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प्रादेशिक

बिहार: CM नीतीश कुमार ने दिया प्रमोशन के आरक्षण के अंदर कोटा, जानें कैबिनेट के अन्य फैसले

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Nitish kumar

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पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में सचिवालय में शुक्रवार सुबह कैबिनेट की अहम बैठक संपन्न हो गई। इसमें कुल आठ प्रस्तावों पर मुहर लगी। बिहार पुलिस में उच्चतर कार्य प्रभार देने का जो फॉर्मूला इन दिनों चर्चा में है, वही राज्याधीन बाकी विभागों में चल रहा है।

प्रोन्नति में आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में होने के कारण बिहार सरकार ने बीच का रास्ता निकाला है। इसके जरिए सरकार ने राज्य की महागठबंधन सरकार ने जातीय जनगणना के बाद कोटा में कोटे की मांग को प्रयोग के तौर पर लागू भी कर दिया।

एससी-एसटी के 17 प्रतिशत अलग रख, शेष में 17 प्रतिशत आरक्षण

प्रोन्नति के तहत अब कर्मियों को सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने तक कोटे के अंदर कोटा दिया जाएगा। साल 2016 से सराकरी कर्मियों की प्रोन्नति बाधित है। कोर्ट में मामला लंबित होने के कारण एससी (16%)-एसटी (1%) के 17% पद रिजर्व छोड़ दिया जाएगा। उसके बाद शेष 83 प्रतिशत के बीच प्रमोशन दिया जाएगा। इसके बाद देखा जाएगा कि अनुसूचित जाति या जनजातियों का प्रतिनिधित्व उचित है या नहीं।

मतलब, देखा जाएगा कि 83 प्रतिशत में 16 प्रतिशत एससी और 1 प्रतिशत एसटी पद पर हैं या नहीं। अगर नहीं हैं तो इन 83 प्रतिशत में फिर 16 प्रतिशत एससी और 1 प्रतिशत एसटी को आरक्षण दिया जाएगा। अगर उतने कर्मी इन दोनों वर्गों में नहीं तो वह पद आरक्षित मानते हुए खाली रखा जाएगा। पुलिस और शिक्षकों को भी इसका लाभ मिलेगा।

बिहार सरकार के इस फैसले से बिहार के तकरीबन 5 लाख सरकारी सेवक को फायदा होगा। वहीं राज्य सभी सरकारी डेंटल हॉस्पिटल में एक समान एडमिशन फी किए जाने पर कैबिनेट ने मंजूरी लगाई है। स्नातक और स्नातकोत्तर में नामांकन और अन्य शुल्क एक समान किया गया है।

अपर जिला पंचायत राज पदाधिकारी के पद को किया गया परिषाषित

बिहार पंचायत सेवा नियमावली, 2010 के नियम 2, 3, 4 एवं 7 में संशोधन के माध्यम से अपर जिला पंचायत राज पदाधिकारी एवं अपर मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी के पद को परिभाषित किया जा रहा है। अपर जिला पंचायत राज पदाधिकारी का पद वेतन स्तर-08 में सृजित करते हुए पूर्व के पद जिला पंचायत राज पदाधिकारी को जिला पंचायत राज पदाधिकारी-सह- प्राचार्य वेतन स्तर-09 में अधिसूचित किया जा रहा है।

IGIMS में 149 पदों के सृजन की स्वीकृति

कैबिनेट की बैठक के बाद जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार बिहार के छात्रों को बेहतर चिकित्सा अध्ययन की सुविधा एवं राज्य के रोगियों को विशिष्ट चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के प्रयोजनार्थ सरकार द्वारा एक सुपरस्पेशलिटी चिकित्सा संस्थान के रूप में इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान, पटना (IGIMS) की स्थापना की गई है।

इस संस्थान अंतर्गत नेत्र चिकित्सा क्षेत्र में टर्शियरी केयर (Tertiary Care) संस्थान के रूप में कार्य करने हेतु वर्ष 1995 में क्षेत्रीय चक्षु संस्थान की स्थापना की गयी, जहाँ आखों की जटिल बीमारियों का इलाज किया जाता है। मरीजों की अधिकता को देखते हुए क्षेत्रीय चक्षु संस्थान के विस्तारीकरण की परियोजना बनायी गयी। इस परियोजना की स्वीकृत प्राक्कलित राशि 187.88 करोड़ है।

इस परियोजना के तहत इंदिरा गाँधी आयुर्विज्ञान संस्थान स्थित क्षेत्रीय चक्षु संस्थान पटना में सुपरस्पेशियलिटी विभाग संस्थान में 12 मॉडुलर ऑपरेशन थियेटर एवं बेड की क्षमता 154 होगी। संस्थान के पास अपनी रिसर्च विंग एवं 24 घंटा कार्यरत इमरजेंसी होगी।

इस परियोजना के पूर्ण हो जाने पर यह संस्थान सम्पूर्ण उत्तर-पूर्व भारत में सरकारी क्षेत्र का सबसे बड़ा चक्षु चिकित्सा संस्थान बन जायेगा। क्षेत्रीय चक्षु संस्थान, इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान, पटना के लिए पूर्व में सृजित विभिन्न प्रकार के 100 पदों के अतिरिक्त विभिन्न विभागों के शैक्षणिक एवं गैर-शैक्षणिक कुल 149 (एक सौ उन्चास) अतिरिक्त पदों के सृजन की स्वीकृति प्रदान की गई है।

सृजित किये जाने वाले पद अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली के अनुरूप है। इससे राज्य के छात्रों को बेहतर चिकित्सा अध्ययन की सुविधा एवं राज्य के रोगियों को विशिष्ट चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।

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झारखण्ड

झारखंड में बदलेगी जमीन राजस्व वसूली की व्यवस्था

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रांची। झारखंड के राजस्व मंत्री दीपक बिरुआ ने गुरुवार को संबंधित अधिकारियों से कहा कि वे दाखिल-खारिज समेत भूमि संबंधी कार्यों को सेवा के अधिकार कानून के तहत लाएं, ताकि ये सेवाएं समय पर प्रदान की जा सकें। उन्होंने जनता की सुविधा तथा राजस्व संग्रहण में सुधार के लिए भूमि संबंधी सेवाओं को सुदृढ़ बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।

राज्य के भूमि एवं राजस्व मंत्री बिरुआ परियोजना भवन में स्थित अपने कार्यालय में सभी प्रमंडलीय आयुक्तों और विभागीय सचिव के साथ ऑनलाइन बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि फिलहाल लोगों को भूमि रसीद प्राप्त करने में असुविधा होती है और उन्हें अक्सर अदालतों व कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते हैं।

एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, बिरुआ ने कहा, ‘‘इस समस्या से निपटने के लिए लोगों को जल्द ही बार कोड प्रणाली की सुविधा दी जाएगी, जिससे निवासी सीधे अपने मोबाइल फोन के माध्यम से भूमि रसीद प्राप्त कर सकेंगे। इससे लोगों के कई स्थानों पर जाने की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी।’’

बैठक के दौरान चाईबासा के आयुक्त ने जमशेदपुर जिले की कंपनियों से 2000 करोड़ रुपये के बकाये की वसूली के संबंध में प्रस्ताव रखा। बिरुआ ने इस मुद्दे पर संज्ञान लेते हुए कहा कि यदि ऐसे कई मामलों का समाधान हो जाए तो राज्य के राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है। उन्होंने हरमू नदी के किनारे अतिक्रमण पर चिंता व्यक्त की और अधिकारियों से नदी की रक्षा करने तथा और अधिक नुकसान को रोकने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने की अपील की।

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