उत्तर प्रदेश
उप्र की बड़ी उपलब्धि, देश में पहले स्थान पर है वाराणसी का बाबतपुर एयरपोर्ट
वाराणसी। उप्र की तमाम उपलब्धियों में एक और तमगा जुड़ गया है। पूरे देश में वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री (बाबतपुर) एयरपोर्ट को पहले स्थान पर रखा गया है। एयरपोर्ट को यह पहला स्थान यात्री सुविधाओं के मामले में मिला है। यूपी के विकास और पर्यटकों की सुविधाओं को बढ़ाने में लगे सीएम योगी के प्रयासों को बड़ी सफलता मिली है। वाराणसी का लाल बहादुर शास्त्री (बाबतपुर) एयरपोर्ट यात्री सुविधाओं के मामले में पूरे देश में पहले नंबर पर आया है।
अप्रैल से जून माह में दूसरी तिमाही सर्वे में 13 एयरपोर्ट में वाराणसी एयरपोर्ट को 4.96 रेटिंग के साथ पहला स्थान मिला है। रायपुर एयरपोर्ट 4.93 रेटिंग के साथ दूसरा और गोवा एयरपोर्ट 4.93 रेटिंग के साथ तीसरे स्थान पर रहा।
इससे पहले जनवरी से मार्च में कराये गये सर्वे में वाराणसी एयरपोर्ट को तीसरा स्थान मिला था। अमृतसर एयरपोर्ट पहले स्थान पर और गोवा एयरपोर्ट दूसरे स्थान रहा था। अमृतसर और गोवा 4.95 अंक के साथ बराबरी पर रहे थे। देश की रैंकिग में गोवा से ऊपर रहने के कारण अमृतसर एयरपोर्ट को पहला स्थान मिला था।
एयरपोर्ट पर मिलने वाले सुविधा पर यात्रियों से 35 सवालों पर फीडबैक सर्वे किया गया था। सर्वे में रायपुर, गोवा, अमृतसर, कोलकता, भुवनेश्वर, चेन्नई, श्रीनगर और वाराणसी एयरपोर्ट शामिल थे। एयरपोर्ट पर सर्वे के दौरान यात्रियों को मिलने वाले सुविधाओं के बारे में फीडबैक लिया गया।
इसमें एयरपोर्ट पर वाहन पार्किंग शुल्क, चेकिंग, सुरक्षाकर्मियों के द्वारा होने वाले व्यवहार और सुरक्षा जांच में लगने वाले समय, टर्मिनल भवन में चलने की दूरी, विमान से सम्बंधित सूचना, खाने-पीने की सुविधाएं शामिल थीं।
एयरपोर्ट पर बैंक एटीएम, शॉपिंग, इंटरनेट वाई-फाई, शौचालय, टर्मिनल की स्वच्छता वातावरण, डिलीवरी सिस्टम समेत कुल 35 सवालों के जवाब एक प्रतिक्रिया फार्म में भरा जाता है। यात्रियों के द्वारा इसका सत्यापन एयरपोर्ट काउंसिल इंटरनेशनल टीम द्वारा कराया जाता है। वाराणसी एयरपोर्ट निदेशक अर्यमा सन्याल ने बताया की अप्रैल से जून माह के तिमाही सर्वे में एयरपोर्ट को पहला स्थान मिलना वाराणसी विमानतल के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिये गर्व की बात है।
उत्तर प्रदेश
हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी
महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।
हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।
आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक
महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।
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