएचसी हैदरगढ पहुंचाया गया। 12 घायलों की हालत गंभीर होने पर उन्हें जिला ट्रामा सेंटर रेफर किया गया है। मृतक और घायल में अधिकांश बिहार प्रांत के रहने वाले हैं। दोनों बसें बिहार से दिल्ली जा रही थी।
बिहार के सीतामढ़ी से दिल्ली जा रही थी बस
प्राप्त समाचार के अनुसार वॉल्वो बस संख्या यूपी 17 एटी 1353 जनपद सीतामढ़ी (बिहार) में जनकपुरी रोड पर स्थित पुपरी कस्बे से दिल्ली के लिए रविवार को रवाना हुई थी।
वोल्वो बस सोमवार की भोर में 4:00 बजे पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर लोनी कटरा थाना क्षेत्र के दयाराम पुरवा गांव के पास पहले से ढाबे के किनारे खड़ी बस यूपी 81 डीटी 1580 में जाकर घुस गई।
दूसरी बस भी बिहार से दिल्ली जा रही थी। दयाराम पुरवा के पास बस चालक ने गाड़ी रोक दी और उसके अधिकांश यात्री वही खुले यूपी डाक की कैंटीन में बैठकर चाय नाश्ता करने लगे। तभी यह हादसा हुआ।
मृतकों में एक महिला व एक बच्चा भी शामिल
हादसे के बाद घटनास्थल पर कोहराम मच गया लोगों की भीड़ जुट गई सूचना पर तहसील व पुलिस प्रशासन के अधिकारी कर्मचारी पहुंचे और राहत और बचाव कार्य शुरू किया घायलों और मृतकों के शवों को बाहर निकाला। हादसे में एक महिला व एक बच्चा समेत 8 लोगों की मौत हुई है।
मृतकों के परिजन भी घायल होने के कारण अस्पताल चले गए जिससे मृतकों की पहचान होने में दिक्कत आ रही थी आधार कार्ड पर मृतको की शिनाख्त की जा रही थी।
उत्तर प्रदेश
हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी
महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।
हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।
आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक
महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।
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