प्रादेशिक
हिजाब विवाद के बाद अब कर्नाटक में स्कूल में गीता पढ़ाये जाने पर छिड़ी बहस
कर्नाटक में उपजे हिजाब विवाद के बाद अब राज्य के स्कूलों में गीता पढ़ाने को लेकर बहस छिड़ गई है. शनिवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि भगवद गीता को स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल करने का फैसला चर्चा के बाद किया जाएगा. उन्होंने कहा कि शास्त्र नैतिक मूल्यों को प्रदान करता है.
बोम्मई ने कहा कि भगवद गीता को गुजरात में स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है. हमारे मंत्री ने कहा है कि वे इस पर चर्चा करेंगे. देखते हैं कि शिक्षा विभाग क्या विवरण देता है. पत्रकारों से बातचीत के दौरान सीएम ने कहा कि बच्चों को शिक्षा और नैतिक मूल्य प्रदान करना उनकी मंशा है. ये पूछे जाने पर कि क्या भगवद गीता बच्चों में नैतिक मूल्य लाएगी, मुख्यमंत्री ने पूछा, “और क्या? … आप मुझे बताएं, भगवद गीता नहीं तो और क्या नैतिक मूल्य देंगे?”
बता दें कि भाजपा शासित गुजरात ने गुरुवार को घोषणा की थी कि भगवद गीता शैक्षणिक वर्ष 2022-23 से राज्य भर में कक्षा 6 से 12 के लिए स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा होगी. गुजरात सरकार के इस फैसले के बाद, कर्नाटक के प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने शुक्रवार को कहा था कि राज्य सरकार नैतिक विज्ञान शिक्षा के हिस्से के रूप में इस संबंध में निर्णय लेने से पहले शिक्षाविदों के साथ चर्चा करेगी.
बीसी नागेश ने कहा कि हम अपने सीएम से बात करने जा रहे हैं कि क्या हम नैतिक विज्ञान की शुरुआत करने जा रहे हैं, उनसे परामर्श करके हम इसे अगले शैक्षणिक वर्ष में पेश करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि हमने स्कूलों में मोरल साइंस की पढ़ाई की है. किसी तरह इसे सालों से छोड़ दिया गया है. कई माता-पिता महसूस करते हैं कि इसे फिर से पढ़ाया जाना चाहिए. फिलहाल हमने इसके बारे में नहीं सोचा है, लेकिन हम भविष्य में इसे लाने पर विचार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि नैतिक विज्ञान में विषय शैक्षिक विशेषज्ञों द्वारा तय किया जाएगा.
उधर, बीजेपी विधायक रेणुकाचार्य ने कहा कि हमारी भाजपा सरकार पाठ्य पुस्तकों में रामायण और भगवद गीता के तत्वों को शामिल करने के लिए प्रतिबद्ध है.
सिद्धरमैया ने कहा- हमें कोई आपत्ति नहीं
इस बीच, मंगलुरु में विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने कहा कि कांग्रेस भगवद गीता या किसी अन्य धार्मिक ग्रंथों के माध्यम से बच्चों को नैतिक शिक्षा देने का विरोध नहीं कर रही है. उन्होंने कहा, “हम संविधान और धर्मनिरपेक्षता में विश्वास करते हैं. उन्हें (भाजपा सरकार) भगवद गीता या कुरान या बाइबिल सिखाने दें, हमें कोई आपत्ति नहीं है, बशर्ते वे बच्चों को आज की आवश्यकताओं के अनुसार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दें.”
सिद्धारमैया ने कहा कि भगवद गीता, रामायण और महाभारत हर हिंदू घर में पढ़ाया जाता है और इन पुस्तकों पर आधारित नाटक भी आयोजित किए जाते हैं. नैतिक शिक्षा की जरूरत है, लेकिन संविधान के खिलाफ कुछ भी नहीं किया जाना चाहिए. सिद्धारमैया ने आगे कहा, “हम एक बहु-सांस्कृतिक समाज और एक विविध देश हैं और हम सभी को सहिष्णुता के साथ रहना चाहिए.”
कांग्रेस नेता ने कहा- इसमें भाजपा का स्वार्थ है
कर्नाटक कांग्रेस के नेता रहमान खान ने कहा कि कर्नाटक शिक्षा मंत्री ने गुजरात की तर्ज पर कहा है कि वे भगवद गीता को पाठ्यक्रम में शामिल करने जा रहे हैं. अगर वे कोई धार्मिक ग्रंथ पढ़ाने की सलाह देते हैं तो कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन भारत कई धर्मों वाला देश है. हर धार्मिक पुस्तक धर्म सिखाती है, आप यह नहीं कह सकते कि यह केवल गीता है जो धर्म और भारतीय संस्कृति सिखाती है. सभी धार्मिक पुस्तकों को छात्रों को पढ़ाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसमें भाजपा का स्वार्थ है. नई शिक्षा नीति के जरिए हिंदुत्व नीति को पाठ्यक्रम में लाने की कोशिश है और कुछ नहीं.
गुजरात
सूरत के ज्वैलर्स का कमाल, 4.7 कैरेट के हीरे पर उकेरा डोनाल्ड ट्रंप का चेहरा
गुजरात । इस समय चारों तरफ सिर्फ अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह की बातें हो रही हैं। बीते दिन डोनाल्ड ट्रंप ने वॉशिंगटन डीसी में दूसरी बार राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली। इस दौरान दुनिया भर के मेहमान इस शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे। इसी बीच डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह का गुजरात कनेक्शन भी सामने आया है। दरअसल, सूरत के लैबग्रोन डायमंड ने डोनाल्ड ट्रंप के लिए खास गिफ्ट तैयार किया है, जो इस समय चर्चा का विषय बना हुआ है।
2 महीने में तैयार हुआ अनोखा हीरा
गुजरात के हीरा व्यापारी मुकेश पटेल और स्मित पटेल की कंपनी लैबग्रोन डायमंड के 5 अनुभवी ज्वैलर्स ने डोनाल्ड ट्रंप के चेहरे को 4.7 कैरेट के हीरे पर उकेरा है। इस डोनाल्ड ट्रंप वाले हीरे को इन 5 ज्वैलर्स ने 2 महीने में तैयार किया है। यह हीरा भारत की तरफ से डोनाल्ड ट्रंप को एक खास गिफ्ट के तौर पर दिया जाएगा। हीरे को तराशकर इस तरह की आकृति देना बहुत ही मुश्किल काम है। इसमें बहुत फोकस और सावधानी की जरूरत होती है। इसलिए 5 अनुभवी तराशकरों को भी इसे बनाने में 60 दिन का समय लगा।
इंटरनेशनल मार्केट में हीरे की कीमत
जानकारी के अनुसार, इस हीरे की कीमत इंटरनेशनल मार्केट में 10 हजार अमेरिकी डॉलर (8,64,255 भारतीय रुपये) बताई जा रही है। ये अनोखा हीरा न सिर्फ सूरत के हुनर को दिखाता है, बल्कि भारतीय कला और तकनीक की भी खास मिसाल पेश करता है। इस हीरे की फोटोज और वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। बता दें कि, इससे पहले भी सूरत की इसी कंपनी ने अमेरिका की प्रथम महिला को एक लैबग्रोन डायमंड गिफ्ट में दिया था, जिसे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें सौंपा था।
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