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बिजनेस

अडानी समूह को मिला टेलीकॉम सर्विस का लाइसेंस, जियो-एयरटेल से होगी टक्कर

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अडानी समूह

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नई दिल्ली। अडानी समूह की कंपनी अडानी डेटा नेटवर्क्स लिमिटेड (एडीएनएल) को पहुंच प्रदान करने वाली सेवाओं के लिए एकीकृत लाइसेंस प्रदान किया गया है। इस लाइसेंस के जरिए कंपनी देश में हर तरह की टेलीकॉम सर्विसेज दे सकती है।

अडानी समूह की कंपनी एडीएनएल को एकीकृत दूरसंचार लाइसेंस दिए जाने की जानकारी सूत्रों ने दी। सरल शब्दों में कहा जाए तो अब यह अपने नेटवर्क पर लंबी दूरी की कॉल करने और इंटरनेट सेवाएं देने के लिए पात्र है।

इस लाइसेंस के मिलने के बाद कंपनी भविष्य में अपनी 5जी सेवाओं को विस्तार दे सकती है। अडानी की एंट्री से जियो, एयरटेल के अलावा वोडाफोन-आइडिया जैसी कंपनियों के सामने नई चुनौती होगी।

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इस संबंध में एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, ”अडानी डेटा नेटवर्क्स को यूएल (एएस) लाइसेंस मिल गया है।” एक अन्य अधिकारी ने कहा कि यह लाइसेंस सोमवार को जारी किया गया। हालांकि इस संबंध में अडानी समूह की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

अडानी समूह ने हाल में हुई नीलामी में स्पेक्ट्रम खरीदकर देश के दूरसंचार क्षेत्र में प्रवेश किया था। उस समय कंपनी ने कहा था कि वह इस स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल समूह के भीतर की कारोबारी गतिविधियों के लिए करेगी। एडीएनएल ने हाल में हुई 5जी स्पेक्ट्रम नीलामी में 20 वर्षों के लिए 212 करोड़ रुपये में 400 मेगाहर्ट्ज का स्पेक्ट्रम खरीदा था।

बिजनेस

जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।

NCLT को लगाई फटकार

पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।

शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।

 

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