उत्तर प्रदेश
यूपी में विधानसभा चुनाव के बाद अब होंगे MLA चुनाव, बीजेपी ने बहुमत हासिल करने के लिए तेज़ की तैयारी
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद अब विधान परिषद (UP MLC Election) के लिए सियासी घमासान होने जा रहा है। सूबे की 36 विधान परिषद (एमएलसी) सीटों के लिए मंगलवार को अधिसूचना जारी हो जाएगी जबकि मतदान 9 अप्रैल को होना है और नतीजे 12 अप्रैल को आएंगे। विधानसभा में बहुमत हासिल करने बाद बीजेपी की नजर अब विधान परिषद में प्रचंड बहुमत के साथ अपना दबदबा बनाने पर है ।
यूपी में प्रचंड बहुमत के साथ चुनाव जीतने के बाद दोबारा सरकार बनाने की तैयारी में लगी बीजेपी का अब अगला लक्ष्य एमएलसी चुनाव में जीत हासिल करना है। वहीं, विधानसभा चुनाव में जोरदार तरीके से लड़ने वाली सपा विधान परिषद की सीटों को बचाए रखने की तैयारी में है। दोनों ही पार्टियों से विधानसभा चुनाव की टिकट की मांग कर रहे तमाम नेताओं की आस अब एमएलसी चुनाव से है तो हारे दिग्गज भी विधान परिषद के जरिए सदन में पहुंचने की कवायद में हैं।
विधान परिषद चुनाव के पहले चरण में 30 और दूसरे चरण में छह सीटों पर चुनाव है। पहले चरण का नामांकन 15 मार्च से शुरू होकर 19 मार्च तक चलेगा। 21 मार्च को नामांकन पत्रों की जांच होगी जबकि 23 मार्च तक नामांकन वापस लिए जा सकेंगे। वहीं, दूसरे चरण में छह सीटों के लिए नामांकन 15 मार्च से शुरू होंगे और 22 मार्च नामांकन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि है। 23 मार्च को नामांकन पत्रों की जांच होगी. 25 मार्च को नामांकन पत्र वापस लिए जाएंगे। दोनों ही चरणों के लिए नौ अप्रैल को मतदान होगा जबकि 12 अप्रैल को नतीजे आएंगे।
बता दें कि विधान परिषद की 36 सीटों पर चुनाव के बाद यह पहला मौका होगा जब बीजेपी को विधानसभा के उच्च सदन में बहुमत मिल सकता है। सौ सीटों वाली विधान परिषद में स्थानीय निकाय क्षेत्रों की 36 सीटों पर 2016 के चुनाव में सपा की 31 सीटें जीती थीं जबकि दो सीटों पर बसपा को जीत मिली थी। रायबरेली से कांग्रेस के दिनेश प्रताप सिंह जीते थे तो बनारस से बृजेश कुमार सिंह और गाजीपुर से विशाल सिंह ‘चंचल’ निर्दलीय चुने गए थे। हालांकि, दिनेश प्रताप सिंह बाद में बीजेपी में शामिल हो गए थे।
सपा के पास फिलहाल बहुमत
उत्तर प्रदेश विधान परिषद में कुल 100 सदस्य हैं, जिनमें बहुमत के लिए 51 का आंकड़ा चाहिए। उत्तर प्रदेश के विधान परिषद में सपा को बहुमत है। उच्च सदन में सपा की 48 सीटें हैं, जबकि बीजेपी के पास 36 सदस्य हैं। हालांकि, विधानसभा चुनाव के दौरान सपा के 8 एमएलसी बीजेपी में चले गए थे। वहीं, बसपा के एक एमएलसी भी बीजेपी में आ गए हैं।
चुने जाएंगे 36 एमएलसी
यूपी में स्थानीय निकाय कोटे की विधान परिषद की 35 सीटें हैं। इसमें एटा-मथुरा-मैनपुरी सीट से दो विधान परिषद प्रतिनिधि चुने जाते हैं इसलिए 35 सीटों पर 36 सदस्यों का सिलेक्शन होता है। यूपी में विधान परिषद चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि बीजेपी इसमें अधिक से अधिक सीटें जीतकर विधान परिषद में बहुमत हासिल करना चाहेगी, जबकि सपा अपनी सीटें बचाने में जुटेगी. ऐसे में सपा से लेकर बीजेपी तक एमएलसी चुनाव के जोड़तोड़ में जुट गई हैं।
एमएलसी चुनाव में वोटर कौन?
सूबे के विधान परिषद की स्थानीय निकाय कोटे की 36 सीटों पर होने वाले चुनाव में जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत के सदस्य, ग्राम प्रधान, शहरी निकायों, नगर निगम, नगर पालिका व नगर पंचायत के सदस्यों के साथ ही कैंट बोर्ड के निर्वाचित सदस्य भी वोटर होते हैं। इसके अलावा स्थानीय विधायक और स्थानीय सांसद भी वोटर होते हैं। ऐसे में सूबे की सत्ता में रहने वाली पार्टी को एमएलसी चुनाव में फायदा मिलता रहा है।
यूपी में विधान परिषद का प्रारूप
विधान परिषद में 6 साल के लिए सदस्य चुने जाते हैं। यूपी में परिषद की कुल 100 सीटें हैं. सूबे में एलएलसी चुनाव पांच अलग-अलग तरीके से चुनकर पहुंचते हैं। 100 में से 36 सीट स्थानीय निकाय के प्रतिनिधि के द्वारा चुनी जाती हैं। इसके अलावा कुल 100 सीटों में से 1/12 यानी 8-8 सीटें शिक्षक और स्नातक क्षेत्र के लिए आरक्षित हैं। 10 विधान परिषद सदस्य को राज्यपाल मनोनीत करते हैं, जो अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञ होते हैं। बाकी बची 38 सीटों पर विधानसभा के विधायक वोट करते हैं और विधान परिषद के विधायक चुनते हैं।
उत्तर प्रदेश
सीएम योगी ने की गोसेवा, भवानी और भोलू को खूब दुलारा
गोरखपुर। गोरखनाथ मंदिर प्रवास के दौरान गोसेवा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा है। इसी क्रम में शनिवार सुबह भी उन्होंने मंदिर की गोशाला में समय बिताया और गोसेवा की। मुख्यमंत्री ने गोवंश को गुड़ खिलाया और गोशाला के कार्यकर्ताओं को देखभाल के लिए जरूरी निर्देश दिए। गोसेवा के दौरान उन्होंने सितंबर माह में आंध्र प्रदेश के येलेश्वरम स्थित गोशाला से गोरखनाथ मंदिर लाए गए नादिपथि मिनिएचर नस्ल (पुंगनूर नस्ल की नवोन्नत ब्रीड) के दो गोवंश भवानी और भोलू को खूब दुलारा।
दक्षिण भारत से लाए गए गोवंश की इस जोड़ी (एक बछिया और एक बछड़ा) का नामकरण भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ही किया था। उन्होंने बछिया का नाम भवानी रखा है तो बछड़े का नाम भोलू। मुख्यमंत्री जब भी गोरखनाथ मंदिर प्रवास पर होते हैं, भवानी और भोलू का हाल जरूर जानते हैं। सीएम योगी के दुलार और स्नेह से भवानी और भोलू भी उनसे पूरी तरह अपनत्व भाव से जुड़ गए हैं। शनिवार को गोशाला में सभी गोवंश की सेवा करने के साथ ही मुख्यमंत्री ने भवानी और भोलू के साथ अतिरिक्त वक्त बिताया। उन्हें खूब दुलार कर, उनसे बातें कर, गुड़ और चारा खिलाया। सीएम योगी के स्नेह से ये गोवंश भाव विह्वल दिख रहे थे।
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