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मुख्य समाचार

अर्पिता मुखर्जी का खुलासा- मेरे घर को ‘मिनी बैंक’ की तरह इस्तेमाल करते थे पार्थ चटर्जी

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कोलकाता। पश्चिम बंगाल में स्कूल जॉब घोटाले में गिरफ्तार किए गए राज्य सरकार के मंत्री पार्थ चटर्जी की सहयोगी अर्पिता मुखर्जी ने बड़ा खुलासा किया है। अर्पिता का कहना है कि पार्थ चटर्जी उसके घर को ‘मिनी बैंक’ की तरह इस्तेमाल करते थे। अर्पिता ने बताया कि पार्थ चटर्जी उसके घर में ही पैसा रखा करते थे। ईडी के सूत्रों ने यह जानकारी दी है। वहीं ईडी के इस दावे को अर्पिता मुखर्जी के वकीलों की ओर से चुनौती दी जा सकते है।

वकीलों का कहना है कि ईडी की ओर से जांच की डिटेल को मीडिया से लीक किया जा रहा है, जो गलत है। इसके साथ ही वकीलों की ओर से केंद्रीय एजेंसियों की ओर से दर्ज केसों में लोगों के दोषी पाए जाने की कम दर का भी सवाल उठाया जा सकता है। ईडी को अर्पित मुखर्जी के घर पर छापेमारी के दौरान 21 करोड़ रुपये नकदी बरामद हुई थी। कभी ऐक्टर और मॉडल रही अर्पिता मुखर्जी बीते कुछ सालों से पार्थ चटर्जी की करीबी थी। शनिवार को पार्थ और अर्पिता को गिरफ्तार किया गया था।

उससे पहले अर्पिता के घर से बरामद हुए नोटों के जखीरे की तस्वीरें काफी वायरल हुई थीं। सूत्रों के मुताबिक अर्पिता ने बताया कि पूरी रकम को उसके घर के एक कमरे में रखा जाता था, जहां पार्थ चटर्जी और उसके लोगों की ही एंट्री थी। अर्पिता का कहना है कि हर सप्ताह या फिर 10 दिन में एक बार पार्थ चटर्जी उसके घर पर आया करते थे।

एक और महिला के घर में रखा जाता था कैश, बताया- कहां से आता था

ईडी के सूत्रों ने एक और महिला का ऐंगल भी बताया है। उन्होंने कहा कि अर्पिता ने बताया कि मेरे घर के अलावा एक और महिला के मकान को पार्थ मिनी बैंक के तौर पर इस्तेमाल करते थे। दूसरी महिला भी पार्थ चटर्जी की ही करीबी दोस्त बताई जा रही है।

अर्पिता ने कहा कि मंत्री ने कभी उसे यह नहीं बताया था कि कमरे में कितनी रकम रखी गई है। अर्पिता ने बताया कि एक बंगाली ऐक्टर ने उनका परिचय पार्थ चटर्जी से कराया था। यह मुलाकात 2016 में हुई थी और तब से ही दोनों एक-दूसरे के करीब थे।

अर्पिता ने पूछताछ के दौरान यह भी स्वीकार कर लिया है कि यह रकम ट्रांसफर पोस्टिंग के एवज में ली गई घूस और कॉलेजों को मान्यता दिलाने के एवज में लिए पैसे से जुटी थी।

सहायक करते थे काम

अर्पिता ने यह भी बताया कि यह रकम पार्थ चटर्जी खुद कभी नहीं लाते थे। उनके सहायकों की ओर से रकम लाई जाती थी। पार्थ चटर्जी और अर्पिता को फिलहाल 3 अगस्त तक एजेंसी की हिरासत में भेजा गया है। एजेंसी का कहना है कि इस दौरान पूछताछ में कुछ अहम खुलासे हो सकते हैं।

उत्तर प्रदेश

दूसरे दिन के सर्वे के लिए ASI की टीम संभल के कल्कि विष्णु मंदिर पहुंची, कृष्ण कूप का किया निरीक्षण

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संभल। उत्तर प्रदेश के संभल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम लगातार दूसरे दिन भी सर्वे करने पहुंची। ASI की टीम संभल के कल्कि विष्णु मंदिर पहुंच गई है। अब यहां पर ASI की टीम सर्वे का काम कर रही है। ASI की टीम के साथ प्रशासन के अधिकारी भी मौजूद हैं। आज सर्वे का काम कृष्ण कूप में किया जाना है, जो कल्कि मंदिर के मेन गेट के पास है। बताया जा रहा है कि ये कृष्ण कूप संभल के जामा मस्जिद के पास से महज 500 मीटर की दूरी पर है। कृष्ण कूप चारों तरफ दीवारों से घिरा हुआ है। इसके चारों तरफ 5 फीट ऊंची दीवार बनी हुई है। इसके साथ ही कूप के अंदर झाड़ियां और गंदगी फैली हुई है।

संभल की एसडीएम वंदना मिश्रा ने बताया कि आर्कियोलॉजी की टीम आई थी। यहां पर एक प्राचीन कृष्ण कूप है। जिसका काल निर्धारण होना है। वह कितना पुराना है। उसी का निरीक्षण किया है। टीम ने कल्की मंदिर के भी दर्शन किए हैं। यह टीम लगभग 15 मिनट यहां पर रुकी है।
कल्कि मंदिर के पुजारी महेंद्र शर्मा ने बताया कि यहां पर एक टीम आई थी। उन्होंने एक कुआं देखा। वह कोने पर है। टीम परिसर में घूमी और मंदिर के अंदर की फोटो ली। मैंने उनसे कहा कि इस कार्य को मैं पुनर्जीवित करवाना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि यह बहुत पुराना मंदिर है। एक हजार वर्ष का नक्शा, उसमें यह मंदिर दिखाया गया है। जो हरि मंदिर है उसके अन्दर यह मंदिर बना है।

ज्ञात हो कि जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने संभल के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को देखते हुए एएसआई निदेशक को पत्र भेजकर सर्वे कराने की मांग की थी। इसके बाद एएसआई की टीम ने संभल में प्राचीन धार्मिक स्थलों और कुओं का सर्वे शुरू किया। डीएम ने कहा था कि संभल का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। 19 कूप और पांच तीर्थों का एएसआई की टीम ने सर्वे किया है। यह सर्वे करीब 9 घंटे तक चला है।

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